नई दिल्ली। 2019 के लोकसभा चुनाव को लेकर सियासी दलों के बीच गठबंधन के गणित अब अंतिम दौर में पहुंच चुके हैं। यूपी में अखिलेश यादव और मायावती का महागठबंधन फाइनल होने के बाद भाजपा ने भी अलग-अलग राज्यों में अपने सहयोगी दलों के साथ सीट शेयरिंग को लेकर बातचीत करनी शुरू कर दी है। इसी कड़ी में पिछले दिनों बिहार एनडीए के घटक दलों के बीच सीटों का बंटवारा होने के बाद अब महाराष्ट्र में भी भाजपा और शिवसेना ने लोकसभा चुनाव को लेकर डील लगभग फाइनल कर ली है। सू्त्रों के हवाले से खबर है कि भाजपा अध्यक्ष अमित शाह और शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे के ने सीट बंटवारे का फॉर्मूला तय कर लिया है, जिसका ऐलान अगले कुछ ही दिनों में हो सकता है।
48 लोकसभा सीटों के लिए ये है फॉर्मूला
सूत्रों की मानें तो दोनों पार्टियों के बीच महाराष्ट्र की 48 लोकसभा सीटों के लिए बंटवारे का जो फॉर्मूला तय किया गया है, उसके तहत भाजपा 25 और शिवसेना 23 लोकसभा सीटों पर चुनाव लड़ेगी। सीटों को लेकर हुए समझौते के मुताबिक, भाजपा पालघर लोकसभा सीट पर कोई उम्मीदवार खड़ा नहीं करेगी। वहां से अब शिवसेना ही चुनाव लड़ेगी। आपको बता दें कि इससे पहले 2014 के लोकसभा चुनाव में गठबंधन के तहत भाजपा 26 और शिवसेना 22 सीटों पर मिलकर चुनाव लड़ी थी। सूत्रों के मुताबिक, महाराष्ट्र के सीएम देवेंद्र फडणवीस ने पहले शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे के साथ सीट शेयरिंग को लेकर चर्चा की और बैठक में हुई बातचीत की जानकारी गुरुवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को दी।
विधानसभा चुनाव के लिए भी तय हुआ गणित
सूत्रों ने यह भी दावा किया है कि भाजपा और शिवसेना के बीच महाराष्ट्र के आगामी विधानसभा चुनावों को लेकर सीट शेयरिंग का समझौता भी फाइनल हो चुका है। महाराष्ट्र में इस साल के आखिर में ही विधानसभा चुनाव होने हैं। समझौते के अनुसार, 288 विधानसभा सीटों वाले महाराष्ट्र में भाजपा 145 और शिवसेना 143 सीटों पर चुनाव लड़ेगी। दोनों दलों के बीच सीट बंटवारे के फार्मूले में एक शर्त यह भी शामिल है कि गठबंधन के तहत शिवसेना को विधानसभा की 6 से 7 वो सीटें दी जाएंगी, जो वर्तमान में भाजपा के पास हैं। हालांकि, दोनों दलों की ओर से अभी तक इन दोनों समझौतों के बारे में कोई भी आधिकारिक पुष्टि नहीं की गई है। गौरतलब है कि शिवसेना लगातार इस बात को कहती रही है कि सीट बंटवारे को लेकर कोई भी फॉर्मूला पार्टी अध्यक्ष उद्धव ठाकरे ही फाइनल करेंगे।
आपको बता दें कि 2014 के लोकसभा चुनाव में भाजपा और शिवसेना एक साथ चुनाव मैदान में उतरे थे। हालांकि 2014 के विधानसभा चुनावों में दोनों अलग-अलग चुनाव लड़े, लेकिन बाद में दोनों दलों ने मिलकर महाराष्ट्र में सरकार बनाई। विधानसभा चुनाव में भाजपा ने 123 सीटों पर जीत हासिल की, जबकि शिवसेना के खाते में महज 63 सीटें ही आईं। 2014 के बाद कई मौकों पर दोनों दलों के बीच जुबानी टकराव देखने को मिल चुका है। हाल ही में राम मंदिर के मुद्दे पर भी शिवसेना ने भाजपा को घेरा था। हालांकि 2019 के लोकसभा चुनाव में शिवसेना का साथ मिलने से भाजपा को अब जरूर राहत मिलेगी, क्योंकि हाल ही में आए कई चुनावी सर्वेक्षणों में दोनों दलों के अलग-अलग चुनाव लड़ने से एनडीए को नुकसान का अनुमान जताया गया था।