जो परिंदा आसमां पर ढूंढता था आशियां… पेड़ पर लौटा तो उसका, शाखा पे घर हो गया…

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छत्तीसगढ़ सरकार ने 17 दिसंबर को अपना एक साल पूरा कर लिया वहीं कांग्रेस के वरिष्ठ नेता तथा विधानसभा अध्यक्ष डॉ. चरणदास महंत ने भी अपनी नई पारी का एक साल पूरे कर लिया है। अविभाजित म.प्र. में कृषि, गृह, वाणिज्यकर, जनसंपर्क मंत्रालय की जिम्मेदारी सम्हाल चुके डॉ. महंत ने लोकसभा चुनाव जीतकर डॉ. मनमोहन सिंह मंत्रिमंडल के सदस्य रहे तो वर्तमान में छग के विधानसभा अध्यक्ष हैं। अब राजनीतिक पारी में उनके खाते में केवल राज्यसभा सदस्य बनना ही बचा है। छग में 15 साल बाद 68 सीटें लेकर कांग्रेस की सरकार बनी तो मुख्यमंत्री की दौड़ में शामिल डॉ. चरणदास महंत विस अध्यक्ष बनाये गये वहीं उनकी पत्नी ज्योत्सना महंत जांजगीर लोकसभा से निर्वाचित हो चुकी हैं। राजनीति का लंबा अनुभव होने के साथ साथ डॉ. महंत को प्रशासनिक अनुभव भी है। वे नायब तहसीलदार भी रह चुके हैं।
4 जनवरी 2019 को उन्होंने छग के विधानसभा अध्यक्ष की जिम्मेदारी सम्हाली और 4 जनवरी को एक साल पूरे कर चुके हैं। उन्होंने विधानसभा की कार्यवाही संचालन में कुछनया करने का प्रयास किया है राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की 150 वीं जयंती के अवसर पर छग विधानसभा का 2 एवं 3 अक्टूबर का विशेष सत्र आयोजित किया था। इस सत्र में राज्यपाल, मुख्यमंत्री, सभी मंत्री सहित विधानसभा सदस्यों ने एक समान वेशभूषा में शामिल होकर नया इतिहास रचा। निर्वाचित सदस्यों के शपथग्रहण तथा गांधी के सम्मान में आयोजित विशेष सत्र का दूरदर्शन से सीधा प्रसारण भी उल्लेखनीय रहा। भारत के संविधान के अंगीकरण की 70 वीं वर्षगांठ के उपलक्ष्य में 26 नवंबर को विधानसभा में विशेष चर्चा भी उल्लेखनीय रही। वहीं नवंबर, दिसंबर के सत्र के प्रथम दिवस की कार्यवाही के प्रारंभ होने के पहले राष्ट्रगीत ‘वंदे मातरम’ के साथ राज्य गीत ‘अरपा पइरी के धार’ के आरंभ करने का निर्णय भी उल्लेखनीय रहा।
जहां तक विधानसभा के संचालन की बात है तो 4 जनवरी से 2 दिसंबर तक सत्र की अवधि 75 दिन रही वहीं 34 बैठकें आयोजित की गई, जिसमें 172 घंटे 4 मिनट चर्चा की गई। 2419 तारांकित, 2078 अतारांकित प्रश्न शामिल किये गये, 25 शासकीय विधेयक पारित किये गये, नियम 139 के तहत 6 सूचनाएं ग्राह्य की गई, विशेषाधिकार भंग की एक सूचना विचाराधीन है, 29 स्थगन प्रस्ताव ग्राह्य किये गये 2 अध्यादेश पटल पर रखे गये, 24 अशासकीय संकल्प ग्राह्य किये गये, 2 सदन में पारित किये गये। वहीं 83 याचिकाएं ग्राह्य कर 58 सदन में प्रस्तुत की गई। वहीं 7 अधिसूचना पटल में रखी गई। वहीं 45 निगम/मंडल/आयोग के प्रतिवेदन पटल में रखे गये।

तैलचित्र और भाजपा?

छत्तीसगढ़ के विधानसभा परिसर स्थित सेंट्रल हाल में राष्ट्रपिता महात्मा गांधी, देश के प्रथम गृहमंत्री सरदार वल्लभ भाई पटेल, पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा, राजीव गांधी के तैल चित्रों का अनावरण भी किया गया है। देश के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की नजरों में सरदार वल्लभ भाई पटेल जननायक है। उनका भारत के स्वतंत्रता संग्राम में महत्वपूर्ण योगदान रहा है। यूनिटी ऑफ स्टेचू नाम पर पूरे देश में कार्यक्रम भी आयोजित किया गया था। पर यह जानकर आश्चर्य होता है कि छत्तीसगढ़ के पाठ्य पुस्तक निगम की नजरों में सरदार पटेल महापुरुष नहीं है।
पूर्ववर्ती भाजपा की डॉ. रमन सिंह सरकार में छत्तीसगढ़ पाठ्य पुस्तक निगम में प्रतिनियुक्ति में तैनात एक अफसर के कार्यकाल में 10 महापुरुषों का चयन कर लेमिनेटेड फोटोग्राफ (करोड़ों का खर्च) प्रायमरी, मीडिल, हाई स्कूलों तथा हायर सेकेंड्री स्कूलों में वितरित किया गया था। पाठ्यपुस्तक निगम ने न जाने किन मापदंडों के आधार पर 10 महापुरुषों का चयन कर उनके फोटोग्राफ प्रकाशित कर वितरण कराये थे। हालांकि इसकी अनियमितता की भी शिकायत लोक आयोग से की गई थी।
पापुनि ने तब रानी दुर्गावती, महात्मा गांधी, सुभाषचंद्र बोस, विवेकानंद, रविन्द्रनाथ टैगोर, सर्वपल्ली राधाकृष्णन, डॉ. भीमराव अंबेडकर, पं. दीनदयाल उपाध्याय और पंडित श्यामा प्रसाद मुखर्जी के फोटो प्रकाशित कर स्कूलों में भेजा था इसके पीछे भावी पीढ़ी को महापुरुषों की याद को चिरस्थायी करना ही बताया गया था।
सबसे बड़ा आश्चर्य तो यह है कि पाठ्यपुस्तक निगम के तत्कालीन अधिकारी ने भारत के प्रथम प्रधानमंत्री पं. जवाहरलाल नेहरू, प्रथम राष्ट्रपति डॉ. राजेन्द्र प्रसाद, सरदार वल्लभ भाई पटेल, मौलाना अब्दुल कलाम आजाद, लाल बहादुर शास्त्री को महापुरुषों की श्रेणी में शामिल नहीं किया यहीं नहीं छग के भी स्वतंत्रता संग्राम सेनानी, महापुरुषों की भी पूरी उपेक्षा की गई थी। पापुनि के वह अफसर चाहते तो 10की जगह 15 महापुरुषों का चयन कर फोटोग्राफ प्रकाशित कर स्कूलों में वितरण करा सकते थे।
बहरहाल महापुरुषों को भाजपा कांग्रेस की संकीर्ण मानसिकता से उपेक्षा करने वाले ऐसे अफसरों पर कार्यवाही नहीं की गई। बहरहाल अब विधानसभा में सरदार पटेल का तैलचित्र लगाकर उन्हें छग में भी सम्मान दिया गया।

हम साथ -साथ हैं…

नये साल की बधाई मुख्यमंत्री भूपेश बघेल को देने छत्तीसगढ़ शासन के मुख्य सचिव आर.पी. मंडल, पुलिस विभाग के मुखिया डीएम अवस्थी तथा वन विभाग के मुखिया (पीसीसीएफ) राकेश चतुर्वेदी एक साथ पहुंचे, यह भूपेश सरकार के साथ अफसरों के एकजुट होने का सबूत माना जा सकता है। छत्तीसगढ़ के पिछले 20 सालों में छग के तीनों प्रमुख विभागों के मुखिया की एक साथ मौजूदगी कभी दिखाई नहीं दी थी। दरअसल तीनों प्रमुख अफसरों की एका के पीछे मुख्य सचिव मंडल की सोच है। मुख्य सचिव बनने के बाद एक बैठक में मंडल ने देखा कि डीजीपी डीएम अवस्थी तथा पीसीसीएफ राकेश चतुर्वेदी कहीं पीछे बैठे हैं। उन्होंने दोनों अफसरों को बुलवाकर अपने बगल में स्थान दिया और उसके बाद लगभग हर बैठक में तीनों अफसर बगलगीर नजर आते हैं। दरअसल छग नक्सल प्रभावित क्षेत्र होने के कारण पुलिस की विशेष भूमिका है तो छग में बड़ा हिस्सा वनों से आच्छादित है और छग के विकास में वन विभाग की प्रमुख भूमिका भी है। वैसे एक बात उल्लेखनीय है कि साईंस कालेज रायपुर में मुख्यमंत्री भूपेश बघेल पढ़ चुके हैं। तो साईंस कालेज के सामने इंजीनियरिंग कालेज (अब एनआईटी) में आर.पी.मंडल तथा राकेश चतुर्वेदी पढ़ चुके हैं। बहरहाल मुख्यमंत्री बघेल के साथ प्रदेश के तीन वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारियों की एक साथ फोटो की चर्चा भी जमकर है।

और अब बस…

0 किस महिला आईएएस अफसर की व्यक्तिगत टिप्पणी मुख्य सचिव तक पहुंच गई है।
0 एक आरटीआई एक्टिविस्ट के खिलाफ जुर्म कायम के पीछे कहीं उसकी एक अफसर की जमीन खरीदी का कोई संबंध तो नहीं है?
0 10 फरवरी को पेण्ड्रा-मरवाही जिला अस्तित्व में आ जाएगा।
0 अभी 2 डीजी बनने की चर्चा के बीच ही प्रदीप गुप्ता के एडीजी बनने की चर्चा भी तेज हो गई है।
0 झीरम घाटी के समय पदस्थ एक अफसर की तो पदोन्नति के साथ बढिय़ा पोस्टिंग हो गई वहीं दूसरे अफसर की भी पदोन्नति भी होने वाली है।
0 आखिर एक साल होते होते विधानसभा अध्यक्ष के करीबी अमित पांडे को राज्य सरकार ने ओएसडी बनाकर आदेश जारी कर दिया है।