मन की बात में बोले PM मोदी- देश अब खुल गया है…ज्यादा सतर्क रहें….

0
61
  • लॉकडाउन में ढील दिए जाने पर होगी बात
  • मोदी सरकार के कार्यकाल पर भी चर्चा संभव

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ‘मन की बात’ रेडियो कार्यक्रम के 65वें भाग में एक बार फिर से देशवासियों को संबोधित किया. उन्होंने संबोधन की शुरुआत करते हुए कहा कि पिछली बार जब मैंने पिछली बार आपसे मन की बात की थी, तब यात्री ट्रेनें बंद थीं, बसें बंद थीं, हवाई सेवा बंद थी. इस बार, बहुत कुछ खुल चुका है. श्रमिक स्पेशल ट्रेन चल रही हैं, अन्य स्पेशल ट्रेनें भी शुरू हो गई हैं. तमाम सावधानियों के साथ, हवाई जहाज उड़ने लगे हैं, धीरे-धीरे उद्योग भी चलना शुरू हुआ है, यानी अर्थव्यवस्था का एक बड़ा हिस्सा अब चल पड़ा है, खुल गया है. ऐसे में, हमें और ज्यादा सतर्क रहने की आवश्यकता है.

उन्होंने कहा कि देश में, सबके सामूहिक प्रयासों से कोरोना के खिलाफ लड़ाई बहुत मजबूती से लड़ी जा रही है. हमारी जनसंख्या ज़्यादातर देशों से कई गुना ज्यादा है, फिर भी हमारे देश में कोरोना उतनी तेजी से नहीं फैल पाया, जितना दुनिया के अन्य देशों में फैला. देश में सबके सामूहिक प्रयासों से कोरोना के खिलाफ लड़ाई बहुत मजबूती से लड़ी जा रही है. हमारी जनसंख्या कई देशों से ज्यादा है फिर भी हमारे देश में कोरोना उतनी तेजी से नहीं फैल पाया, जितना दुनिया के अन्य देशों में फैला.

पीएम ने आगे कहा कि कोरोना से होने वाली मृत्यु दर भी हमारे देश में काफी कम है. जो नुकसान हुआ है, उसका दु:ख हम सबको है, लेकिन जो कुछ भी हम बचा पाएं हैं, वो निश्चित तौर पर देश की सामूहिक संकल्पशक्ति का ही परिणाम है.

पीएम ने कहा, आपने देखा होगा कि दूसरों की सेवा में लगे व्यक्ति के जीवन में, कोई डिप्रेशन या तनाव कभी नहीं दिखता. उसके जीवन में, जीवन को लेकर उसके नजरिए में, भरपूर आत्मविश्वास, सकारात्मकता और जीवंतता प्रतिपल नजर आती है.

पीएम ने कहा

साथियो, हमारे डॉक्टर्स,नर्सिंग स्टाफ, सफाईकर्मी, पुलिसकर्मी, मीडिया के साथी, ये सब जो सेवा कर रहे हैं, उसकी चर्चा मैंने कई बार की है. सेवा में अपना सब कुछ समर्पित कर देने वाले लोगों की संख्या अनगिनत है. ऐसे ही एक सज्जन हैं तमिलनाडु के सी. मोहन. सी मोहन मदुरै में एक सैलून चलाते हैं. इन्होंने अपनी मेहनती की कमाई से बेटी की पढ़ाई के लिए पांच लाख रुपये बचाए थे. लेकिन इन दिनों उन्होंने अपनी सारी जमा-पूंजी देश की सेवा के लिए खर्च कर दी.

देश के सभी इलाकों से वुमन सेल्फ हेल्प ग्रुप के परिश्रम की भी अनगिनत कहानियां इन दिनों हमारे सामने आ रही हैं. गांवों, कस्बों में, हमारी बहनें-बेटियां, हर दिन मास्क बना रही हैं. तमाम सामाजिक संस्थाएं भी इस काम में इनका सहयोग कर रही हैं. साथियो, ऐसे कितने ही उदाहरण, हर दिन, दिखाई और सुनाई पड़ रहे हैं. कितने ही लोग, खुद भी मुझे नमो एप और अन्य माध्यमों के जरिए अपने प्रयासों के बारे में बता रहे हैं.

मेरे प्यारे देशवासियो, एक और बात जो मेरे मन को छू गई है, वो है, संकट की इस घड़ी में इनोवेशन गांवों से लेकर शहरों तक, छोटे व्यापारियों से स्टार्टअप तक, हमारी लैब्स कोरोना लड़ाई में, नए-नए तरीके इजाद कर रहे हैं, नए अविष्टकार कर रहे हैं.

मैं सोशल मीडिया में कई तस्वीरें देख रहा था. कई दुकानदारों ने, दो गज की दूरी के लिए, दुकान में, बड़े पाइपलाइन लगा लिए हैं, जिसमें एक छोर से वो ऊपर से सामान डालते हैं, और दूसरी छोर से, ग्राहक, अपना सामान ले लेते हैं. इस दौरान पढ़ाई के क्षेत्र में भी कई अलग-अलग इनोवेशन शिक्षकों और छात्रों ने मिलकर किए हैं। ऑनलाइन क्लासेज और वीडियो क्लासेज , उसको भी, अलग-अलग तरीकों से इनोवेट किया जा रहा है.

कोरोना की वैक्सीन पर, हमारी लैब्स में जो काम हो रहा है उस पर तो दुनियाभर की नजर है और हम सबकी आशा भी. किसी भी परिस्थिति को बदलने के लिए, इच्छाशक्ति के साथ ही, बहुत कुछ इनोवेशन पर भी निर्भर करता है.

साथियो, कोरोना एक ऐसी आपदा जिसका पूरी दुनिया के पास कोई इलाज नहीं है, पहले का अनुभव नहीं है, ऐसे में, नयी चुनौतियां, परेशानियां हम अनुभव कर रहें हैं. ये दुनिया के हर देश में हो रहा है, इसलिए भारत भी इससे अछूता नहीं है.

हमारे रेलवे के साथी दिन-रात लगे हुए हैं. केंद्र, राज्य, स्थानीय स्वराज की संस्थाएं- दिन-रात मेहनत कर रहें हैं. जिस प्रकार रेलवे के कर्मचारी आज जुटे हुए हैं, वे भी एक प्रकार से अग्रिम पंक्ति में खड़े कोरोना वॉरियर्स ही हैं. लाखों श्रमिकों को, ट्रेनों, बसों से सुरक्षित ले जाना, उनके खाने-पाने की चिंता करना, हर जिले में क्वारंटीन केन्द्रों की व्यवस्था, सभी की टेस्टिंग, चेक-अप, उपचार की व्यवस्था, ये सब काम लगातार चल रहे हैं और बड़ी मात्रा में चल रहे हैं.

साथियो, जो दृश्य आज हम देख रहे हैं, इससे देश को अतीत में जो कुछ हुआ, उसके अवलोकन और भविष्य के लिए सीखने का अवसर भी मिला है. आज, हमारे श्रमिकों की पीड़ा में, देश के पूर्वीं हिस्से की पीड़ा को देख सकते हैं. उस पूर्वी हिस्से का विकास बहुत आवश्यक है. केंद्र सरकार ने अभी जो फैसले लिए हैं, उससे गांवों में रोजगार, स्वरोजगार, लघु उद्योगों से जुड़ी विशाल संभावनाएं खुली हैं. अगर, हमारे गांव, कस्बे, जिले, राज्य, आत्मनिर्भर होते, तो अनेक समस्याओं ने, वो रूप नहीं लिया होता, जिस रूप में वो आज हमारे सामने हैं.

जैसे, कहीं श्रमिकों की स्किल मैपिंग का काम हो रहा है, कई स्टार्टअप इस काम में जुटे हैं, कहीं माइग्रेशन कमीशन बनाने की बात हो रही है. मुझे पूरा भरोसा है आत्मनिर्भर भारत अभियान, इस दशक में देश को नई ऊंचाई पर ले जाएगा. कोरोना संकट के इस दौर में, मेरी, विश्व के अनेक नेताओं से बातचीत हुई है, लेकिन, मैं एक राज बताना चाहूंगा – विश्व के अनेक नेताओं में इन दिनों, बहुत ज्यादा दिलचस्पी योग और आयुर्वेद के सम्बन्ध में होती है. हर जगह लोगों ने योग और उसके साथ-साथ आयुर्वेद के बारे में, और ज्यादा जानना चाहा है. कितने ही लोग, जिन्होंने, कभी योग नहीं किया, वे भी ऑनलाइन योग क्लास से जुड़ गए हैं या ऑनलाइन वीडियो के माध्यम से भी योग सीख रहे हैं.

कोरोना संकट के इस समय में योग- आज, इसलिए भी ज्यादा अहम है, क्योंकि, ये वायरस, हमारे श्वास तंत्र को सबसे अधिक प्रभावित करता है. योग में तो श्वास तंत्र को मजबूत करने वाले कई तरह के प्राणायाम हैं. ये टाइम टेस्टेड तकनीक है.

कपालभाती और अनुलोम-विलोम, प्राणायाम से अधिकतर लोग परिचित होंगे, लेकिन भस्त्रिका, शीतली, भ्रामरी जैसे कई प्राणायाम के प्रकार हैं, जिसके, अनेक लाभ भी हैं आपके जीवन में योग को बढ़ाने के लिए

आयुष मंत्रालय ने भी इस बार एक अनोखा प्रयोग किया है. मेरा, आपसे अनुरोध है, आप सभी, इस प्रतियोगिता में अन्तर्राष्ट्रीय योग दिवस में, आप हिस्सेदार बनिए.

हमारे देश में, करोडों-करोड़ गरीब, दशकों से, एक बहुत बड़ी चिंता में रहते आए हैं – अगर, बीमार पड़ गए तो क्या होगा? इस तकलीफ को समझते हुए, इस चिंता को दूर करने के लिए ही, करीब डेढ़ साल पहले आयुष्मान भारत योजना शुरू की गई थी.

कुछ ही दिन पहले, आयुष्मान भारत के लाभार्थियों की संख्या एक करोड़ के पार हो गई है. एक करोड़ से ज्यादा मरीज, मतलब, नॉर्वे जैसा देश, सिंगापुर जैसा देश, उसकी जो कुल जनसंख्या है, उससे, दो गुना लोगों को, मुफ्त में, इलाज दिया गया है.

आयुष्मान भारत योजना के साथ एक बड़ी विशेषता पोर्टिबिलिटी की सुविधा भी है पोर्टिबिलिटी ने देश को, एकता के रंग में रंगने में भी मदद की है,यानी बिहार का कोई गरीब अगर चाहे तो, उसे, कर्नाटका में भी वही सुविधा मिलेगी, जो उसे, अपने राज्य में मिलती.

अगर, गरीबों को अस्पताल में भर्ती होने के बाद इलाज के लिए पैसे देने पड़ते, इनका मुफ्त इलाज नहीं हुआ होता, तो, उन्हें एक मोटा-मोटा अंदाज़ है, करीब-करीब 14 हज़ार करोड़ रूपए से भी ज्यादा, अपनी जेब से, खर्च करने पड़ते.

इससे पहले 64 वें भाग के ‘मन की बात’ कार्यक्रम में प्रधानमंत्री मोदी का संबोधन देश में कोविड-19 से उपजे हालात पर केंद्रित था. इस कार्यक्रम में उन्होंने समस्त देशवासियों से लॉकडाउन के दौरान गरीब, प्रवासी मजदूरों की सहायता करने की अपील की थी.

उन्होंने कार्यक्रम के दौरान कहा था कि भारत में कोरोना के खिलाफ लड़ी जा रही लड़ाई लोगों द्वारा संचालित है. जो जनता और प्रशासन साथ मिलकर लड़ रहे हैं.

बता दें, प्रधानमंत्री मोदी ने कोरोना वायरस के प्रसार को रोकने के लिए 24 मार्च को देशव्यापी लॉकडाउन की घोषणा की थी. पहले ये 21 दिनों के लिए था. उसके बाद इसे अलग-अलग चरणों में 31 मई तक बढ़ाया गया.

पिछले 24 घंटे में देश में रिकॉर्ड 8,380 नए कोरोना केस सामने आए हैं और 193 लोगों की मौत हो गई है. देश में अब कुल कोरोना मामलों की संख्या 1,83,143 है, जिसमें 89995 एक्टिव केस हैं. जबकि 86984 लोग ठीक होकर घर जा चुके हैं.