तीजन बाई की त्याग और संघर्ष को सलाम: कभी स्कूल के दरवाजे तक नहीं चढ़ी, चार बार मिली डिलीट्स की उपाधि, पद्मश्री से लेकर पद्म भूषण मिला और अब मिलेगा देश का दूसरा सबसे बड़ा पुरस्कार, पढ़िए संघर्ष की पूरी स्टोरी

0
185

26 जनवरी 2019 भिलाई@ मनोज कुमार साहू। अंतरराष्ट्रीय पंडवानी गायिका डॉ. तीजन बाई को देश का दूसरा सबसे बड़ा पुरस्कार पद्म विभूषण मिलने जा रहा है। इसका ऐलान हो गया है। यह पुरस्कार प्राप्त करने वाली प्रदेश से पहली छत्तीसगढ़ियां कलाकार है। अब तक प्रदेश में किसी को भी पद्म विभूषण नहीं मिला है। तीजन बाई ने पांडवानी के लिए काफी कुछ त्याग किया है।

– गनियारी में जन्मी तीजन के पिता का नाम हुनुकलाल परधा और माता का नाम सुखवती था।
– नन्हीं तीजन अपने नाना ब्रजलाल को महाभारत की कहानियां गाते सुनाते देखतीं और धीरे-धीरे उन्हें ये कहानियां याद होने लगीं।
– उनकी अद्भुत लगन और प्रतिभा को देखकर उमेद सिंह देशमुख ने उन्हें अनौपचारिक प्रशिक्षण भी दिया।
– 13 वर्ष की उम्र में उन्होंने अपना पहला मंच प्रदर्शन किया।
– उस समय में महिला पंडवानी गायिकाएं केवल बैठकर गा सकती थीं जिसे वेदमती शैली कहा जाता है।
– पुरुष खड़े होकर कापालिक शैली में गाते थे।
– तीजनबाई वे पहली महिला थीं कापालिक शैली में पांडवानी की।

– बचपन में स्कूल का मुंह न देख पाने वाली पंडवानी गायिका तीजन बाई साक्षरता अभियान में किसी तरह पांचवीं की सीढ़ी ही चढ़ पाईं लेकिन उनकी पंडवानी की ऐसी धूम रही कि भारत रत्न छोड़ सब पुरस्कार मिल गए।
– तीजन बाई ट्विनसिटी की ऐसी एकमात्र हस्ती हैं जिन्हें डि लिट् की इतनी उपाधि मिली है।
– एक दिन ऐसा भी आया जब प्रसिद्ध रंगकर्मी हबीब तनवीर ने उन्हें सुना और तबसे तीजनबाई का जीवन बदल गया। तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गाँधी से लेकर अनेक अतिविशिष्ट लोगों के सामने देश-विदेश में उन्होंने अपनी कला का प्रदर्शन किया।

तीजन बाई को अब तक मिले सम्मान
– 1988 में भारत सरकार द्वारा पद्मश्री
– 2003 में कला के क्षेत्र में पद्म भूषण से अलंकृत की गयीं।
– 1995 में संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार
– 2007 में नृत्य शिरोमणि से भी सम्मानित किया गया।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here