लॉकडाउन में चौपट था धंधा.. सेन समाज के अध्यक्ष रिकेश सेन ने प्रशासन से किया आग्रह.. 2 घंटे में मिल गई अनुमति.. रिकेश सेन ने मुख्यमंत्री समेत कलेक्टर का जताया आभार..

0
566

भिलाई 13 मई, 2020। लॉकडाउन निश्चित तौर पर जिले वासियों को कोरोना वायरस जैसी गंभीर महामारी से बचा रहा है। सोशल डिस्टेंसिंग का भी पालन काफी हद तक हो रहा है। इसी का परिणाम है कि प्रदेश में कोरोना के पॉजिटिव केस कंट्रोल में हैं, लेकिन लॉकडाउन के चलते लोगों की कमर टूटने लगी है। लॉकडाउन से शहर से लेकर गांव तक लोगों के बाल काटकर, दाढ़ी बनाकर भरण-पोषण करने वाला नाई समाज सबसे ज्यादा परेशान होने लगे थे।

इसी बीच अच्छी खबर है कि दुर्ग जिला प्रशासन ने सैलून और स्पा सेंटर खोलने की अनुमति दे दी है। यह सब संभव हुआ है दुर्ग जिले के सेन समाज के अध्यक्ष रिकेश सेन की बदौलत। प्रदेश का पहला ऐसा जिला है जहां सैलून और स्पा सेंटर खोलने की अनुमति मिली है। वो सोमवार से शुक्रवार तक सुबह 9 बजे से शाम 4 बजे है।

  • सेन समाज के अध्यक्ष रिकेश सेन में समाज के लोगों को दर्द समझते हुए आज दुर्ग कलेक्टर अंकित आनंद से मुलाकात करने पहुंचे थे। इस दौरान उन्होंने कलेक्टर से सैलून और स्पा सेंटर खोलने की मांग की थी।
  • रिकेश सेन ने कहा कि जब सब्जी, दूध, फल, फूल, खाद्यान्न सामग्री सहित अन्य दुकानदारों को थोड़ी छूट दी जा रही है, तो आखिर नाई समाज के लोगों को क्यों नहीं दी जा रही। कुछ घंटे काम करके रुपए जुटाए तो किसी तरह से परिवार का भरण-पोषण कर पाएं।
  • रिकेश सेन ने बताया कि समाज के कई लोग छोटी सी दुकान लगाकर अपनी रोजी-रोटी चलाते है। समस्या को लेकर कलेक्टर को ज्ञापन भी सौंपा। जिसके बाद कलेक्टर अंकित आनंद ने तत्काल 2 घंटे के भीतर सैलून व स्पा सेंटर खोलने का आदेश जारी कर दिया।

मुख्यमंत्री समेत कलेक्टर का जताया आभार

रिकेश सेन ने मुख्यमंत्री भूपेश बघेल और कलेक्टर अंकित आनंद का आभार जताया है। उन्होंने कहा इस संकट की घड़ी में सेन समाज के लोगों के लिए यह आदेश बहुत बड़ी मदद है।  

समाज के लोगों की बिगड़ रही माली हालत

सेन समाज के लोगों की माली हालत सिर्फ शहर में ही नहीं बल्कि ग्रामीण क्षेत्रों में भी खराब हो चली थी। अंडा, धमधा, पाटन, उतई जैसे बड़े गांव एवं कस्बों के नाइयों की दुकानें भी बंद हैं। वे घरों में कैद हैं।

रिकेश सेन ने बताया कि समाज के कई लोग भूमिहीन व्यक्ति है। गांवों किसानों के घर-घर जाकर बाल काटते है। किसानों के यहां से मिलने वाला फसलीवार गेहूं व धान से परिवार का भरण-पोषण चलता है। साथ ही कुछ अन्य लोगों के बाल नगद लेकर भी काटने का काम करता था, जिससे घर का खर्च निकल आता था। लॉडाउन से पूरा परिवार आर्थिक तंगी से जूझ रहा था। अब जिला प्रशासन के फैसले से राहत जरुरी मिलेगी।