रेलवे का प्राइवेटाइजेशन की ओर बढ़ा कदम.. 109 रुटों पर दौड़ेगी 151 प्राइवेट ट्रेनें.. मांगा प्रपोजल…

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नई दिल्ली। रेलवे ने प्राइवेटाइजेशन की ओर एक कदम बढ़ाया है। रेलवे ने देश में पैसेंजर ट्रेन सर्विस ऑपरेट करने के लिए प्राइवेट पार्टी के लिए दरवाजे खोल दिए हैं। देश में 109 डेस्टिनेशन रूट पर प्राइवेट कंपनियां ट्रेन ऑपरेट कर पाएंगी। इसमें 30 हजार करोड़ रुपये के इनवेस्टमेंट की संभावना है।

कितने कोच और कैसी होगी रफ्तार?

पैसेंजर ट्रेन संचालन के लिए पहली बार भारतीय रेलवे ने प्राइवेट इनवेस्टमेंट का रास्ता साफ कर दिया है। देश में 109 स्थानों के लिए चलाई जाने वालीं इन सभी ट्रेनों में कम से कम 16 कोच होंगे। इनकी अधिकतम रफ़्तार 160 किलोमीटर प्रति घंटा होगी।

कौन चलाएगा प्रावेट ट्रे?

भारतीय रेलवे का यह प्रोजेक्ट 35 साल के लिए है। प्राइवेट पार्टी को एनर्जी और हौलेज चार्ज खपत के हिसाब से देना होगा। यह सभी ट्रेनें भारतीय रेलवे के ड्राइवर और गार्ड ऑपरेट करेंगे। इन ट्रेनों का रोलिंग स्टॉक निजी कंपनी खरीदेगी। मेंटेनेंस उसी का होगा, रेलवे सिर्फ ड्राइवर और गार्ड देगा। शुरुआत में इस काम के लिए प्राइवेट सेक्टर इन्वेस्टमेंट का लक्ष्य 30 हजार करोड़ रुपए रखा गया है।

पैसेंजर ट्रेनों को चलाने के लिए प्राइवेट इंवेस्टमेंट

रेलवे ने इसके लिए टेंडर आमंत्रित किए हैं। न्यूज एजेंसी पीटीआई के मुताबिक रेलवे ने कहा कि इसमें निजी क्षेत्र पैसा लगाएगा और करीब 30,000 करोड़ रुपये का निवेश होगा। बता दें कि इंडियन रेलवे के रेल नेटवर्क पर पैसेंजर ट्रेनों को चलाने के लिए प्राइवेट इंवेस्टमेंट के लिए उठाया जाने वाला यह पहला कदम है। वैसे पिछले साल भारतीय रेलवे खान-पान और पर्यटन निगम (आईआरसीटीसी) ने लखनऊ-दिल्ली तेजस एक्सप्रेस के साथ इसकी शुरूआत हुई थी।

फिलहाल आईआरसीटीसी तीन ट्रेनों का परिचालन करता है, जिसमें वाराणसी-इंदौर मार्ग पर काशी-महाकाल एक्सप्रेस, लखनऊ-नई दिल्ली तेजस और अहमदाबाद-मुंबई तेजस एक्सप्रेस शामिल है। रेलवे ने कहा, ‘इस पहल का मकसद एडवांस टेक्नोलॉजी वाली ट्रेनों चलाना है, जिसमें रखरखाव कम हो और यात्रा समय में कमी आए। इससे युवाओं के लिए रोजगार के अवसर उपलब्ध होंगे। सुरक्षा बेहतर होगी और यात्रियों को वर्ल्ड लेवल के सफर का अनुभव मिलेगा।’