16 फरवरी, 2019 जगदलपुर। कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी छत्तीसगढ़ पहुंच चुके हैं। राहुल गांधी अपने तय समय से एक घंटे पहले 12 बजकर 50 मिनट पर जगदलपुर एयरपोर्ट पहुंचे। एयरपोर्ट पर मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने उनका स्वागत किया। सीएम के साथ प्रदेश प्रभारी पीएल पुनिया, मंत्री टीए, सिंहदेव, रविंद्र चौबे, चरणदास महंत सहित कई आला नेताओं ने राहुल गांधी का स्वागत किया। जानकारी के मुताबिक लंच करने का बाद राहुल गांधी लोहंडीगुड़ा के लिए रवाना होंगे। इसके साथ ही राहुल 1707 भू प्रभावित किसानों को उनकी जमीन के दस्तावेज सौपेंगे। धुरागांव में आमसभा को संबोधित करेंगे।
- राहुल गांधी बस्तर में भू-अधिकार सम्मेलन में शामिल होंगे.
- यहां चित्रकोट विधानसभा क्षेत्र के धुरागांव में टाटा कंपनी द्वारा ली गई जमीन को भू-प्रभावितों को वापस करेंगे.
- राहुल गांधी करीब 30 भू-प्रभावितों को उनकी जमीन के पट्टे वापस देंगे.
- धुरागांव की जनसभा में जमीन के दस्तावेजों के साथ वन अधिकार पत्र का भी वितरण का आगाज करेंगे.
- इसके साथ ही कोंडागांव जिले में लगने वाले मक्का प्रसंस्करण उद्योग का शिलान्यास भी करेंगे.
लोकसभा चुनाव का शंखनाद भी बस्तर से
कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने विधानसभा चुनाव का आगाज बस्तर से किया था। इस चुनाव में बस्तर की 12 सीटों में से 11 पर कब्जा जमाने के बाद एक बार फिर उन्होंने लोकसभा के लिए बस्तर का रुख किया है। यहां वे टाटा स्टील प्रभावित किसानों को उनकी जमीनें वापस देकर मैसेज देना चाहते हैं कि कांग्रेस ही एक ऐसी पार्टी है जो पांच साल के अंदर उद्योग नहीं लगने पर किसानों को उनकी जमीन लौटाती है। इसके अलावा ऋण माफी पत्र और आवासीय व वन भूमि पट्टों का वितरण भी राहुल करेंगे। यहीं से कोंडागांव में मक्का प्रोसिसिंग यूनिट का भूमिपूजन होगा।
1709 किसानों को होगा लाभ
बस्तर जिले के चित्रकोट विधानसभा में लोहांडीगुड़ा ब्लाक के 10 गांवों में वर्ष 2008 में टाटा स्टील ने जमीन अधिग्रहण किया था। इसमें 1709 किसानों की 5000 एकड़ ली गई थी। 10 साल बीत जाने के बाद भी अब तक यहां कारखाना नहीं लग पाया। सरकार ने अब बिना किसी शर्त किसानों को जमीन वापस करने की घोषणा की है। यानी किसानों को जमीन का दिया गया मुआवजा भी वापस नहीं लिया जाएगा।
ये है अधिग्रहण से जुड़ा नियम
नियमानुसार औद्योगिक उपयोग के लिए अधिग्रहित कृषि भूमि पर 5 साल में काम शुरू करना जरूरी है। अधिग्रहण की तारीख से 5 साल तक परियोजना स्थापित नहीं की गई है तो वह जमीन किसानों को वापस की जाती है।