दुर्ग यूनिवर्सिटी की कुलपति ने CA भवन में दो दिवसीय नेशनल कॉन्फ्रेंस का किया शुभारंभ..

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16 नवंबर 2019 भिलाई नगर। सीए भवन, सिविक सेंटर में आज दो दिवसीय नेशनल कांफ्रेंस का शुभारंभ किया गया। भिलाई एवं रायपुर शाखा के संयुक्त तत्वाधान में आयोजित इस नेशनल कांफ्रेंस के पहले दिन बतौर मुख्य अतिथि हेमचंद यादव विवि, दुर्ग की कुलपति डॉ. अरूणा पल्टा उपस्थित रहीं। वहीं विशिष्ट अतिथि के रूप में सेंट्रल काउंसिल मेंबर सीए केमिशा सोनी, सीए राजेश शर्मा एवं सीए अनुज गोयल उपस्थित रहे। आयोजन के पहले दिन आज दो सत्रों में जीएसटी एवं इनकम टैक्स संबंधी जरूरी बिंदुओं पर बतौर मुख्य वक्ता सीए बिमल जैन एवं सीए प्रमोद जैन ने जानकारी दी। कार्यक्रम का शुभारंभ मां सरस्वती के तैलचित्र पर दीप प्रज्जवलन कर किया गया।

मुख्य अतिथि कुलपति डॉ. अरूणा पल्टा ने उपस्थितजनों को संबोधित करते हुए कहा कि आज के दौर में किसी के भी कार्य औऱ उसे करने वाले का महत्व काफी बढ़ गया है। इसकी वजह ये है कि कार्य करने वाले लोग तो बहुत ज्यादा हो गये हैं लेकिन इसे बेहतर से बेहतर तरीके से अंजाम देने वाले लोग बहुत कम हैं।

हर कार्य का अपना अलग महत्व होता है इसलिए हम सबके यह जरूरी है कि किसी भी कार्य की महत्ता को समझते हुए उसे करें। इस अवसर पर सीए ब्रांच के प्रतिनिधिमण्डल द्वारा कुलपति को यूनिवर्सिटी में छात्रों के लिए पाठ्यक्रम संबंधी महत्वपूर्ण सुझाव भी दिये।

कार्यक्रम की विशिष्ट अतिथि सेंट्रल काउंसिल मेंबर सीए केमिशा सोनी ने सीए संस्था द्वारा किये जा रहे नई पहल की जानकारी सभी सदस्यों को दी। कार्यक्रम के मुख्य वक्ता नई दिल्ली से आए सीए बिमल जैन ने जीएसटी संबंधी महत्वपूर्ण जानकारियां साझा की। उन्होंने इनपुट टैक्स की जानकारी देते हुए स्पष्ट किया कि इनपुट क्रेडिट और इनपुट टैक्स क्रेडिट दोनों एक ही चीजें हैं। मूल रूप से यह इनपुट टैक्स क्रेडिट ही होता है। जीएसटी में इनपुट क्रेडिट ही वह व्यवस्था है, जो यह सुनिश्चित करती है कि किसी एक वस्तु पर दोहरा कर न लगे। यानी कि एक वस्तु पर सरकार को जितना टैक्स मिलना है, उसका पूरा का पूरा बोझ अंतिम खरीदार या उपभोक्ता पर पड़े। माल खरीद की श्रृंखला में बीच में पड़ने वाले कारोबारियों पर उसका बोझ न पड़े।

उन्होंने बताया कि इनपुट क्रेडिट ऐसे क्रेडिट होते हैं, जिनका उपयोग कारोबारी अपनी आउटपुट टैक्स देनदारी चुकता करने के लिए कर सकते हैं। ये क्रेडिट उसे उस टैक्स पेमेंट के बदले में मिलते हैं, जो उसने पहले अपनी माल खरीद के साथ कहीं चुकाया होता है। चूंकि ये क्रेडिट उसे इनपुट टैक्स के बदले में मिले होते हैं, इसलिए इन्हें इनपुट टैक्स क्रेडिट कहते हैं। उन्होंने जीएसटी फार्म 9 एवं 9 सी के प्रावधानों में हुए बदलावों की जानकारी भी उपस्थितजनों को दी। उन्होंने बताया कि सरकार ने इन दोनों फार्म को सरल बनाने का भी निर्णय लिया है। अब इन दोनों फार्म में विभिन्न क्षेत्रों को वैकल्पिक बनाया जायेगा। उन्होंने कहा कि जीएसटीआर 9 और जीएसटीआर 9 सी को भरने में आ रही कठिनाइयों को लेकर मिले ज्ञापनों के आधार पर इनको भरने की अंतिम तिथि बढ़ाने का निर्णय लिया गया है।

कार्यक्रम का स्वागत भाषण ब्रांच के चेयरमेन सीए नितिन रूंगटा ने दिया। कार्यक्रम की जानकारी सीए अरविंद सुराना एवं आभार प्रदर्शन सीए दीपक जैन ने किया। कार्यक्रम में दुर्ग- भिलाई, रायपुर, राजनांदगांव सहित बेमेतरा एवं धमतरी के 350 से अधिक सीए सदस्यों ने हिस्सा लिया।

इन बातों का ध्यान रखना जरूरी
सीए बिमल जैन ने इनपुट टैक्स क्रेडिट संबंधी प्रावधानों की जानकारी दी। उन्होंने बताया कि आपके पास अपनी खरीदारी पर चुकाए गये जीएसटी की टैक्स रसीद होनी चाहिए। अगर डेबिट नोट के बदले में इनपुट क्रेडिट क्लेम कर रहे हों तो रिजस्टर्ड डीलर की ओर से जारी डेबिट नोट होना चाहिएं। उन्होंने बताया कि अगर माल की पूरी खेप का मामला होता है, वहां पर पिछली खेप पर चुकाए गए जीएसटी के बदले में जारी टैक्स इनवॉयस पर आप इनपुट टैक्स क्रेडिट क्लेम कर सकते हैं। इसके लिए माल या सेवा के खरीदार को टैक्स रसीद जारी होने की तारीख से तीन महीने के अंदर उस सेवा के लिए पेमेंट देना अनिवार्य होगा। इसी अवधि के अंदर उस खरीदी पर बन रहे टैक्स का भुगतान भी हो जाना चाहिए। इस बीच अगर आपने बिना पेमेंट के उस टैक्स इनवॉयस के आधार पर इनपुट क्रेडिट प्राप्त कर ली है तो जो भी क्रेडिट होंगी, वे आपकी टैक्स देनदारी में जुड़ जाएंगी। साथ ही साथ इन क्रेडिट के बराबर रकम का ब्याज भी चुकाना पड़ेगा।

इनकम टैक्स के नियमों में हुए संशोधन की जानकारी देते हुए सीए प्रमोद जैन ने बताया कि टैक्सपेयर्स की सुविधा के लिए इनकम टैक्स डिपार्टमेंट ने आधार कार्ड धारकों को परमानेंट अकाउंट नंबर की जगह 12 अंकों वाले आधार कार्ड नंबर का इस्तेमाल करने की अनुमति दी थी। लेकिन आधार कार्ड का इस्तेमाल करते हुए आपको सावधानी बरतने की जरूरत है। क्योंकि गलत आधार नंबर देने पर आपको 10 हजार रुपए का भारी जुर्माना चुकाना पड़ सकता है।

इनकम टैक्स एक्ट, 1961 में किए गए हालिया संशोधन से न सिर्फ लोगों को पैन के बदले आधार कार्ड इस्तेमाल करने की अनुमति मिली है, बल्कि इसमें गलत आधार नंबर देने पर जुर्माने का प्रावधान भी जोड़ा गया है। हालांकि यह नियम सिर्फ वहां लागू होगा, जहां पैन कार्ड देना अनिवार्य है, लेकिन व्यक्ति पैन के अभाव में आधार नंबर जमा करता है। जैसे- इनकम टैक्स रिटर्न भरने में, बैंक अकाउंट, डीमैट अकाउंट खोलने में और 50 हजार रुपए से ज्यादा के म्युच्युअल फंड्स, बॉन्ड्स इत्यादि खरीदने पर।

आधार कार्ड को भले ही यूआईडीएआई द्वारा जारी किया जाता है, लेकिन जुर्माना यूआईडीएआई नहीं लगाता, बल्कि इनकम टैक्स विभाग लगाता है। इनकम टैक्स एक्ट, 1961 के सेक्शन 272बी के मुताबिक, डिपार्टमेंट पैन से जुड़े प्रावधानों के पालन में डिफॉल्ट करने पर जुर्माना लगाया जाएगा। पैन लेने, लिखने या प्रमाणित करने में विफलता होने पर हर डिफॉल्ट के लिए 10 हजार रुपए का जुर्माना लगाया जाएगा। पहले यह जुर्माना सिर्फ पैन तक सीमित था, लेकिन जब से पैन और आधार कार्ड को एक दूसरे की जगह इस्तेमाल करने का प्रावधान आया है तब से आधार कार्ड पर भी यह जुर्माना बढ़ा दिया गया है।

इन मामलों में लगेगा जुर्माना

  • अगर आपने पैन की जगह गलत आधार नंबर दिया।
  • खास ट्रांजैक्शन्स में आप पैन और आधार दोनों की नहीं दे पाते हैं।
  • सिर्फ आधार नंबर देना काफी नहीं है। आपको अपना बायोमेट्रिक आईडेंटिफिकेशन भी प्रमाणित करना होगा। ऐसा न कर पाने की स्थिति में आपको जुर्माना देना पड़ेगा।
  • नए नियमों के तहत बैंकों, फानेंशियल संस्थानों पर जुर्माना लगाया जा सकता है अगर वे इस बात को सुनिश्चित नहीं कर पाते हैं कि पैन और आधार नंबर सही लिखा गया है और उसका सत्यापन किया गया है।
  • हर गलती के लिए 10 हजार रुपए का जुर्माना लगाया गया है। अगर आपने दो फॉर्म में अगल आधार नंबर दिया है तो आपको 20 हजार रुपए का जुर्माना अदा करना होगा।