दैमार में दिखा आईयूसीएन के रेड लिस्ट में शामिल ग्रेटर स्पाटेड ईगल – नेचर कंजर्वेशन की सबसे बड़ी अंतरराष्ट्रीय संस्था है आईयूसीएन, पाटन ब्लाक में है दैमार..

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फ़ोटो और वीडियो के लिए अनुभव शर्मा का साभार

8 अक्टूबर 2019 दुर्ग। पाटन ब्लाक के दैमार ग्राम के आकाश में रहने वाले बाज पक्षियों ने बीते दिन अपने इलाके में अजीब दृश्य देखा। खेत में बिखरे मवेशी की लाश जिन पर अमूमन पहला हक मृतभक्षी के रूप में उनका होता है वहां पर उन्होंने मृतजीव का आनंद लेते कलजंगा अर्थात ग्रेटर स्पाटेड ईगल को देखा। वे आसमान से इस चील को डराने की कोशिश करते रहे लेकिन डीलडौल में और शक्ति के मुकाबले में बीस होने के चलते नीचे उतर कर सामना करने का साहस नहीं कर सके।

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दैमार के पंछियों के लिए ग्रेटर स्पाटेड ईगल का पाया जाना अद्भुत घटना है। यह बहुत ही दुर्लभ पक्षी है जिसकी संख्या दुनिया भर में लगभग चार हजार जोड़ी ही है। बर्ड वाचिंग में रुचि रखने वाले पाटन तहसीलदार श्री अनुभव शर्मा ने इसके संबंध में बताया कि सर्दियों में बड़ी संख्या में प्रवासी पक्षी जब हिंदुस्तान आते हैं तो उन्हीं के साथ ही शिकारी पक्षी रेप्ट्रस भी पहुंच जाते हैं।

दैमार में इस पक्षी का पाया जाना अद्भुत संयोग है क्योंकि आईयूसीएन ने इसे विलुप्ति की कगार में पहुंच चुके पक्षियों की रेड श्रेणी में रखा है।

इसी मौसम में आते हैं हिंदुस्तान- ग्रेटर स्पाटेड ईगल प्रवासी पक्षी है जो मूलतः साइबेरिया की रहवासी है। ठंडियों के मौसम में रूस के अत्याधिक जाड़े से बचने वे अपना समय हिंदुस्तान में गुजारती हैं।

ये सामान्यतः शिकारी पक्षी है और अत्याधिक ऊंचाई से अपने शिकार पर नजर रखती है। बिजली की गति से ये आसमान से नीचे पहुंचती हैं और अपने शिकार को अपने नुकीले पंजों से भेद देती हैं। बाज जैसे शिकारी पक्षी डीलडौल में कम होने की वजह से ग्रेटर स्पाटेड ईगल का मुकाबला नहीं कर पाते और जब ये पक्षी किसी इलाके में पहुंचते हैं तो तुरंत ही इलाके में दीगर शिकारी पक्षियों के बीच अपनी बादशाहत कायम कर लेते हैं।
आईयूसीएन की रेड लिस्ट में हैं शामिल- इंटरनेशनल यूनियन फार कंजर्वेशन आफ नेचर जो विश्व में प्रकृति संरक्षण पर कार्य करने वाली बड़ी संस्था है और इस संबंध में रिसर्च करती है। अपने अध्ययन के पश्चात ग्रेटर स्पाटेड ईगल को रेड लिस्ट में रखा है। श्री शर्मा ने बताया कि पूरी दुनिया में लगभग ४ हजार ग्रेटर स्पाटेड ईगल जोड़े बच गए हैं। चूंकि यह इलाका प्रवासी पक्षियों के सेंट्रल एशियन फ्लाईवे में आता है अतएव यह दुर्लभ घटना हुई और इस विलुप्तप्राय प्रजाति को दैमार में स्पाट किया गया। उन्होंने बताया कि मूल रूप से ये शिकारी पक्षी है और झीलों और तालाबों में खूबसूरती के साथ शिकार करता है। ये सांप, गिरगिट, चूहे जैसे जीवों को आसानी से अपना शिकार बना लेता है।
ऊंचाई लगभग साठ सेमी पर खुलने पर पंख हो जाते हैं 160 सेमी लंबे- सामान्यतः इस पक्षी की ऊंचाई 60 से 70 सेमी तक होती है लेकिन आकाश में उड़ने पर इसके पंख 160 सेमी से 180 सेमी तक खुल जाते हैं। इस पक्षी की कलाबाजी शानदार है और हवा में कुछ ही सेकेंड के भीतर कलाबाजी कर यह पानी में पहुंचकर अपने शिकार को कब्जे में ले सकता है। इसके ताकतवर चोंच मांस को चीरने में इसकी मदद करते हैं।