राज्य सरकार ने बताया- ‘गोधन न्याय योजना‘ से क्या होगा लाभ.. गांवों में कैसे बढ़ सकती है आमदनी…

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रायपुर 07 जुलाई, 2020। छत्तीसगढ़ की भूपेश सरकार ने ग्रामीणों और गौ पालकों की आमदनी बढ़ाने का बीठा उठा लिया है। राज्य सरकार ने बताया कि ‘गोधन न्याय योजना‘ से ग्रामीणों को कैसे रोजगार मिले और कैसे वे अपनी आमदनी बढ़ा सकते है। दरअसल राज्य सरकार का कहना है कि गोधन न्याय योजना गांव में अतिरिक्त आमदनी का जरिया साबित होगा। राज्य सरकार की दूरदर्शिता से पशु पालकों और किसानों के हित मे बनाई गई यह योजना राज्य के किसानों के लिए आर्थिक समृद्धि का आधार बनेगी। गांवों में गौठान आजीविका का केन्द्र बनेगा, रोजगार के अवसर बढ़ेंगे। इस योजना से किसान अतिरिक्त आमदनी जुटाकर अपनी आर्थिक स्थिति को मजबूत कर सकते है। किसानों के साथ-साथ हर वर्ग को इस योजना से फायदा होगा। गोधन न्याय योजना के माध्यम से तैयार होने वाले वर्मी कम्पोस्ट खाद की बिक्री सहकारी समितियों के माध्यम से होगी। राज्य मे किसानों के साथ-साथ वन, कृषि, उद्यानिकी, नगरीय प्रशासन विभाग को पौधरोपण एवं उद्यानिकी की खेती के समय बड़ी मात्रा मे खाद की जरुरत होती है। इसकी आपूर्ति इस योजना के माध्यम से उत्पादित खाद से हो सकेगी।

  • जांजगीर-चांपा जिले में राज्य सरकार की सुराजी गांव योजना नरवा, गरुवा, घुरवा अऊ बाड़ी के तहत सभी 9 विकासखण्डों मे 335 गौठान निर्माण स्वीकृत किए गए हैं। इनमें से 209 गौठानों का कार्य पूर्ण हो चुके हैं और शेष गोठान का कार्य प्रगतिरत है।
  • गावों में आर्थिक गतिविधियों को बढ़ावा देने के लिए तैयार की गई गोधन न्याय योजना के तहत छुट्टा घुमने वाले पशुओं को गोठान में एकत्र कर रखा जाएगा। इससे फसलों की सुरक्षा होगी।
  • गोठान में एकत्र गोबर से वर्मी कम्पोस्ट खाद बनाया जाएगा। खाद बिक्री से गौठान समिति, किसानों और पशु पालकों को अतिरिक्त आमदनी होगी। शहरों में खुले में घुमने वाले पशुओं की रोकथाम होगी, जानमाल एवं फसल नुकसान पर लगाम लगेगी। वर्मी कम्पोस्ट से जैविक खेती को बढ़ावा मिलेगा।
  • रासायनिक खादों के नकारात्मक प्रभाव से निजात मिलेगी। किसान फसलों का अधिक उपज ले सकेंगे। इस खाद से भूमि की उर्वरता भी बढ़ेगी। पर्यावरण संरक्षण की दृष्टि से भी यह योजना महत्वपूर्ण है।
  • फसल कटाई के बाद खेतों मे पैरा सहित फसल अपशिष्ट जला दिया जाता है। इससे पर्यावरण को भी नुकसान पहुँचता है। फसल अपशिष्ट पैरा मवेशियों के चारा के रूप में उपयोग होगा। किसान खेत में पैरा नहीं जलाएगें, पर्यावरण की सुरक्षा भी होगी।