छत्तीसगढ़ी भाषा को 8वीं अनुसूचि का प्रस्ताव पहुंचा दिल्ली… कार्यवाही पर सभी की निगाहें टिकीं…

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रायपुर। छत्तीसगढ़ राज्य बनने के बाद से छत्तीसगढ़ को भाषा का दर्जा दिलाने का प्रयास किया जा रहा है। भाजपा सरकार के समय इसे लेकर भी प्रयास किए गए थे, लेकिन इसे 8वीं अनुसूची में शामिल नहीं करा पाए। अब कांग्रेस सरकार ने छत्तीसगढ़ी भाषा को आठवीं अनुसूची में शामिल करने को लेकर विधानसभा में पारित शासकीय संकल्प को केंद्र सरकार को भेजा है। अब दिल्ली पर सबकी निगाहें टिकी हुई हैं। विधानसभा में मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने छत्तीसगढ़ी को भाषा का दर्जा दिए जाने को लेकर यह संकल्प लाया था कि यह सदन केंद्र सरकार से अनुरोध करता है कि संविधान के अनुच्छेद 344 (1) और अनुच्छेद 351 से सहपठित 8वीं अनुसूची में छत्तीसगढ़ी भाषा को शामिल करने आवश्यक कार्यवाही की जाए।

  • सदन में सदस्यों द्वारा इस पर चर्चा करने के बाद इसे पारित किया गया। विधानसभा सचिवालय ने संकल्प पारित होने के बाद संबंधित विभाग को इसकी सूचना दो दिन बाद ही भेज दी थी।
  • संस्कृति विभाग के संचालक अमृत विकास टोपनो ने बताया कि छत्तीसगढ़ी भाषा का संकल्प के साथ इसके संबंध में अन्य दस्तावेजों को लगाकर इस प्रस्ताव को मुख्यमंत्री कार्यालय को इस माह के पहले सप्ताह में ही भेज दिया गया था। वहां से इसे केंद्र सरकार को भेज दिया गया है।
  • छत्तीसगढ़ी को भाषा का दर्जा दिलाने पूर्व में भाजपा सरकार द्वारा आठवीं अनुसूची में शामिल करने के प्रयास किए गए, लेकिन सफलता नहीं मिली।
  • प्रधानमंत्री को मुख्यमंत्री ने लिखा था पत्र विधानसभा में संकल्प लाने के पहले ही मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर छत्तीसगढ़ी भाषा को 8वीं अनुसूची में शामिल करने का अनुरोध किया था।
  • उन्होंने बताया था कि भाषायी विविधता के परिरक्षण, प्रचलन और विकास आदि के लिए छत्तीसगढ़ राजभाषा आयोग का भी गठन किया गया है। अत: राज्य की जनता की भावनाओं के अनुरूप त्वरित और सकारात्मक निर्णय लेंगे।
  • छत्तीसगढ़ राज्य में बोलचाल की भाषा के रूप में छत्तीसगढ़ी का प्रयोग किया जाता है। अब तक इसे आठवीं अनुसूची में शामिल नहीं किए जाने के कारण भाषा का दर्जा नहीं मिल पाया।
  • राज्य बनने के बाद पूर्व की भाजपा सरकार ने 28 नवंबर 2007 को विधानसभा में छत्तीसगढ़ी राजभाषा आयोग विधेयक पारित किया था। आयोग का उद्देश्य छत्तीसगढ़ी भाषा को 8वीं अनुसूची में दर्जा दिलाना है।

राज्यसभा सांसद फूलोदेवी नेताम ने शून्यकाल में उठाया मुद्दा

छत्तीसगढ़ी को राजकाज की भाषा के रूप में उपयोग में लाना और त्रिभाषीय भाषा के रूप में पाठ्यक्रम में शामिल करना है। छत्तीसगढ़ी भाषा को संविधान में जोड़ें : फूलोदेवी छत्तीसगढ़ी भाषा को संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल करने के संबंध में राज्यसभा सांसद फूलोदेवी नेताम ने शून्यकाल में मामला उठाया। उन्होंने कहा कि छत्तीसगढ़ी भाषा का इतिहास बहुत गौरवशाली रहा है।

रामचरितमानस में भी छत्तीसगढ़ी के शब्द मिलते हैं, जैसे बाल कांड में माखी, सोवत, जरहि, बिकार किष्किंधाकाण्ड में पखवारा, लराई, बरसा सुंदरकांड में सोरह, आंगी, मुंदरी आदि छत्तीसगढ़ी शब्द हैं। लेखकों ने भी छत्तीसगढ़ी भाषा में कविताएं, नाटक, निबंध, शोधग्रंथ लिखकर इस भाषा को बढ़ावा देने का प्रयास किया है।

छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा कामकाज में छत्तीसगढ़ी भाषा का उपयोग किया जा रहा है, लेकिन छत्तीसगढ़ी भाषा के विकास के लिए आवश्यक है कि इसे संविधान की आठवीं अनुसूची में जोड़ा जाए।