संविलियन ले चुके शिक्षाकर्मी नेता को अब याद आया क्रमोन्नति और चार स्तरीय वेतनमान.. संविलियन से वंचित शिक्षाकर्मी ने दिया मुंहतोड़ जवाब!

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सीजी मेट्रो डॉट कॉम रायपुर एक्सक्लूसिव

प्रदेश की नवनिर्वाचित कांग्रेस सरकार ने कैबिनेट बैठक में निर्णय लेकर यह तय कर दिया है की शिक्षाकर्मियों के संबंध में जन घोषणा पत्र में किए गए वादे में से पहले वादे को उनके द्वारा पूरा किया जा रहा है और इसके लिए अनुपूरक बजट में प्रावधान भी कर दिया गया है । इसके साथ ही यह तय हो चुका है कि शिक्षाकर्मियों के संविलियन में अब कहीं कोई बाधा नहीं है । निजी न्यूज़ चैनल को दिए गए बयान में स्कूल शिक्षा मंत्री ने भी इस बात की पुष्टि कर दी है कि निर्णय शिक्षाकर्मियों के संविलियन से ही संबंधित है और प्रेस कॉन्फ्रेंस में कैबिनेट मंत्री रविंद्र चौबे ने भी साफ संकेत दे दिए थे कि शिक्षाकर्मियों के संदर्भ में बड़ा निर्णय लिया गया है । इस निर्णय के सामने आते ही कई शिक्षाकर्मियों को तत्काल अन्य मुद्दों का ध्यान आने लगा है और वह उन मुद्दों को प्रमुख मुद्दे बताने लगे हैं और उसके पूरा न होने के अभाव में संविलियन की विसंगतियां गिनाने लगे हैं लेकिन पिछले बार संविलियन के मुद्दे पर धोखा खा चुके शिक्षाकर्मियों का गुस्सा अब उन पर जबरदस्त तरीके से फूट रहा है और वह ऐसे नेताओं को मुंहतोड़ जवाब दे रहे हैं । इधर सरकार को भी इस बात का पहले से आभास है कि संविलियन से वंचित शिक्षाकर्मियों ने पूरे परिवार के साथ उनका साथ दिया है क्योंकि जिस प्रकार भेदभाव करते हुए उन्हें संविलियन से वंचित रखा गया था तत्कालीन सरकार के प्रति उनके मन में जबरदस्त नाराजगी थी और उन्होंने सरकार को बदलने में कोई कसर नहीं छोड़ी इसलिए पहला लाभ भी उन्होंने उन्हीं शिक्षाकर्मियों को देने का निर्णय लिया है जिन्हें पिछली बार कुछ भी नहीं मिला था और वह इतना बड़ा आंदोलन करने के बाद भी फूटी कौड़ी ना पा सके ।

8 वर्ष से कम सेवा अवधि वाले शिक्षकों को नहीं हुआ था फूटी कौड़ी का लाभ

दरअसल पिछले बार भाजपा सरकार के समय में जो आंदोलन हुआ उसमें जूनियर सीनियर सभी ने भाग लिया था और उस समय किसी नेता ने नहीं कहा कि आप जूनियर शिक्षाकर्मी हो तो आप कम दिन हड़ताल करो या आप जाकर स्कूल ज्वाइन कर लो हड़ताल हम करेंगे , यहां तक की कुछ नेता तो पूरी तरह से हड़ताल से बाहर होकर सरकार को समर्थन दे रहे थे लेकिन जब सरकार ने लाभ दिया तो केवल 8 वर्ष से ऊपर सेवा अवधि वाले को दिया जिसे अधिकांश संघों ने हंसते-हंसते स्वीकार कर लिया इसे लेकर संविलियन से वंचित शिक्षाकर्मियों में जबरदस्त नाराजगी थी उस समय किसी शिक्षाकर्मी नेता को क्रमोन्नति, चारस्तरीय वेतनमान या वेतन विसंगति जैसी चीजें नजर नहीं आई उन्होंने पहले संविलियन का लाभ ले लेना ही उचित समझा यही कारण है कि किसी भी नेता ने संविलियन छोड़कर पंचायत विभाग में रहना स्वीकार नहीं किया और आज जब जूनियर शिक्षकों को यह लाभ मिलने जा रहा है तो उन्हें संविलियन में रह गई विसंगतियां नजर आ रही है और जूनियर शिक्षकों का यही कहना है कि हमें भी पहले लाभ लेने दीजिए उसके बाद आगे की लड़ाई लड़ेंगे और उनकी यह बात सही भी है क्योंकि यदि संविलियन में विसंगति का ही मामला था तो पूर्व सरकार के खिलाफ नेताओं को उतरना था लेकिन उस समय नेता संविलियन के लाभ गिना रहे थे और आज जब दूसरों को फायदा हो रहा है तो उन्हें कई प्रकार की कमी नजर आ रही है।

देखिए.. किस प्रकार शिक्षाकर्मी नेता को सविलियन से वंचित शिक्षाकर्मी ने दिया करारा जवाब…

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