पाटन के सांकरा में आकार ले रहा जिले का पहला आजीविका केंद्र, एकसाथ 100 से ज्यादा स्व-सहायता महिला समूह को मिलेगा रोजगार, जानिए क्या-कुछ होगा यहां…

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28 अगस्त 2019, भिलाई। आत्मनिर्भर सुराजी गांव के महात्मा गांधी के सपने को साकार करने की दिशा में एक बड़ा कदम मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के नेतृत्व में छत्तीसगढ़ शासन द्वारा उठाया जा रहा है। बीते दिनों मुख्यमंत्री ने आजीविका मूलक गतिविधियों से महिलाओं को व्यापक रूप से जोड़ने आजीविका केंद्र स्थापित करने के निर्देश दिये थे। मुख्यमंत्री के निर्देशानुसार पाटन ब्लाक के ग्राम सांकरा में जिले का पहला आजीविका केंद्र स्थापित किया जा रहा है। हरेली के पावन अवसर पर मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने इसका भूमिपूजन किया। अब इस पर तेजी से काम हो रहा है। यथाशीघ्र यह केंद्र प्रारंभ कर दिया जाएगा। 15 एकड़ क्षेत्र में फैले इस विशाल कैंपस में सांकरा और नजदीकी गांवों की स्वसहायता समूह की महिलाएं आजीविकामूलक गतिविधियों में संलग्न रहेंगी। इन गांवों के 100 स्वसहायता समूहों की एक हजार महिलाओं को इसके माध्यम से रोजगार मिल सकेगा। फिलहाल 60 स्वसहायता समूहों की छह सौ महिलाओं का चयन इसके लिए कर लिया गया है। आजीविका केंद्र की लागत लगभग 4 करोड़ रुपए होगी और इसमें 12 लाख रुपए के मूल्य के चार शेड बनाये जा रहे हैं जिसमें विभिन्न आजीविका मूलक गतिविधियां होंगी।

उल्लेखनीय है कि इसी साल पाटन को बिहान योजना अंतर्गत इंटेसिव ब्लाक के रूप में चुना गया है। मुख्यमंत्री के निर्देश पर जिला प्रशासन द्वारा आजीविका मूलक गतिविधियों को पाटन ब्लाक में बढ़ाने के लिए तेजी से कार्य किया जा रहा है। अब तक 290 स्वसहायता समूहों के माध्यम से पाटन ब्लाक की 3527 महिलाओं को आजीविकामूलक गतिविधियों से जोड़ा जा चुका है। उल्लेखनीय है कि मुख्यमंत्री ने हरेली तिहार के दिन प्रतीकात्मक रूप से पांच महिला समूहों को रिवाल्विंग फंड भी प्रदान किया था।

उत्पादों के लिए बाजार भी उपलब्ध

जिला पंचायत सीईओ गजेंद्र सिंह ठाकुर ने बताया कि आजीविका केंद्र में लगभग 1 हजार महिलाओं के रोजगार की व्यवस्था होगी। इनके द्वारा विविध तरह के उत्पाद बनाये जाएंगे। इनके उत्पादों के विक्रय के लिए बाजार की उपलब्धता सुनिश्चित कर ली गई है। विभिन्न कंपनियों से इन एसएचजी के उत्पादों के क्रय के संबंध में चर्चा की गई है।

रोजगार भी और लाभांश भी

आजीविका केंद्र में तीन प्रकार के व्यावसायिक माडल एसएचजी के लिए रखे गए हैं। पहले माडल में सामान कंपनियां उपलब्ध कराएंगी और इन्हें बनाने के पश्चात विक्रय का लाभांश दिया जाएगा। दूसरे माडल में प्रति दिन कार्य के अनुसार भुगतान किया जाएगा तथा लाभांश का निश्चित हिस्सा दिया जाएगा। तीसरे माडल में यदि एसएचजी स्वयं सामान बनाकर बेचना चाहें तो इन्हें विक्रय का प्लेटफार्म उपलब्ध कराया जाएगा।

मनरेगा कार्यों के लिए भी आजीविका केंद्र से होगी खरीदी

आजीविका केंद्र में सीमेंट पोल, इंटरलाक सीमेंट, फेंसिंग वायर आदि बनाए जाएंगे। इनका क्रय मनरेगा कार्यों के लिए भी किया जाएगा। ग्रामीण क्षेत्रों में इंटरलाक सीमेंट आदि का उपयोग सड़क बनाने के लिए किया जाएगा। फ्लाई ऐश से बनी ईंटों का उपयोग प्रधानमंत्री आवास के लिए बनने वालों घरों में हो सकेगा। इन सभी गतिविधियों से लिए अलग अलग शेड बनाये जा रहे हैं। इनकी मशीने भी यहां उपलब्ध होंगी। पहली बार महिलाएं ऐसी गतिविधियों में भी हिस्सा लेंगी जो अब तक पुरुषों का ही क्षेत्र थे। यह महिला सशक्तिकरण की दिशा में भी मील का पत्थर साबित होगा।

130 तरह की रोजगार मूलक गतिविधियां हैं, बाजार की जरूरतों के मुताबिक होगी ट्रेनिंग और फिर इनके उत्पाद बनाकर विक्रय करेंगी महिलाएं

आजीविका केंद्र में व्यावसायिक जरूरतों के अनुरूप उत्पाद बनाने का प्रशिक्षण दिया जाएगा। इसके साथ ही इन उत्पादों के क्षेत्र में काम करने वाली कंपनियों के माध्यम से इसका विक्रय किया जाएगा। यदि समूह किसी खास उत्पाद के निर्माण में सिद्धहस्त है तो वो स्वयं ही अपने ब्रांड के माध्यम से इसका विक्रय कर सकेगा। इसके लिए प्लेटफार्म भी उपलब्ध कराया जाएगा।