जानिए राज्यपाल अनुसुइया उइके ने राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री को क्या दी सलाह…..

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रायपुर : छत्तीसगढ़ की राज्यपाल अनुसुइया उइके ने सोमवार को राष्ट्रीय शिक्षा नीति पर एक वेब सम्मेलन में भाग लिया। राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने राष्ट्रीय शिक्षा नीति पर राज्यपालों के सम्मेलन का आयोजन किया था। इस वेब सम्मेलन में वीडियो कॉन्फ्रेंस के माध्यम से राज्यपाल ने कहा कि ई-पाठ्यक्रम की मदद से दूरस्थ ग्रामीण अंचल और आदिवासी बाहुल्य इलाकों में रहने वाले स्टूडेंट्स को फायदा पहुंचेगा। उन्होंने छत्तीसगढ़ में स्टूडेंट्स को शुरूआती एजुकेशन में छत्तीसगढ़ी भाषा के बारे में पढ़ाए जाने की भी बात कही। राज्यपाल ने कहा कि नई शिक्षा नीति में स्कूल के बच्चों को बोर्ड परीक्षा के तनाव को कम करने का उपाय किया गया है। कक्षा 6वीं से ही विद्यार्थियों को व्यवसायिक एवं कौशल की शिक्षा प्रदान कर इंटर्नशिप कराने से, बच्चे शिक्षा के प्रति प्रेरित एवं जागरूक होंगे।इसमें गुरूकुल पद्धति का समावेश है।

सुझाव दिए
राज्यपाल ने अपनी तरफ से कुछ अहम सुझाव दिए। उन्होंने कहा कि जनजातियों की भाषा शिक्षा दी जानी चाहिए। कुछ राज्यों में जहां पर जनजातियों की संख्या अधिक है वहां स्थानीय स्तर पर जनजाति-भाषा के शिक्षकों की नियुक्ति करने और नियुक्ति में क्षेत्रीय, जनजाति-गोंडी भाषा के शिक्षकों के लिए पद आरक्षित करने की जरूरत बताई।

बेकार स्टडी मटेरियल पर रोक लगे
राज्यपाल उइके ने छत्तीसगढ़ के संदर्भ में सुझाव देते हुए कहा कि बस्तर और सरगुजा जैसे आदिवासी अंचलों में मल्टीडिसीप्लिनरी एजुकेशन एंड रिसर्च यूनिवर्सिटी प्राथमिकता के आधार पर प्रारंभ किए जाएं, जिससे इन क्षेत्रों में शिक्षा का प्रचार-प्रसार हो सकेगा और आदिवासी युवाओं को बेहतर शिक्षण संस्थानों में अध्ययन करने का मौका मिल सकेगा। उच्च शिक्षा में अनाधिकृत पाठ्य सामाग्री को पूरी तरह से बैन किया जाना चाहिए। जिससे विद्यार्थी अच्छी पाठ्य सामग्री को पढ़ने के लिए बाध्य हों। उन्होंने कहा कि छत्तीसगढ़ में स्थानीय साहित्य पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध नहीं है, छत्तीसगढ़ी भाषा के लेखकों, साहित्यकारों को साहित्य उपलब्ध कराने की दिशा में काम होने चाहिए।