चरागों से हवा की दुश्मनी थी, घर जला मेरा सजाएं किसको मिलती है, शरारत कौन करता है..

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वरिष्ठ पत्रकार शंकर पांडेय

गांधीजी अपने को न महात्मा (कविवर रविन्द्र नाथ टैगोर का दिया नाम) समझते थे और न ही राष्ट्रपिता (नेताजी सुभाषचंद्र बोस का दिया नाम) समझते थे पर उन्हें भारत ही नहीं लगभग पूरा विश्व ही महात्मा और भारत का राष्ट्रपिता मानता है पर भाजपा की सरकार केंद्र सहित कुछ राज्यों में बनने के बाद जिस तरह से महात्मा गांधी पर टिप्पणी की जा रही है उनके हत्यारे नाथूराम गोड़से को महिमामंडित किया जा रहा है इसे आखिर क्या कहा जाएगा।

म.प्र. के भोपाल से निर्वाचित लोकसभा सदस्य प्रज्ञा ठाकुर ने तो महात्मा गांधी के हत्यारे नाथूराम गोडसे को ‘देशभक्त’ कह दिया था वह भी लोकसभा की कार्यवाही के दौरान ही…। हालांकि प्रज्ञा ठाकुर के बयान को लोकसभा की कार्यवाही से हटा दिया गया था वहीं हाल ही में भाजपा के सांसद तथा पूर्व केंद्रीय मंत्री अनंत कुमार हेगड़े ने तो हद पार कर दी है। उन्होंने तो यह कह दिया है महात्मा गांधी का स्वतंत्रता संघर्ष था नाटक, हमे सत्याग्रह से आजादी नहीं मिली है। अनंत हेगड़े का कहना था कि महात्मा गांधी की भूख हड़ताल तथा सत्याग्रह ड्रामा था। उन्होंने यह भी कहा भारत में ऐसे लोगों को महात्मा कैसे कहा जा सकता है। बेंगलुरू में एक रैली को संबोधित करते हुए उनका कहना था कि पूरे स्वतंत्रता आंदोलन को अंग्रेजों की सहमति और समर्थन के साथ स्टेज किया गया था? बहरहाल उनकी गलती नहीं है स्वतंत्रता संग्राम में उनकी पार्टी के किसी बड़े नेता ने हिस्सा ही नहीं लिया, कांग्रेस यही आरोप तो लगाती है। सवाल यह है कि देश के राष्ट्रपिता को भी अब बेवजह के विवाद में घसीटा जा रहा है क्या यह उचित है।

बहरहाल, महात्मा गांधी कहते थे सिद्धांत के बिना राजनीति, श्रम के बिना धन, विवेक की स्वीकृति के बिना आनंद, चरित्र के बिना ज्ञान, नैतिकता के बिना व्यापार, मनुष्यता के बिना विज्ञान और अहंकार के त्याग के बिना पूजा-पाठ, ये सात पाप हैं। एक समय भारत के लोग इन सातों मुद्दों पर आंदोलित थे।
गांधी की जन्म सार्ध-शति (1869-2018) मन रही है। हम लोग गांधी के बाद की उन पीढिय़ों के लोग हैं जिन्होंने उन्हें ठीक से देखा भी नहीं है। यदि आज के भारत पर नजर डालें तो संदेह होगा कि इस देश में सचमुच क्या कभी गांधी थे। सवाल यह है कि उनकी मूर्तियों, स्मारकों और ‘चश्मे’ के अलावा उनका क्या बचा है? कभी पढ़ा था, ‘चल पड़े जिधर दो डगमग पग, चले पड़े कोटिजन उसी ओर’ आज गांधी अकेले हैं और क्रूर वैचारिक आक्रमणों से घिरे हैं। दक्षिण अफ्रीका के नेल्सन मंडेला ने जिस गांधी को अपनी प्रेरणा के रूप में देखा था उन्हें नस्लवादी कहना अभिजात्यवादी शैतानी है। महान वैज्ञानिक आइंस्टीन ने कहा था आने वाली पीढिय़ां शायद ही विश्वास करें कि रक्त और मांस का शरीर लेकर एक ऐसा आदमी भी कभी धरती पर आया था। बहरहाल गांधी को सही परिप्रेक्ष्य में देखना जरूरी है, महान मनुष्यों में भी कुछ कमियां और पूर्वाग्रह होते हैं यह ठीक है सवाल है… गांधी को किस इरादे से देखा जा जा रहा है। उन पर उनके जीवनकाल और बाद में अंधभक्ति पूर्ण और विद्वेषमूलक बहुत कुछ लिखा गया। जो लोग उन्हें संत के वेश में चालाक आदमी मानते हैं वे वस्तुत: अपने दोहरे और मीडियाकर चरित्र में गांधी के त्याग, सादगी और ईमानदारी को झेल नहीं पाते हैं। यह तो तय है कि शताब्दियों में कोई ऐसा महापुरुष आता है, कुछ के लिए गांधी मानो ईसा की वापसी थे, कई दूसरों के लिए वे स्वतंत्र बौद्धिक चिंतक थे। वे जैसे हमारी मानव समस्यता के विभ्रमों और क्रूरताओं को खारिज करने वाले रूसों और टाल्स्टाय के अवतार थे उन्होंने इंसानियत को स्वाभाविक और सादगी पूर्ण जीवन का संदेश दिया था। सवाल यही उठ रहा है कि भाजपा के नेता जिस तरह नेहरू-गांधी के खिलाफ टीका-टिप्पणी कर रहे हैं यह क्या कोई सोची समझी रणनीति है यदि नहीं है तो गांधी पर अनर्गल प्रलाप करने वालों के खिलाफ भाजपा आलाकमान कड़ी कार्यवाही क्यों नहीं करता है?

समीक्षा बैठक या नसीहत….?

छत्तीसगढ़ सरकार के मुखिया भूपेश बघेल सहित वरिष्ठ मंत्री टीएस सिंह देव, ताम्रध्वज साहू एवं विधानसभा के अध्यक्ष डॉ.चरणदास महंत की साझा बैठक लेकर कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने मिलजुलकर छग का विकास करने की नसीहत दी है। वैसे चारों बड़े नेता विधानसभा चुनाव के बाद मुख्यमंत्री पद के प्रबल दावेदार थे कुछ बैठकों के बाद बमुश्किल भूपेश बघेल को मुख्यमंत्री हाईकमान ने घोषित किया था। सवाल यह भी उठ रहा है कि सिर्फ इन 4 नेताओं को ही राहुल गांधी ने क्यों बुलवाया, सूत्र कहते हैं कि चारों को पुन: एक साथ करने ही यह बैठक हुई थी और इसे राज्य सरकार की समीक्षा बैठक का नाम दे दिया गया वैसे बैठक में कांग्रेस के संगठन प्रभारी पी.एल. पुनिया तथा प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष मोहन मरकाम भी उपस्थित थे। बहरहाल बैठक में प्रदेश सरकार के कामकाज से राहुल संतुष्ट नजर आये ऐसा पता चला है। उन्हें बताया गया कि कांग्रेस के चुनावी घोषणा पत्र में 36वादे किये गये थे और 14 माह में 22 वादे पूरे हो चुके हैं जिसमें किसानों का कर्जा माफ, आदिवासियों को उनकी जमीन की वापसी, 2500 रुपये क्विंटल में धान खरीदी ( हालांकि अभी केंद्र सरकार की नीति के तहत समर्थन मूल्य में धान खरीदी की जा रही है), 200 यूनिट बिजली मुफ्त आदि की बात की गई तथा कुछ बड़ी घोषणाएं मसलन शराब बंदी, बेरोजगारी भत्ता आदि पर भी जल्दी निर्णय लिया जाएगा। वैसे जनता सरकार के कामकाज से खुश है इसके लिए प्रदेश में विधानसभा के दो उपचुनावों में कांग्रेस की जीत, सभी 10 नगर निगमों में कांग्रेस का कब्जा तथा हाल ही में संपन्न पंचायत चुनावों में 27 में से 22 जिलों में कांग्रेस के कब्जा होने की जानकारी से भी राहुल गदगद हैं पर उन्होंने चारों प्रमुख नेताओं को एक साथ मिल-जुलकर जनता के हितों के लिए कदम उठाने पर जोर दिया। वैसे छत्तीसगढ़ की संस्कृति, तीज त्यौहार, विरासत को सहेजने के भूपेश बघेल के प्रयास की भी सराहना की गई।

1000 करोड़ का घोटाला…।

छत्तीसगढ़ में राज्य श्रोत नि:शक्तजन संस्थान नामक कागजी संस्थान बनाकर 1000 करोड़ के घोटाले (हालांकि पूर्व मुख्य सचिव की रिपोर्ट में 200 करोड़ का घोटाला बताया गया है) के मामले में बिलासपुर उच्च न्यायालय द्वारा एक जनहित याचिका की सुनवाई के बाद सीबीआई को एफआईआर करने का आदेश दिया गया था और सीबीआई ने भोपाल में क्राईम नंबर आरसी222/2020 के तहत अज्ञात लोगों के खिलाफ 420, 409, 467, 468, 471, प्रिवेंशन ऑफ करप्शन एक्ट 13(1) 13 (1) बी के तहत एफआईआर दर्ज कर ली है, दरअसल हाईकोर्ट बिलासपुर ने बीएल अग्रवाल/सतीश पांडे के रिव्यू पिटीशन में स्पष्ट किया है कि किसी व्यक्ति विशेष के खिलाफ एफआईआर के आदेश नहीं दिये है। इधर छग सरकार ने इस मामले की जांच के लिए सीबीआई की जगह राज्य की किसी एजेंसी से जांच कराने का आग्रह हाईकोर्ट से किया है। वैसे इस विषय में डबल बैंच ने सुनवाई के बाद फैसला रिजर्व रखा है। ज्ञात रहे कि इस मामले में तत्कालीनराज्य की मंत्री तथा वर्तमान में मोदी सरकार में शामिल राज्यमंत्री रेणुका सिंह सहित दो पूर्व मुख्य सचिव, एक पूर्व एसीएस (सभी भूपेश सरकार में संवैधानिक पदों पर पदस्थ) भी शामिल हैं वहीं एक प्रमुख सचिव स्तर के अधिकारी हैं। सूत्र कहते हैं कि चूंकि भूपेश सरकार ने राज्य में सीबीआई को पहले ही प्रतिबंधित कर दिया है इसलिए सीबीआई की जगह राज्य की एजेंसी से जांच कराने का अनुरोध किया गया है पर हाईकोर्ट द्वारा सीबीआई को निर्देश तथा सीबीआई द्वारा एफआईआर दर्ज करने के बाद कुछ कानूनी पेचिदगियां बढ़ गई है…। वैसे सभी को हाईकोर्ट के फैसले का इंतजार है। यदि सीबीआई जांचके बाद नामजद जुर्म कायम करती है तो कुछ नौकरशाहों पर बड़ी कार्यवाही से इंकार नहीं किया जा सकता है।

3 डीजी एक साथ बनेंगे…

छत्तीसगढ़ में वर्तमान में केवल एक डीजीपी दुर्गेश माधव अवस्थी ही पदस्थ हैं बाकी सभी उनसे जूनियर अफसर एडीजी ही है। वैसे कायदे से छत्तीसगढ़ में 4 डीजी स्तर के अफसरों की पदस्थापना हो सकती है। पहले ऐसा हुआ भी है डीएम अवस्थी जब डीजीपी बनाए गये थे तब भी 3 अन्य डीजी पदस्थ थे जिसमें संजय पिल्ले, आर के विंज तथा मुकेश गुप्ता शामिल थे पर केंद्र की अनुमति लिये बिना ही पदस्थापना तथा मुकेश गुप्ता को निपटाने तीनों डीजी की पदोन्नति रद्द कर दी गई उसके बाद से चर्चा थी कि कभी भी डीपीसी हो जाएगी और संजय तथा विज डीजी पदोन्नत हो जाएंगे पर कभी विधानसभा उपचुनाव, कभी नगरीय निकाय तो कभी पंचायत चुनाव की आचार संहिता का हवाला दिया गया हालांकि इसमें कोई बंदिश नहीं थी। संजय पिल्ले को तो एमडब्लु अंसारी के सेवानिवृत्ति होते ही डीजी पदोन्नत हो जाना था। खैर सूत्रों की माने तो 2 डीजी संजय पिल्ले तथा आरके विज की पदोन्नति में कोई रूकावट ही नहीं है पर सरकार चाहती है कि इनके साथ ही अशोक जुनेजा को भी पदोन्नत कर डीजी बना दिया जाए और संभवत: सरकार को इसी बात की केंद्र से अनुमति का इंतजार है।

और अब बस….

  • 0 एक चूहे ने हीरा निगल लिया, एक शिकारी को हीरा मालिक ने ठेका दे दिया। शिकारी ने हजारों चूहे के झुंड में उस चूहे को पहचान भी लिया पकड़ भी लिया। अचंभित मालिक ने पूछा कि तुम्हें कैसे पता चला कि इसी चूहे ने डायमंड निगला है। शिकारी ने कहा कि बहुत ही आसान है। जब मूर्ख धनवान बन जाता है तो वह अपनों से मेल मिलाप छोड़ देता है और अलग-थलग हो जाता है।
  • 0 कभी बिलासपुर में आईजी पदस्थ रहे दीपांशु काबरा को पुन: बिलासपुर का आईजी बनाया गया है। वे पुलिस मुख्यालय में कई महीने बिना विभाग के अटैच थे।
  • 0 जल्दी ही कुछ पुलिस अधीक्षकों को इधर-उधर किया जा सकता है। कुछ की मुख्यालय वापसी होगी तो कुछ प्रमोटी आईपीएस को कप्तान बनाया जा सकता है।