30 साल आदिवासियों का जीवन सुधारने में लगे प्रोफेसर डॉ. प्रभुदत्त खेरा पंचतत्व में हुए विलिन.. सांसद साव और कलेक्टर भूरे ने दिया कांधा.. स्कूल संचालन के लिए विधायक धर्मजीत ने की 10 लाख की सहायता..

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मुंगेली@प्रेम (कोटा) 24 सितंबर, 2019। समाजसेवी, शिक्षाविद व बैगा आदिवासियों के रहनुमा कहलाने वाले दिल्ली विश्वविद्यालय (डीयू) के पूर्व प्रोफेसर डॉ. प्रभुदत्त खेरा का आज अंतिम संस्कार किया गया। लंबी बीमारी के बाद सोमवार को उनका बिलासपुर के अपोलो अस्पताल में निधन हो गया था। 13 अप्रैल 1928 को पाकिस्तान के लाहौर में जन्मे डॉ. खेरा ने अपने जीवन के करीब 30 वर्ष बैगा आदिवासियों का जीवन संवारने के लिए जंगलों में गुजार दिए। उनका अंतिम संस्कार मुंगेली जिले के वनग्राम लमनी में हुआ। प्रोफेसर पी डी खेरा को नम आखों से अश्रुपूरित श्रद्धांजलि दी गयी। शव यात्रा पश्चात स्मारक के लिए चिन्हित स्थान पर दाह संस्कार किया गया और शांति पाठ किया गया ।

पूर्व प्रोफेसर डॉ. प्रभुदत्त खेरा के अंतिम संस्कार में सांसद, विधायक, कलेक्टर से लेकर उन्हें चाहने वाले तमाम दिग्गज पहुंचे थे। रायपुर से आर पी मंडल, बिलासपुर कलेक्टर संजय अलंग, कलेक्टर मुंगेली सरवेश्वर भूरे, आई जी केसी अग्रवाल, विधायक धर्मजीत सिंह, पूर्व विधायक तोखन साहू, सांसद अरुण साव, समीरा पैकरा, विधायक अटल श्रीवास्तव, आदित्य दीक्षित, अभय नारायण, देवेंद्र बाटू, लोरमी सीईओ आर एस नायक, कोटा बीईओ डॉ एम एल पटेल, शिव शंकर नामदेव, विवेक जोगलेकर, मंसूर खान, ईकबाल सिंह पेंड्रा सहित  रतनपुर, लोरमी, मुंगेली, बिलासपुर से उनके चाहने वाले, शिक्षा और समाज सेवा के लिए समर्पित लोग शामिल हुए। बाकी पूरा लमनी गांव के बच्चे समेत ग्रामीण उमड़ पड़े थे। जहां महिलाएं और पुरुष फूट-फूट कर रो रहे थे।

स्कूल संचालन के लिए विधायक धमरजीत सिंह ने 10 लाख दी

धरमजीत सिंह जी ने स्कूल संचालन के लिए 10 लाख रुपये, सांसद अरुण साव जी ने प्रोफेसर खेड़ा के स्मारक के लिए 5 लाख रुपये और मूर्ति स्थापना के लिए सांसद मद से 5 लाख रुपये देने की घोषणा की ।

आरपी मंडल बोले- डॉ. खेरा ने बिना पैसे और बिना पावर के भी समाज सेवा की जा सकती ये कर दिखाया

उनके अंत्येष्टि कार्यक्रम में आर पी मंडल ने कहा कि आईएएस , आईपीएस, आईएफएस में हमें समाज सेवा कैसे करना है ये पढ़ाया और सिखाया जाता है। एक कलेक्टर के पास पावर और पैसा होता है पर खेरा जी ने ये दिखाया है कि बिना पैसे और बिना पावर के भी समाज सेवा की जा सकती है। उन्हें सच्ची श्रद्धांजलि होगी जब हम उनके मिशन शिक्षा और स्वास्थ्य की समाज सेवा को आगे ले जाएं। कलेक्टर अलंग, सांसद अरुण साव, धर्मजीत सिंह , विवेक जोगलेकर ने भी अपने विचार सुमन अर्पित किए।

ज्ञात हो कि पूर्व दिल्ली विश्वविद्यालय की सेवा को छोड़कर आदिवासी समुदाय के लिए 30 वर्षों तक शिक्षा और स्वास्थ्य के लिए उन्होंने अपना पूरा जीवन समर्पित कर दिया।

बता दें लमनी में बनी ये एक कुटिया ही उनका निवास था।