बच्चों के सपनों को साकार करने शुरू हुई सेलूद शिक्षा एक्सप्रेस, दुर्ग जिले के ये गर्वनमेंट स्कूल बना आकर्षक का केंद्र..

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05 दिसंबर, 2018 दुर्ग (बलराम यादव, पाटन)। शासकीय प्राथमिक शाला सेलूद शिक्षा के क्षेत्र में अपने अनुकरणीय और विशेष कार्यों के लिए हमेशा चर्चा में रहता है । चाहे कोई प्रतियोगिता हो या अन्य कोई अकादमीक या सामाजिक गतिविधियां सभी में प्राथमिक शाला सेलूद का नाम निश्चित ही शीर्ष में मिलेगा। यही कारण है कि दुर्ग जिले में हमेशा से ही लोगों के पसंद के स्कूलों में से शासकीय प्राथमिक शाला सेलूद भी रहा है।

इस बार चर्चा का विषय इसलिए है क्योंकि इस बार शासकीय प्राथमिक शाला से सेलूद शिक्षा एक्सप्रेस शुरू हो गई है। जी हां शिक्षक मिलिन्द चंद्रा की पहल से बच्चों के विद्यालय को प्रिंट रिच वातावरण से संवारा जा रहा है। जिसमें विद्यालय के आहाता को ट्रेन का रूप दिया गया है। जो कि न सिर्फ बच्चों को ब्लकि ग्रामीणों को भी आकर्षित कर रहा है। साथ ही राहगीरों के लिए भी आकर्षण का केंद्र बना हुआ है। यहां से गुजरने वाला हर व्यक्ति एक बार जरूर रुककर इस अदभुत कलाकृति को देख रहे है।

शिक्षक मिलिन्द चन्द्रा ने ट्रेन प्रिंट कराने का कारण बताते हुए कहा कि भारत की आन बान और शान इसका वृहद रेलवे तंत्र है। पूरी दुनिया में भारतीय रेल परिवहन में सबसे वृहद संसाधन है। साथ ही बच्चों से पूछने पर यह पता चला कि अधिकांश बच्चे ट्रेन को नहीं देखे हैं और ना ही उस पर सफर किए हैं। इसलिए बच्चों की भावना का ख्याल रखते हुए वृहद ट्रेन इंजन के साथ आहाता में प्रिंट रूप में उकेरा गया है ।

मिलिन्द चन्द्रा ने ग्रामीणों से यह भी आह्वान किया है कि आगामी 1 जुलाई को विद्यालय को 100 साल पूरे हो रहे हैं, अतः सबसे पुराने विद्यालय में से एक शासकीय प्राथमिक शाला सेलूद के पुनरुत्थान के लिए जन सहयोग की आवश्यकता है। यह अकेले एक शिक्षक से कर पाना संभव नहीं है। इसलिए विद्यालय परिवार ने जन समुदाय से प्रार्थना की है कि बच्चों के लिए बेहतर वातावरण के निर्माण के लिए लोग विद्यालय में  सहयोग प्रदान करें। विद्यालय केम्पस में अलग अलग जगह पेंटिंग होना है नागरिकों से निवेदन किया गया है की एक पेंटिंग का खर्च वे स्वयं वहन करें। इस पेंटिंग में दान दाता का नाम दीवार पर अंकित करने की भी योजना है,जो कि अन्य लोगों को भी प्रेरित करते रहेगी।

शिक्षक मिलिन्द चन्द्रा के अनुसार हमारे सपनों का स्कूल तब साकार हो पाएगा जब हम स्वयं विद्यालय को अपना समझेंगे। शासन के दायरे में हजारों शासकीय विद्यालय हैं जिसमें प्रत्येक का मनवांछित संधारण कर पाना संभव नहीं है। अतः आपको और हमको ही मिलकर भावी पीढ़ी के भाग्य को संवारने के लिए आगे आना होगा, क्योंकि असली बुनियाद प्राथमिक शाला से ही शुरू होती है। इस संदेश को निवेदन मानते हुए आइए हम सभी इस विद्यालय को नई ऊंचाइयों तक ले जाएं ऐसा शिक्षक मिलिंद चंद्रा ने अपने आवाहन पत्र में पूरे ग्राम वासियों को संबोधित करते हुवे सहयोग की अपील की है।

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