22 जनवरी 2019 नई दिल्ली। ऑल इंडिया इंस्टीट्यूट फॉर टेक्निकल एजुकेशन (एआईसीटीई) ने शैक्षणिक वर्ष 2020-2021 से नए इंजीनियरिंग कॉलेज खोलने की अनुमति नहीं देने का निर्णय किया है। इसके अलावा कॉलेजों की क्षमता बढ़ाने के लिए हर दो साल में समीक्षा की जाएगी और जरूरी फैसलों लागू किया जाएगा। 2020 से सिर्फ टेक्नोलॉजी से जुड़े नए कोर्सेस की अनुमति दी जाएगी।
– आईआईटी हैदराबाद के अध्यक्ष बीवीआर मोहन रेड्डी की अध्यक्षता वाली सरकारी समिति ने नए इंजीनियरिंग कॉलेजों की स्थापना को रोकने और केवल वर्तमान में आधुनिक टेक्नोलॉजी पर ध्यान देने के लिए 41 पेज की एक रिपोर्ट एआईसीटीई को दिसंबर में सौंपी थी।
– एआईसीटीई अध्यक्ष अनिल सहस्रबुद्धे ने बताया कि सिफारिश को सही ठहराने का आधार सीटों की संख्या और नए आधुनिक विषयों को बढ़ाना देना है। वर्तमान में कंम्प्यूटर साइंस एंड इंजीनियरिंग, एयरोस्पेस इंजीनियरिंग एंड मेक्ट्रोनिक्स जैसी ब्रांच में 60% सीटें हैं लेकिन महज 40% ही सीटें ही भर पाती हैं।
– समिति ने एआईसीटीई से टेक्नोलाजी से जुड़े आधुनिक विषयों जैसे ऑटिफिशियल इंटेलिजेंस, ब्लॉकचैन, रोबोटिक्स, क्वांटम कंप्यूटिंग, डेटा साइंस, साइबर सुरक्षा और 3 डी प्रिंटिंग के लिए अंडरग्रेजुएट इंजीनियरिंग प्रोग्राम शुरू करने का आग्रह किया था। जिसे स्वीकार कर लिया गया है।
– इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक, 2016-17 में देशभर के 3,291 इंजीनियरिंग कॉलेजों की 15.5 लाख बीई/बीटेक कोर्स की 51% सीटें खाली रह गई थीं। इसके कुछ हफ्तों बाद एआईसीटीई ने कम एडमिशन के चलते शैक्षणिक वर्ष 2018-19 के लिए कोर्स में सीटों की संख्या आधी कर दी।
– इसके कारण, देशभर के सभी एआईसीटीई मान्यता प्राप्त संस्थानों में बीटेक और एमटेक की 1.67 लाख सीटें कम हो गईं, जो पिछले 5 साल में सबसे तेज गिरावट थी और ये संख्या 2017-18 में कम की गई सीटों की संख्या से दोगुनी थी।