कमरछठ पर आज मां अपने बच्चों के लिए रखती हैं निर्जला व्रत, संतान सुख के लिए भी होती हैं पूजन, जानिए पूजा का महत्व…

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रायपुर 21 अगस्त, 2019। भादोमास की षष्ठी तिथि पर बुधवार को माताएं निर्जला व्रत रखकर संतान की सुख की कामना करेंगी। शाम के समय में घर के सामने बावली बनाकर फूली कांस के मंडप के नीचे भगवान शिव-पार्वती की मूर्तियां रखकर कथा सुनेंगी। पूजन सामग्री मिट्टी के भगुवा, फूली कांस, महुआ के पत्ते, दतूअन आदि की खरीदारी की। शहर के गोलबाजार, शास्त्री बाजार, आमापारा, संतोषी नगर की सडक़ के किनारे दुकानें सजी हुई थी। इस व्रत पूजन के महत्व को देखते हुए फसही धान का चावल 120 रूपए से लेकर 150 रूपए तक में बिका।

  • इस व्रत पूजन की कथा भगवान श्री कृष्ण के बड़े भाई बलराम के जन्म से जुड़ी हुई है।
  • पं मनोज शुक्ला के अनुसार भाद्रपक्ष षष्ठी तिथि पर द्वापरयुग में बलराम का जन्म और अष्टमी तिथि पर भगवान श्री कृष्ण का जन्म हुआ था।
  • इस षष्ठी तिथि पर पुत्रवती माताएं हल चले खेत में पैर नहीं रखती। न ही खेत के अनाज का भोग लगाती हैं।
  • खेत में जो फसही धान उत्पन्न होती है, उसके चावल, महुआ को निकालकर भोग लगाती हैं।
  • घर के आंगन में बावली खोदकर हर मोहल्ले में माताएं कथा सुनकर संतान की सुख की कामना करती हैं।
  • इसके बाद उबला हुआ महुआ और पसहर चावल का भोग लगाकर व्रत खोलेंगी।

सडक़ों के दोनों तरफ लगी दुकानें

आसपास के ग्रामीण अंचलों से महिलाएं षष्ठी व्रत पूजन की सामग्री लेकर शहर पहुंची। सभी प्रमुख सडक़ों और बाजारों के किनारे पसहर चावल से लेकर दोना पत्तल, महुआ की दातुन, कांस आदि की दुकानें लगी है। जहां लोगों की भीउ़ लग रही है।