CG METRO Special: कांग्रेस के लिए मील का पत्थर साबित हुए ताम्रध्वज साहू, जानिए ओबीसी फैक्टर कितना कारगर साबित हुआ..?

0
81

सीजी मेट्रो डॉट कॉम @ मनोज कुमार साहू

रायपुर 11 दिसंबर 2018। छत्तीसगढ़ में इस बार परिवर्तन की ऐसी लहर चली कि भाजपा के प्रत्याशी को चुनावी मैदान के काफी दूर-दूर तक जा फेंकी। प्रदेश में 15 साल बाद कांग्रेस का वनवास खत्म हो गया है। इस लहर के पीछे पार्टी के बड़े नेता से लेकर बूथ स्तर तक के कार्यकर्ताओं की मेहनत है। लेकिन इन सबके अलग ताम्रध्वज साहू कांग्रेस पार्टी के लिए मिल का पत्थर साबित हुए।

ताम्रध्वज साहू को कांग्रेस में ओबीसी का बड़ा चेहरा माना जाता है। भाजपा के 14 साहू प्रत्याशियों को टक्कर देने कांग्रेस ने ताम्रध्वज साहू को चुनाव मैदान में उतारकर बड़ा दाव खेला था। यहीं वजह रही कि साहू के चुनावी रण में उतरने के बाद ना सिर्फ दुर्ग संभाग की सीटों पर और ना ही प्रदेश की सीटों पर ब्लकि कई राज्यों के चुनाव में इसका प्रभाव पड़ा। वहीं छत्तीसगढ़ की 14 सीटों की बात करें तो भाजपा के 14 साहू प्रत्याशियों में से 13 सीटों पर कांग्रेस को बड़ी जीत मिली। मात्र एक सीट धमतरी से पार्टी को हार का सामना करना पड़ा। ना सिर्फ साहू ब्लकि प्रदेश के सभी ओबीसी कैंडिडेंट वाली सीटों पर कांग्रेस के ज्यादातक ओबीसी कैंडिडेंट ने जीत दर्ज की है। ऐसा माना जा रहा कि उनके चुनाव लड़ने से पूरे प्रदेश में काफी प्रभाव पड़ा है।

ओबीसी फैक्टर की वजह से छत्तीसगढ़ में भाजपा का जहां सुपड़ा साफ हो गया, तो वहीं दुर्ग, रायपुर और बिलासपुर संभाग में भी भाजपा चारों खाने चित हो गयी। दुर्ग-रायपुर में भी भाजपा के ओबीसी प्रत्याशी अपनी इज्जत नहीं बचा सके। दुर्ग संभाग की साहू को दिये गए 5 सीटों में एक पर भी जीत दर्ज नहीं कर सकी भाजपा। सभी सीटों पर कांग्रेस ने कब्जा जमा लिया।

छत्तीसगढ़ में करीब 50 प्रतिशत ओबीसी वाली आबादी में ओबीसी फैक्टर किस कदर हावी था, इसका इसी बात से अंदाजा लगाया जा सकता है कि छत्तीसगढ़ के तीन बार के चुनाव में इतनी बुरी हार कांग्रेस की भी कभी नहीं हुई।

कांग्रेस की इस रणनीति से सत्ता हासिल करने में काफी मदद मिली। ओबीसी का बड़ा चेहरा होने के नाते ताम्रध्वज साहू ने ऐड़ी चोटी लगा दी थी। इस चुनाव से सबसे खास बात ये देखने को मिली कि दुर्ग ग्रामीण से प्रतिमा चंद्राकर के बी फॉर्म जमा करने के बाद भी ताम्रध्वज को टिकट दिया गया। जिसका निगेटिव इफैक्ट माना जा रहा था। लेकिन ताम्रध्वज के स्वभाव से ना तो तात्कालिक प्रत्याशी प्रतिमा चंद्राकर नाराज हुई और ना ही कोई अन्य दावेदारी की नाराजगी सामने आयीं। ताम्रध्वज के कुशल व्यवहार से इस बार प्रदेश के कई सीटों में पार्टी के कोई भी नेता बगावती तेवर नहीं दिखाए। अगर किसी को टिकट नहीं मिली तो उसने घर बैठ गए या फिर कोई काम नहीं किया। या फिर दूसरे विधानसभा क्षेत्र में कांग्रेस के पक्ष में प्रचार किये। इन्ही एकजुटता से आज ये परिणाम सामने है।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here