23 जून 2019, कोरबा। एक निर्मोही मां अपने कलेजे के टुकड़े को श्मशान घाट के बाहर छोड़कर प्रेमी के साथ फरार हो गई। जिसने भी यह बात सुनी पहले उसे यकीन नहीं हुआ। आखिर एक मां कैसे यह कदम उठा सकती हैं।
समाज की बेड़ियों को तोड़कर एक नाबालिग ने कुछ साल पहले अपनी पंसद के वर के साथ प्रेम विवाह किया था। उनके प्रेम की निशानी के रूप में पहले एक बेटी, फिर एक बेटा हुआ। जिन्होंने जिंदगी भर साथ जीने-मरने की कसमें खाईं, पांच साल में ही उनका अटूट प्यार उड़न छू हो गया और पति ने उन्हें छोड़ दिया। इन मासूमों ने अभी रिश्तों को जानना शुरू ही किया था कि दुनिया में सबसे प्यारी उनकी मां उन्हें इस दुनिया में बेसहारा छोड़ कर एक नए प्रेमी के साथ गायब हो गई। माता-पिता के होते अनाथ की तरह दोनों बच्चे शाम को मुक्तिधाम के बाहर दुबके बैठे मिले।
- जानकारी के मुताबिक मोतीसागरपारा में रहने वाली एक नाबालिग ने अपनी पसंद से प्रेम विवाह किया था।
- कुछ वक्त पति-पत्नी खुशहाल जीवन जीते रहे और उनके घर पहले एक बेटी आई और उसके बाद एक प्यारा से बेटा।
- घर-परिवार के संघर्ष ने शायद उनकी प्रेम प्रतिज्ञा को चकनाचूर कर दिया था, जिसकी वजह से उनके बीच कड़वाहट भर गई।
- आखिरकार पति ने दोनों बच्चे व पत्नी को छोड़ दिया।
- बताया जा रहा कि उसने भी अपने लिए एक नई जीवनसंगिनी ढूंढ़ ली थी।
- उनकी बेटी अभी चार साल की है और बेटा महज तीन साल का।
- ये बच्चे अभी घर-परिवार और रिश्तों के बंधन को जानना-पहचानना सीख ही रहे थे कि जिंदगी ने उन्हें संघर्ष की एक नई पाठशाला में दाखिला दे दिया।
- दुनिया में उनकी एकमात्र सरपरस्त रही मां उन्हें अकेला छोड़कर किसी और के साथ नई जिंदगी शुरू करने चली गई।
- इतनी सी उम्र में इन बच्चों के साथ हुई इतनी बड़ी नाइंसाफी ने एक बार फिर मानवता के सारे मापदंड को कटघरे पर खड़ा होने मजबूर कर दिया है।
नाना-नानी ने रखा दो दिन अपने पास
जब बच्चों के बारे में उसके नाना-नानी को खबर मिली तो वह 2 दिन तक उन्हें अपने पास रखें, लेकिन बेटी के पति से इन्हें खतरा था, इसलिए उन्होंने दोनों बच्चों को चाइल्ड लाइन को सौंप दिया।
सीडब्ल्यूसी ने किया मातृछाया के सुपुर्द
जिला बाल संरक्षण अधिकारी दयादास महंत ने बताया कि बच्चों की देखरेख एवं संरक्षण के लिए नाना-नानी ने चाइल्ड लाइन से संपर्क किया था। चाइल्ड लाइन के माध्यम से उन्हें बाल कल्याण समिति के समक्ष पेश किया गया, जहां से उन्हें महिला एवं बाल विकास विभाग की ओर से संचालित विशेषीकृत दत्तक ग्रहण अभिकरण, सेवाभारती मातृछाया में भेज दिया गया है। महंत ने बताया कि सीडब्ल्यूसी की ओर से पिता से काउंसलिंग के जरिए यह जानकारी ली जाएगी कि आगे वे बच्चों को अपनाएगा या नहीं? जवाब के आधार पर नियमानुसार बच्चों का भविष्य निर्धारित किया जा सकेगा।