माननीय अजीत जोगी से मेरी पांच मुलाकात : मजबूत इच्छा शक्ति के धनी रहे हैं: मनोज अग्रवाल…

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भिलाई@मनोज अग्रवाल। माननीय अजीत जोगी जी से मेरी पहली मुलाकात उनके प्रिय रहे तथा वर्तमान में कांग्रेस के प्रवक्ता शैलेश नितिन त्रिवेदी के गांव में हुई थी तब मैं दैनिक युगधर्म का स्थानीय प्रतिनिधि था , कांग्रेस के नेता होने के कारण स्थानीय कांग्रेसी नेताओं ने मुझे उससे ज्यादा बातचीत करने का अवसर नहीं दिया लेकिन जितनी देर मेरी जोगी जी से मुलाकात हुई उसी दिन से मुझे लगने लगा था कि आने वाले दिनों में वे एक मजबूत राजनीतिज्ञ के रूप में स्थापित होंगे और वैसा ही हुआ। मेरी दूसरी मुलाकात 1989-90 भिलाई में हुई जब मैं देशबन्धु समाचार पत्र में सिटी रिपोर्टर था और उनके कुछ साथी जिनमें साडा में कार्यरत स्व. इंजीनियर मेश्राम और दुर्ग में कांग्रेस के प्रमुख कार्यकर्ता रहे राजेश धींगरा ने मेरी मुलाकात भिलाई होटल में करवाई थी। उस समय भी वे उतने ही मजबूत दिख रहे थे जितने मेरी पहली मुलाकात में थे। राजनीति से संबंधित सवालों का जवाब निसंकोच देते रहे। मेरी तीसरी मुलाकात छत्तीसगढ़ स्थापना के तत्काल बाद 2000 में हुई जब छत्तीसगढ़ के मुखिया के रूप में आदिवासी को बनाए जाने का जबरदस्त अभियान चल रहा था। छत्तीसगढ़ के आदिवासी विधायक भूपेश बघेल के नेतृत्व में आदिवासी को मुख्यमंत्री बनाए जाने के लिए भिलाई पहुंचे थे, इसी दौरान अजीत जोगी भी पहुंच गए। सभी विधायक एक बस में थे और उस बस में अजीत जोगी जी भी बैठ गए तब मैंने उनसे सवाल पूछा छत्तीसगढ़ का मुख्यमंत्री आदिवासी हो यह तो सही है पर आप मुख्यमंत्री क्यों बनना चाहते हैं इस सवाल पर वे नाराज हो गए थे। उस समय के ज्यादातर आदिवासी विधायक जिनमें कावासी लखमा भी थे, वे अजीत जोगी को मुख्यमंत्री के रूप में देखना नहीं चाहते थे, जब मैंने अजीत जोगी को यह बात बताई तो उन्होंने उसी समय कवासी लखमा से पूछा कि क्या यह सही है तब कवासी लखमा ने इनकार कर दिया था। बात आई गई चली गई थी। इस बात को लेकर भूपेश बघेल भी कुछ नाराज हो गए थे तब उन्होंने मुझसे कहते हुए कहा कि पत्रकार मेरे और अजीत जोगी के बीच मतभेद पैदा कर रहे हैं। मेरी चौथी मुलाकात 2006 मैं राजनांदगांव में हुई जब लोकसभा का उपचुनाव हो रहा था तब श्री जोगी कांग्रेस प्रत्याशी देवव्रत सिंह के समर्थन में चुनाव प्रचार करने राजनांदगांव पहुंचे थे उस समय उनके करीबी रहे शैलेश नितिन त्रिवेदी ने मेरी मुलाकात करवाई । त्रिवेदी जी ने मेरा परिचय मेरे पिता स्वर्गीय रघुनाथ प्रसाद अग्रवाल बलोदा बाजार के पुत्र के रूप में करवाई थी। तब अजीत जोगी जी ने छत्तीसगढ़ी में कहा ” अरे मनोज ते हां रघुनाथ के लाइका हस, मैं रायपुर के कलेक्टर रहे तोर पिताजी कोर्ट में आवय तो डर लगत रहिस।” इस उपचुनाव में देवव्रत सिंह की जीत हुई थी। मेरी पांचवी और अंतिम मुलाकात रायपुर में उनके सागवान बंगला निवासी स्थान में हुई मैं अपने एक साथी के साथ औपचारिक निमंत्रण देने गया था इसी दरमियान नक्सली अभियान के एक प्रमुख पुलिस अधिकारी को उन्होंने डांटते हुए कहा कि आप लोग बस्तर के निर्दोष आदिवासियों को नक्सली बता बता कर उनके साथ अत्याचार कर रहे हैं उन्होंने चेताया था कि वे लोग निर्दोष आदिवासियों को परेशान ना करें, उस समय प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी की सरकार थी। मेरी अंतिम दो मुलाकात में वे व्हीलचेयर पर ही आ गए थे। पर उनकी मजबूत इच्छाशक्ति उस समय भी नजर आ रही थी। प्रथम मुख्यमंत्री के रूप में अपना कार्यकाल बिताने के बाद कांग्रेस के आपसी मतभेद के कारण उनकी दोबारा वापसी नहीं हो पाई यही नहीं लोकसभा चुनाव के दौरान एक दुर्घटना में अपाहिज हो जाने के पश्चात शारीरिक तौर पर जरूर कमजोर हो गए थे लेकिन उनकी मजबूत इच्छाशक्ति का ही परिणाम रहा कि वे व्हील चेयर में रहते हुए भी अपने प्रतिद्वंद्वियों को काफी परेशान कर रखे थे। वर्ष 2000 में भूपेश बघेल और अजीत जोगी के मध्य जो राजनीतिक मतभेद की बात सामने आ रही थी वे आगे चलकर सही साबित हुई। अब अजीत जोगी के चले जाने के पश्चात की राजनीति कैसे होगी यह तो वक्त ही बताएगा लेकिन अभी से या चर्चा होने लगी है कि उनकी पत्नी डॉक्टर रेणु जोगी यथाशीघ्र कांग्रेस में आ जाएंगे। यह मात्र कयास ही है क्योंकि पुत्र अमित जोगी ने लगातार मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के खिलाफ एक अभियान ही चला रखा था हालांकि राजनीति में कभी भी कुछ भी हो सकता है। मेरा अजीत जोगी जी को विनम्र श्रद्धांजलि।