प्रधानमंत्री जीवन ज्योति बीमा योजना का प्रीमियम बैंक ने नहीं काटा, एसबीआई पाटन मृतक के दावाकर्ता को अब देगा 2.16 लाख हर्जाना, जिला उपभोक्ता फोरम दुर्ग का फैसला..

0
79

दुर्ग 23 जनवरी, 2020। बैंक द्वारा प्रधानमंत्री जीवन ज्योति बीमा के अंतर्गत अपने खाताधारक का वार्षिक प्रीमियम काटकर बीमा कंपनी को प्रेषित नहीं किया गया, इसे उपभोक्ता के प्रति सेवा में निम्नतापूर्ण आचरण मानते हुए जिला उपभोक्ता फोरम के अध्यक्ष लवकेश प्रताप सिंह बघेल, सदस्य राजेन्द्र पाध्ये व लता चंद्राकर ने भारतीय स्टेट बैंक पाटन, जिला दुर्ग पर 216000 रुपये हर्जाना लगाया।

ग्राहक की शिकायत

परिवाद के मुताबिक ग्राम चुलगहन, तहसील पाटन निवासी परिवादी परषोत्तम साहू के पुत्र हुलेश कुमार साहू का बैंक खाता एसबीआई पाटन में संचालित था, इस खाते से बैंक द्वारा वर्ष 2015 एवं 2016 में प्रधानमंत्री जीवन ज्योति बीमा योजना के लिये 330 रुपये वार्षिक प्रीमियम की कटौती की गई, इसी प्रकार जून 2017 में भी 330 रुपये खाते से कटौती किया जाना था परंतु खाते में 8000 रुपये जमा होने के बाद भी प्रीमियम राशि की कटौती नहीं की गई और इसी बीच परिवादी के खाताधारक पुत्र की मृत्यु दिनांक 21 अक्टूबर 2017 को हो गई और बैंक की लापरवाही के कारण परिवादी अपने पुत्र की मृत्यु उपरांत बीमा योजना का लाभ लेने से वंचित हो गया प्रधानमंत्री जीवन ज्योति बीमा योजना के अंतर्गत बीमा दावा के रूप में दो लाख रुपये का बीमा कवरेज प्राप्त होता है।

अनावेदक भारतीय स्टेट बैंक का बचाव

अनावेदक बैंक ने यह बचाव लिया कि मैं परिवादी के मृतक खाताधारक पुत्र ने मृत्यु से पहले दिनांक 26 अक्टूबर 2016 को अपने खाते से रकम निकालते समय बीमा नहीं काटे जाने संबंधी निर्देश दिया था, इसीलिए तीसरे वर्ष का प्रीमियम 330 रुपये नहीं काटा गया।

फोरम का फैसला

जिला उपभोक्ता फोरम के अध्यक्ष लवकेश प्रताप सिंह बघेल, सदस्य राजेन्द्र पाध्ये व श्रीमती लता चंद्राकर ने प्रकरण में प्रस्तुत साक्ष्य एवं दस्तावेजों की विवेचना से यह निष्कर्ष निकाला कि बैंक ने मृतक खाताधारक द्वारा बीमा प्रीमियम नहीं काटे जाने संबंधी टीप लिखी हुई जिस रकम निकासी पर्ची को पेश किया है, वह पर्ची केवल खाते से रकम आहरण के लिए ही विधि मान्य है, अन्य कार्य के लिए नहीं। उस पर्ची के पीछे जो निर्देश लिखा गया है, उसकी हस्तलिपि पूरी तरह से भिन्न है इसीलिए स्वयं खाताधारक ने ही प्रीमियम नही काटने की इबारत लिखी थी यह साबित नहीं होता बल्कि यह स्थापित होता है कि बीमा प्रीमियम राशि कटौती नहीं करने के बाद गलती समझ में आने पर बैंक ने अपने बचाव स्वरूप रिकॉर्ड में रखी गई रकम निकासी पर्ची के पीछे खाताधारक के नमूना हस्ताक्षर से हटकर एक अलग स्थान पर दूसरी हस्तलिपि में बीमा नहीं कराए जाने संबंधी निर्देश को अंकित कराया है, फोरम ने अनावेदक बैंक के बचाव को अमान्य कर दिया। फोरम ने कहा कि यदि बैंक ने अपनी जिम्मेदारी का निर्वहन उचित प्रकार से करते हुए खाताधारक का बीमा प्रीमियम काटा होता तो वह बीमित श्रेणी में शामिल होता इसलिए मृतक को बीमित ही माना जाएगा और अब प्रधानमंत्री जीवन ज्योति बीमा योजना के तहत दी जाने वाली बीमा राशि 2 लाख रुपये परिवादी को प्रदान करने का उत्तरदायित्व बैंक का है।

जिला उपभोक्ता फोरम के अध्यक्ष लवकेश प्रताप सिंह बघेल, सदस्य राजेन्द्र पाध्ये व लता चंद्राकर ने भारतीय स्टेट बैंक शाखा पाटन जिला दुर्ग के मैनेजर को सेवा में निम्नता के लिए जिम्मेदार मानते हुए 2 लाख 16 हजार रुपये हर्जाना लगाया, जिसमें बीमा राशि 200000 रुपये मय ब्याज, मानसिक क्षतिपूर्ति स्वरूप 15000 रुपये तथा वाद व्यय रु. 1000 देने का आदेश दिया गया।