06 अप्रैल 2019, रायपुर। प्रदेश के छात्र अब सरकार को नरवा, गरुवाऔर घुरुवा और बारी संबंधित योजनाओं के बारे में जानेंगे। इसके लिए पाठ्यपुस्तक के पिछले कवर पृष्ठ का प्रयोग किया गया है। पहली से दसवीं कक्षा तक के पाठ्यक्रम में इसे शामिल किया गया है।
अंतिम वक्त में इसे पाठ्यक्रम में शामिल किया गया है, इसलिए अंदर के पन्नों में कोई बदलाव न करते हुए कवर पृष्ठ में इसे जोड़ा गया है। पहली से दसवीं कक्षा तक की जिन किताबों का प्रकाशन कार्य पूर्ण नहीं हुआ था, उन किताबों में इसे जगह दी गई है।
गौरतलब है कि नए शैक्षणिक सत्र के लिए छत्तीसगढ़ पाठ्यपुस्तक निगम कई महीने पहले ही प्रकाशन की प्रक्रिया प्रारंभ कर देता है, ताकि छात्रों को वक्त पर किताबें उपलब्ध कराई जा सके। प्रकाशन कार्य पूर्ण होने के कारण अंदर के पन्नों में कोई बदलाव नहीं किया गया है। अगले वर्ष से इसे कवर पृष्ठ से अंदर के पन्नों पर लाया जा सकता है।
संरक्षण के लिए प्रेरित
- पाठ्यक्रम में इसे शामिल करने का मुख्य उद्देश्य छात्रों को नरवा, गरुवा, घुरुवा और बारी से जुड़ी जानकारी देना है।
- चार्ट के जरिए बताया गया है कि किस तरह से जल, मृदा और पशुधन का संरक्षण किया जा सकता है।
- इनके सरंक्षण के लाभ के विषय में भी बताया गयाहै। भूजल स्तर में वृद्धि, भूमि की उर्वरता में वृद्धि, जैविक कृषि को बढ़ाव, पर्यावरण प्रदूषण में कमी, मृदा के कटाव में रोक, आर्थिक सशक्तिकरण जैसे बिंदुओं को इसमें जगह दी गई है। इन्हें एक चार्ट के जरिए बिंदुवार समझाया गया है।
अंक निर्धारण नहीं
- इसे पाठ्यक्रम में शामिल तो कर दिया गया है, लेकिन परीक्षा में इससे जुड़े सवाल पूछे जाएंगे अथवा नहीं, इसक लिए अंक निर्धारित होंगे या नहीं, इस पर कोई फैसला नहीं लिया गया है।
- नए शैक्षणिक सत्र के शुरू होने के बाद ही इस संदर्भ में आदेश जारी कर स्कूलों को सूचति किया जाएगा।
- ब्लू प्रिंट भी इस आधार पर ही तैयार किया जाएगा।
- फिलहाल इसे केवल सूचना और छात्रों को प्रेरित करने के आशय से शामिल किया गया है।