आम्रपाली फर्जीवाड़े में महेंद्र सिंह धोनी की पत्नी का नाम, 25 फीसदी शेयर साक्षी के पास..

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नई दिल्ली 25 जुलाई, 2019। टीम इंडिया के स्टार क्रिकेटर महेंद्र सिंह धोनी एक बार फिर से आम्रपाली ग्रुप को लेकर चर्चा में हैं। लेकिन इस बार अहम बात यह है कि खुद सुप्रीम कोर्ट ने इस मसले पर उनपर उंगली उठाई है। दरअसल आम्रपाली ग्रुप से साथ गड़बड़ी के आरोप में महेंद्र सिंह धोनी के बाद अब उनकी पत्नी साक्षी का भी नाम सामने आया है। सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में साक्षी का जिक्र किया है। कोर्ट ने 270 पेज के अपने फैसले में फॉरेंसिक ऑडिट रिपोर्ट का जिक्र किया है, जिसमे कहा गया है कि कंपनियों का पैसा इधर-उधर करने के लिए फर्जीवाड़ा किया गया है। आम्रपाली ग्रुप की कंपनी आम्रपाली माही डेवलपर्स प्राइवेट लिमिटेड का कोर्ट ने जिक्र किया है।

धोनी की पत्नी कंपनी की डायरेक्टर, 25 फीसदी शेयर

कोर्ट के फैसले के पेज नंबर 85 पर लिखा है कि कंपनी ने तमाम शेयर कैपिटल और खर्च आदि कैश में किए हैं। महेंद्र सिंह धोनी की पत्नी साक्षी सिंह धोनी इस कंपनी की डायरेक्टर थीं और महेंद्र सिंह धोनी कंपनी के प्रमोटर। इस कंपनी के द्वारा आम्रपाली ग्रुप के प्रोजेक्ट को पूरा करने के लिए काफी पैसों का लेन-देन हुआ है। उन्होंने दूसरी कंपनियों के साथ भी अग्रीमेंट किया। कोर्ट के फैसले में इस बात का भी जिक्र किया गया है कि महेंद्र सिंह धोनी की पत्नी साक्षी कंपनी की डायरेक्टर थीं और उनके पास कंपनी के 25 फीसदी शेयर थे। जबकि कंपनी के 75 फीसदी शेयर आम्रपाली ग्रुप के सीएमडी अनिल कुमार शर्मा के पास थे।

रांची में प्रोजेक्ट के नाम पर बनाई गई कंपनी

फॉरेंसिक टीम की ऑडिट रिपोर्ट के अनुसार घर खरीदने के नाम से खरीददारों से 5619 करोड़ रुपए लिए गए जिसे आम्रपाली ग्रुप की इन कंपनियों में भेजा गया। आम्रपाली माही डेवलपर्स प्राइवेट लिमिटेड ने भी काफी पैसा कैश के तौर पर हासिल किया है। इस कंपनी की शुरुआत दिसंबर 2011 में हुई थी और इसके कामकाज के बारे में कुछ जानकारी नहीं दी गई थी। कंपनी के वर्ष 12, 13, 14 के वित्तीय मुनाफे की भी जानकारी उपलब्ध नहीं है। ऑडिट रिपोर्ट में कहा गया है कि हम मुजबानी यह बताया गया कि इस कंपनी की शुरुआत रांची में एक प्रोजेक्ट के लिए गई थी, इसके लिए दो पार्टियों के बीच एमओयू भी साइन हुआ था, लेकिन इसके दस्तावेज मुहैया नहीं कराए गए हैं।

धोनी ने ठोका था केस

बता दें कि जिस तरह से आम्रपाली ग्रुप के फर्जीवाड़े में धोनी का नाम आया, उसके बाद धोनी ने अपने आप को इस कंपनी से अलग कर लिया। तीन साल बाद धोनी ने कंपनी के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की और मानहानि के तौर पर 40 करोड़ रुपए की मांग की। मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में माना है कि शुरुआती तौर पर लगता है कि फेमा के नियमों का उल्लंघन किया गया है, मनी लॉड्रिंग की गई है।

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