जल जीवन मिशन के तहत सी और डी श्रेणी के ठेकेदारों के पेट में लात मारने की तैयारी..

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रायपुर। जल जीवन मिशन के तहत सात हजार करोड़ से ज्यादा के टेंडरों की प्रक्रिया पर ग्रहण लग सकता है। क्योंकि प्रक्रिया को लेकर घर घर सरकारी नल से पानी पहुंचाने के लिए होने वाली 7000 करोड़ से ज्यादा के बांटे गए टेंडर प्रक्रिया की शिकायत मुख्यमंत्री भूपेश बघेल से हुई है जिसके बाद मुख्यमंत्री ने तीन सदस्यीय कमेटी बना दी है।वऔर इस टेंडर प्रक्रिया के जांच के आदेश दिए हैं। हालांकि इस पूरे फैसले पर सी और डी कैटेगरी के ठेकेदारों को नुकसान उठाना पड़ सकता है। और ये वह ठेकेदार हैं जो कांग्रेस समर्थित हैं और 15 साल सत्ता के बाहर रहने के बाद काम करने का इंतजार कर रहे थे।

चंद ए और बी कैटेगरी के ठेकेदारों के नेतृत्व में (जो कि पीडब्ल्यूडी के ठेकेदार हैं) पिछले दिनों जल जीवन मिशन के कार्यों में अनियमितता होने की शिकायत मुख्यमंत्री भूपेश बघेल से करते हुए पूरी निविदा प्रक्रिया को निरस्त करने की मांग की गई थी। जबकि इस योजना से PHE विभाग के सी और डी कैटेगरी के 872 ठेकेदारों का भविष्य जुड़ा है। उन्हें उनके स्वयं के जिले में कार्य आवंटित हो चुका है और

  • ए और बी कैटेगरी के ठेकेदारों को जिले के बाहर कार्य मिलने से निरस्तीकरण की मांग की जा रही है जो अनुचित है।
  • उन्हें युक्तिसंगत तरीके से अपने चाहे गये जिलों में कार्य दिए जाने से समस्या का हल निकल जाएगा।
  • निविदा निरस्तीकरण होने से पुनः प्रक्रिया होने के तीन चार माह का विलंब होगा और भारत सरकार की राशि का उपयोग नहीं हो पाएगा।
  • भारत सरकार द्वारा दिया गया टारगेट वर्ष 2020-21 हेतु 20 लाख 61 हज़ार घरेलू कनेक्शन करना है। जबकि अक्टूबर माह तक केवल एक लाख 47 हजार कनेक्शन अर्थात 7.1% कार्य पूर्ण हुआ है। निविदा निरस्त होने से लक्ष्य पूर्ण करना असंभव होगा।
  • पुनः निविदा बुलाने पर अधिक दर आने की संभावना है क्योंकि पीवीसी पाइप लाइन के दरों में 8 से 10% की वृद्धि हो चुकी है। यूएसओआर से अधिक दर पर आने पर राज्यांश का बोझ राज्य सरकार पर बढ़ेगा।

सी और डी ठेकेदारों की मांग है कि मुख्यमंत्री, मुख्य सचिव, लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी सचिव से है कि ए और बी कैटेगरी के ठेकेदारों को भी उनके जिले में कार्य मिले। निविदा को बिल्कुल भी निरस्त नहीं किया जाए।