राज्यसभा प्रत्याशी घोषित होते ही भूपेश सरकार से क्यों नाराज हो गई साहू समाज..? सुन लीजिए उनकी ही जुबानी…

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रायपुर 14 मार्च, 2020। साहू समाज एक बार फिर अपने को ठगा महसूस कर रहा है। भूपेश सरकार ने एक बार साहू समाज की उपेक्षा की है। साहू समाज के पदाधिकारी ने ऐसा आरोप लगाया है। साहू समाज की महिला राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ. ममता साहू ने कहा कि एक बार फिर राजनीति तौर पर ताकतवर माने जाने वाले बहुसंख्यक 22 % से अधिक आबादी वाला साहू समाज उपेक्षित का शिकार हुआ है। मंत्रिमंडल गठन में दरकिनार किए जाने के बाद अब राज्यसभा सदस्य के लिए भी साहू समाज को ठेंगा दिखा दिया गया है। छत्तीसगढ़ साहू समाज विभिन्न स्तर पर मुख्यमंत्री, प्रदेश नेतृत्व एवं कांग्रेस हाईकमान से मिलकर अपनी भावना से अवगत कराते हुए साहू समाज के किसी भी व्यक्ति को राज्यसभा में भेजे जाने के लिए जमकर लाबिंग की थी। लेकिन इस बार भी साहू समाज को नजरअंदाज कर दिया गया। जबकि छत्तीसगढ़िया बतलाने वाले भूपेश सरकार ने प्रदेश के लोगों को ठेंगा दिखाते हुए बाहरी व्यक्ति को राज्यसभा भेजा जा रहा है।

डॉ. ममता साहू, राष्ट्रीय महिला अध्यक्ष, साहू समाज

डॉ. ममता साहू ने आरोप लगाया कि जब सरकार के पास संख्याबल है तो इस बार साहू समाज के नेता को क्यों राज्यसभा भेजा नहीं गया। जबकि पूर्व में हमारे पूर्व विधायक लेखराम साहू को जानबूझकर राज्यसभा सांसद सरोज पांडेय के खिलाफ चुनाव लड़ा दिया था। तब कांग्रेस के पास बहुमत नहीं था। लेकिन अब सरकार के पास दो तिहाई से भी ज्यादा बहुत है तो साहू समाज की याद क्यों नहीं आई। उन्होंने कहा कि अगर इसी तरह साहू समाज की उपेक्षा होती रही तो समाज के पदाधिकारियों को इस विषय पर सोचने की आवश्यकता है।

गौरतलब है कि 11% अनुसूचित जाति से दो मंत्री, 31% आबादी वाला आदिवासी समाज से प्रदेश अध्यक्ष सहित चार मंत्री, 8% आबादी वाला सामान्य वर्ग से तीन मंत्री, 1.7% मुस्लिम समाज से एक मंत्री लेकिन 22% बहुसंख्यक वर्ग से ताल्लुक़ रखने वाला राजनीतिक तौर पर ताकतवर साहू समाज में योग्य एवं अनुभवी के बाद भी मात्र एक मंत्री होने से भी नाराज है।