पुलिस कर रही वसूली का धंधा, रोजाना लाखों रूपए की उगाही.. गुंडे-बदमाशों व सट्टेबाजों को संरक्षण और शरीफों पर की जा रही है एफआईआर..

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2 अक्टूबर 2019 तिल्दा-नेवरा। ‘परित्राणाय साधूनां’ की बात करने वाली तिल्दा-नेवरा पुलिस ने इन दिनों रकम उगाही को अपना धंधा बना लिया है। शराब दुकान, सट्टेबाज और गुंडे-बदमाशों को संरक्षण देकर उनके माध्यम से रोजाना लाखों रुपये की वसूली की जा रही है।
यदा यदा हि धर्मस्य ग्लानिर्भवति भारत। अभ्युत्थानमधर्मस्य तदात्मानं सृजाम्यहम्॥
परित्राणाय साधूनां विनाशाय च दुष्कृताम्। धर्मसंस्थापनार्थाय सम्भवामि युगे युगे॥
महाभारत में श्रीकृष्ण ने गीता का यह श्लोक कहा था। इसी श्लोक का एक भाग है ‘परित्राणाय साधूनां’, जिसे पुलिस विभाग ने अपना सूत्र वाक्य बना लिया है। गीता के ‘परित्राणाय साधूनां’ का अर्थ है साधु पुरुषों का उद्धार करना और पुलिस विभाग के ‘परित्राणाय साधूनां’ का अर्थ है सज्जनों की रक्षा करना। लेकिन बड़ी दुर्भाग्य की बात है कि तिल्दा-नेवरा की पुलिस इस सूत्र वाक्य की एकदम विपरीत काम कर रही है। यहाँ शराब दुकान के गुर्गों, सट्टेबाजों और गुंडे-बदमाशों को संरक्षण दिया जा रहा है और शहर के शरीफ व्यक्तियों के खिलाफ कार्रवाई की जा रही है।

10 से 20 रूपए ज्यादा में बिकवा रही है शराब :

यहाँ की पुलिस अपराधियों और अपराधों पर लगाम लगाने की बजाय, रकम उगाही को अपना धंधा बना लिया है। रकम उगाही का प्रमुख माध्यम शराब दुकान है। यहाँ 60 रुपये की बोतल को 70 और 80 रुपए की बोतल को 90 व 100 रुपये में बेचा जा रहा है। इस तरह ज्यादा कीमत में बिक्री कर रोजाना लाखों रूपए की अवैध असूली की जा रही है। यह गोरखधंधा पुलिस के संरक्षण में किया जा रहा है। इसके एवज में शराब दुकानों से पुलिस थाने को बड़ी रकम पहुंचाई जा रही है। कोई विरोध न करे, इसके लिए शराब दुकानों के पास दो-दो आरक्षकों को तैनात कर दिया जाता है। यदि कोई विरोध करता है, तो पुलिस विरोध करने वाले व्यक्ति को ही पकड़ कर थाना ले आती है और उसके खिलाफ कार्रवाई कर दी जाती है। फिर उसे छोड़ने के एवज में उससे 20 से 25 हजार रुपये वसूले जाते हैं। इस तरह के प्रतिदिन आठ-दस प्रकरण बनाये जाते हैं, जिससे लाखों रूपए की उगाही की जाती है।

ज्यादा शराब लेने वालों से भी उगाही :

शराब दुकानों से पुलिस की उगाही का दूसरा तरीका भी है। किसी के यहाँ छट्टी, शादी और अन्य कार्यक्रम होता है, तो लोग ज्यादा मात्रा में शराब खरीदते हैं। सिविल ड्रेस में तैनात आरक्षकों की ऐसे लोगों पर नज़र रहती है। जैसे ही कोई ज्यादा मात्रा में शराब लेकर निकलता है, तो सिविल ड्रेस वाले पुलिसकर्मी उसका पीछा कर पकड़ लेते हैं और उसे थाने लाकर कार्रवाई की जाती है। छोड़ने के एवज में उससे 15 से 20 हजार रूपए वसूला जाता है. इस तहर के केस भी प्रतिदिन आठ-दस आते हैं।

पुलिस की गुंडागर्दी और उगाही के खिलाफ आक्रोश :

पुलिस की गुंडागर्दी और रकम उगाही के खिलाफ शहरवासियों में भारी आक्रोश है। यह आक्रोश कभी-भी फुट सकता है। किसान नेता राजू शर्मा ने आक्रोश जताते हुए कहा कि शहरवासियों, किसानों और ग्रामीणों को साथ लेकर तिल्दा-नेवरा पुलिस के खिलाफ उग्र आंदोलन किया जायेगा।