गरीब लहरों पे पहरे बिठाये जाते हैं.. समंदरों की तलाशी कोई नहीं लेता.. पढ़िए वरिष्ठ पत्रकार शंकर पांडेय की बैक टू बैक थ्री स्टोरी..

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शंकर पांडेय, वरिष्ठ पत्रकार

गरीब लहरों पे पहरे बिठाये जाते हैं.. समंदरों की तलाशी कोई नहीं लेता.. 

महिला वह भी आदिवासी समाज का काफी समय से नेतृत्व करने वाली सुश्री अनसुइया उइके ने छग के छठवें राज्यपाल के रूप में शपथ ग्रहण कर लिया है। राज्य की पहली आदिवासी राज्यपाल सुश्री उइके अविभाजित म.प्र. में अर्जुन सिंह मंत्रिमंडल की सदस्य रहीं, बाद में भाजपा की तरफ से राज्यसभा सदस्य रहीं और राज्यपाल बनने के पहले राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग की उपाध्यक्ष का भी दायित्व सम्हाल रही थी। संभवत: वह देश की सबसे कम उम्र की राज्यपाल हैं। एक बार विधायक, एक बार राज्यसभा सदस्य रहकर जिस तरह से उन्होंने राज्यपाल बनने का सफर एक गांव से शुरू करके पूरा किया है यह उनकी संघर्ष क्षमता का बड़ा उदाहरण है।

वरिष्ठ पत्रकार डॉ. अश्वनी शास्त्री द्वारा लिखित पुस्तक ‘भारतीय राजनीति की 50 शिखर महिलाएं’ का बीते वर्ष 29 मई 2018 को उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू ने लोकापर्ण किया था, उस पुस्तक में भी सुश्री अनसुईया उइके को शामिल किया गया है। नवभारत टाईम्स के पत्रकार डॉ. अश्वनी शास्त्री ने भारतीय राजनीति में महिलाओं की भूमिका पर आधारित भारतीय राजनीति की 50 शिखर महिलाएं नामक पुस्तक में 50 राजनीतिक महिलाओं से साक्षात्कार, उनके जीवन संघर्ष, राजनीति में आई चुनौतियों और देश के विकास में उनके योगदान को स्थान दिया है। इस पुस्तक राजनीति में सक्रिय शिखर महिला राजनीतिज्ञों में सोनिया गांधी, तत्कालीन लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन, दिल्ली की 15 वर्षों तक मुख्यमंत्री रही शीला दीक्षित, पूर्व मुख्यमंत्री जयललिता, वसुंधरा राजे, उमा भारतीय, पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री सुश्री ममता बेनर्जी, सांसद तथा फिल्म अभिनेत्री जया बच्चन, हेमा मालिनी, वरिष्ठ सांसद मेनका गांधी, जम्मू कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती, भाजपा की पूर्व वरिष्ठ मंत्री सुषमा स्वराज, केन्द्र में मंत्री निर्मला सीतारमण, स्मृति ईरानी आदि के साथ छत्तीसगढ़ की राज्यपाल (उस समय राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति की उपाध्यक्ष) सुश्री अनसुईया उइके तथा छत्तीसगढ़ में कभी सरायपाली में एक छात्रावास प्रभारी रह चुकी, बाद में म.प्र. मंत्रिमंडल की सदस्य तथा राज्यपाल उर्मिला सिंह को भी स्थान दिया गया है।

सुश्री अनसुइया उइके के संघर्षपूर्ण जीवन के विषय में यही कहा जा सकता है कि जीवन संघर्ष, चुनौतियों का सामना या यो कहें कि मुकाबला करके वे इस शिखर तक पहुंची हैं। मध्यप्रदेश के छिंदवाड़ा जिले के एक आदिवासी परिवार में जन्मी सुश्री उइके जिन विपरीत परिस्थितियों में चलकर अपने आप को स्थापित किया है वह वास्तव में काबिले तारीफ है। परिवार में पर्याप्त पैसा न होने पर भी इन्होंने न केवल पढ़ाई जारी रखी बल्कि पढ़ाई के साथ-साथ छोटा-मोटा काम करके अपने पिता के आर्थिक बोझ को भी बहुत हद तक हल्का किया पढ़ाई और समाज सेवा के साथ इन्होंने छात्र जीवन में आने का प्रण लिया। अकेले ही संघर्ष के पथ पर चलकर म.प्र. की राजनीति में विधायक राज्यमंत्री का सफर पूरा करके राज्यसभा सदस्य के रूप में भी अपनी मुकम्मल जगह बनाई। इसी के साथ ही राजनीतिक और संवैधानिक पदों पर रहते हुए समाज और देश के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। बहरहाल म.प्र. तथा छत्तीसगढ़ को इन्होंने अच्छी तरह देखा है। वर्तमान विधानसभा अध्यक्ष डॉ. चरणदास महंत के साथ मंत्रिमंडल की सदस्य रही हैं तो राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग के अध्यक्ष नंदकुमार साय के साथ भी इन्होंने उपाध्यक्ष का पदभार सम्हाला है, नंदकुमार साय छत्तीसगढ़ के जाने माने वरिष्ठ आदिवासी नेता हैं।

ये हरेली तिहार क्या….?

छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भाई भूपेश बघेल ठेठ छत्तीसगढिय़ा है, किसान पुत्र हैं, अनुभवी राजनेता हैं। दिग्विजय सिंह तथा अजीत जोगी मंत्रिमंडल के हिस्सा रह चुके हैं। मुख्यमंत्री बनते ही जिस तरह के ग्रामीण उत्थान, किसान मजदूर तथा ग्रामीण अर्थव्यवस्था सुधारने प्रयासरत हैं  वह ‘धान के कटोरा’ के लिए स्वागतेय है। उन्होंने पहले ‘नरवा, गरुवा, घुरवा तथा बाड़ी,… छत्तीसगढ़ के चार चिन्हारी’ योजना शुरू की तो कई अफसर सहित नेताओं को यह समझ में नहीं आया पर अब धीरे-धीरे लोगों को समझ में आ रहा है पर अभी भी कई अधिकारी तफ्सील से इसके बारे में बता सकेंगे ऐसा लगता नहीं है पर जिस उत्साहपूर्वक तरीके से मुख्यमंत्री ने ‘हरेली पर्व’ मनाने की घोषणा की, उस दिन सार्वजनिक अवकाश घोषित किया तब नये रायपुर मंत्रालय से तहसील स्तर तक पदस्थ कुछ अफसर ‘हरेली’ को समझने में लग गये थे।

दरअसल ‘हरेली तिहार’ छत्तीसगढ़ के धान के कटोरा में साल का पहला तिहार इसलिए कहा जाता है क्योंकि सावन महीने की हरेली अमावस्या तक किसान बोवाई का काम पूरा कर लेते हैं तथा नई फसल की बेहतर शुरुवात मानकर कृषि उपकरणों, पशुधन को धन्यवाद दिया जाता है। उल्लास में कुलदेवता, खेती बाड़ी के औजार हल, बैल आदि की पूजा की जाती है, मीठा चीला का भोग भी लगाया जाता है। खुशी में गेड़ी चढऩे की भी परंपरा है यही नहीं शहरों बड़े गांवों में नारियल फेंक स्पर्धा होती है, इसी के साथ ग्रामीण क्षेत्रों में फुगड़ी कबड्डी, कुश्ती, खो-खो, गिल्ली डंडा, भौंरा, बिल्लस, लंगड़ी दौड़ आदि का भी आयोजन होता है। मुख्यमंत्री ने हरेली में ग्रामीण रंग में रंगने का आदेश पूर्व में देकर मंत्रियों को जिलों की जिम्मेदारी भी दे दी थी। बहरहाल इसमें भी भाजपा को राजनीति दिख रही है। दरअसल भूपेश का लक्ष्य फिलहाल ग्रामीण जनों सहित किसान है। किसानों का कर्जमाफ, सिंचाई कर माफ, नरवा, गरवा,घुरवा, बाड़ी योजना, बिजली बिल हाफ, 5 डिसमिल से कम भूखंडों की खरीदी बिक्री से रोक हटाना जमीनों की कलेक्टर दर कम करना आदि कुछ उल्लेखनीय कदम भूपेश ने उठाये हैं। बहरहाल, नरवा, गरुवा, घुरवा और बाड़ी योजना के बाद ‘हरेली तिहार’ कुछ अफसरों के लिए ‘शोध’ का कारण बना हुआ है।

साय, कुजूर, सुब्रमणियम…

राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग के अध्यक्ष तथा छग के पहले नेता प्रतिपक्ष रहे नंदकुमार साय ने छत्तीसगढ़ की भूपेश बघेल सरकार को आदिवासियों की हितैषी सरकार बताकर भाजपा के कुछ बयानवीर नेताओं को चुपकर दिया है उनका यह कहना कि भूपेश सरकार ने चीफ सेकेट्री जैसे पद पर आदिवासी की नियुक्ति पर भी एक तरह से सरकार के कदम का स्वागत ही कर दिया है। ऐसे में लगता है कि छग के मुख्य सचिव सुनील कुजूर का कार्यकाल 6 माह बढ़ाने के राज्य सरकार के अनुरोध पर नंदकुमार साय भी मदद कर दें तो कोई आश्चर्य नहीं है। इधर चर्चा है कि जम्मू-कश्मीर में 3-4 माह के भीतर विधानसभा चुनाव हो जाएंगे तो वहां के मुख्य सचिव बीबीआर सुब्रमणियम भी अपने मूल कॉडर छत्तीसगढ़ लौट सकते हैं? ऐसे में अगला मुख्य सचिव बनने की संभावना है क्योंकि उनकी ईमानदार छवि के साथ केन्द्र में उनकी मजबूत पकड़ का भी छत्तीसगढ़ को लाभ मिल सकता है वैसे सुनील कुजूर के सेवानिवृत्तिके बाद 6 माह कार्यकाल बढ़ाये जाने के राज्य सरकार के अनुरोध को मनाने में बीबीआर सुब्रमणियम की भी अहम भूमिका हो सकती है। वैसे छत्तीसगढ़ में अभी मुख्य सचिव की दौड़ में सबसे आगे एसीएस आर पी. मंडल चल रहे हैं वहीं दूसरे एसीएस सीके खेतान भी अपना दबाव बना रहे हैं हालांकि सरकार की गुडबुक में वे नहीं है। वैसे सुनील कुजूर की 6 माह सेवावृद्धि पर केंद्र के फैसले पर भी सभी की निगाह टिकी है।

और अब बस…

  • परिवहन विभाग में बैरियर स्थापित करने का निर्णय से सरकार अचानक पीछे कदम क्यों खींच लिया।
  • जेल एवं होमगार्ड के महानिदेशक विनय कुमार सिंह एफबीआई (अमेरिकी गुप्तचर एजेंसी) में भी कुछ समय प्रतिनियुक्ति में रह चुके हैं।
  • विशेष महानिदेशक मुकेश गुप्ता की क्या गिरफ्तारी हो पाएगी…।
  • तीन जनसंपर्क अधिकारियों की सेवानिवृत्ति होने पर विदाई क्यों इतनी फीकी फीकी रही…।
  • बेमेतरा कलेक्टर शिखा राजपूत के खिलाफ एक और जांच शुरु हो गई है।

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