छत्तीसगढ़ की दो बहादुर बेटियां को गणतंत्र दिवस पर राष्ट्रपति कोविंद द्वारा राष्ट्रीय वीरता पुरस्कार से सम्मानित किया जायेगा..

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रायपुर 17 जनवरी 2020। छोटी सी उम्र में दूसरों की रक्षा करने का जज्बा बहुत कम लोगों में होता है। अपनी जान की परवाह किए बगैर दूसरों की जान बचने वाली छत्तीसगढ़ की दो बहादुर बेटियां का 26 जनवरी को गणतंत्र दिवस के मौके पर राष्ट्रीय वीरता पुरस्कार 2019 से राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद द्वारा दिल्ली में सम्मान होने वाला है।

भारतीय बाल कल्याण परिषद नई दिल्ली द्वारा आयोजित राष्ट्रीय वीरता पुरस्कार-2019 ग्रहण करने छत्तीसगढ़ की भी दो बच्चियां दिल्ली रवाना हो रही हैं। धमतरी की भामेश्वरी और सरगुजा की कांति वह साहसी बच्चियां हैं जिन्हें राष्ट्रीय वीरता पुरस्कार देने के लिए छत्तीसगढ़ राज्य बाल कल्याण परिषद द्वारा अनुशंसा की गई थी। दोनों बच्चियां अपने पिता के साथ रायपुर से 18 जनवरी को दिल्ली के लिए रवाना होंगी।

भामेश्वरी ने गहरे पानी से बच्चियों को निकाला
धमतरी जिले के कानीडबरी गांव में 12 साल की भामेश्वरी (पिता श्री जगदीश नेमलकर) ने गांव की दो बच्चियों को तालाब में डूबने से बचाया। गौरतलब है कि, कक्षा सातवीं की छात्रा भामेश्वरी को खुद तैरना ही नहीं आता था, फिर भी 17 अगस्त 2019 को गांव की दो बच्ची सोनम और चांदनी तालाब में डूबने से बचाया।

जब दोनों बच्चे डूबने लगे उसी वक्त भामेश्वरी भी वहां पहुंची और दोनों बच्चियों को डूबता देख तालाब में छलांग लगा दी। गहराई में दोनों बच्चियां को भामेश्वरी ने जैसे तैसे पकड़ा और किसी तरह खींचकर उन्हें किनारे तक ले आई। बाद में भामेश्वरी ने एक महिला की मदद से अचेत पड़ी दोनों बच्चियों को होश में सफलता पूर्व लाया। घटना की जानकारी मिलने पर जिले के कलेक्टर ने वीरता पुरस्कार के लिए भामेश्वरी के नाम की अनुशंसा की थी।

9 साल की बच्ची कांति ने, जंगली हाथियों के दल से अपनी बहन की जान बचाई थी

हाथियों के आतंक से त्रस्त सरगुजा जिले के मोहनपुर गांव की रहने वाली 9 साल की बच्ची कांति ने बहादुरी का परिचय देते हुए, जंगली हाथियों के दल से अपनी बहन की जान बचाई। चौथी कक्षा की छात्रा ने मात्र 8 साल की उम्र में यह कारनामा कर दिखाया था। 17 जुलाई 2018 को जंगली हाथियों का एक बड़ा दल गांव में घुस गया था। दल को देख ग्रामीण अपने घरों से निकल कर भागने लगे। इस दौरान हाथी खुर्रम कंवर के घर को तोड़ते हुए उनके बाड़े में घुस गए। कांति का परिवार भी घर से भाग गया था।

इसी बीच हड़बड़ी में वे अपनी 3 साल की बच्ची को ले जाना भूल गए। तब तक हाथियों का दल उनके घर को घेर चूका था। ऐसे में कांति ने हाथियों के बगल से एक दम फुर्ती से निकलते हुई घर घुसी और अपनी छोटी बहन को सीने में दबाएं तेजी से निकल आई। साल 2019 में कांति के इस साहसिक कदम को छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल भी प्रशंसा कर चुके है और 26 जनवरी 2019 गणतंत्र दिवस पर रायपुर में आयोजित कार्यक्रम में मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कांति को राज्य वीरता पुरस्कार से सम्मानित भी किया था।