हुआ अपहरण धूप का, पूरी जनता मौन कोहरा थानेदार है, रपट लिखाये कौन….

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वरिष्ठ पत्रकार शंकर पांडेय

राजधानी रायपुर में नगर निगम में महापौर तथा निगम के 70 वार्ड पार्षदों के लिए चुनाव हो रहा है। इसका इतिहास 152 साल पुराना है। 17 मई 1867 में नगर पालिका का काम डिप्टी कमिश्नर के नेतृत्व में होता था। 1883 तथा 1903 में सीपीआर एण्ड बरार अधिनियम 192 के आधार पर सन 1925-26 में नगर पालिका का पुनगर्ठन किया गया था। पहले सन 22 से 25 तक वामनराव लाखे तथा सन् 25 से 28 तक बड़ी प्रसाद पुजारी ने भी कार्य सम्हाला। पर ठाकुर प्यारेलाल सिंह पहली बार निर्वाचित होकर 15 अगस्त 37 से 8 अक्टूबर 39 तक अध्यक्ष का कार्यभार सम्हाला। आजादी के बाद 29 अक्टूबर 47 से 11 अक्टूबर 50 तक पं. शारदाचरण तिवारी आफिसर इंचार्ज रहे। बाद में शारदाचरण तिवारी और बुलाकी लालपुजारी ने क्रमश: सन् 50 से 57 तथा सन् 57 से 67 तक अध्यक्ष पद की जिम्मेदारी सम्हाली तथा नगर के विकास को गति दी।


1967 में नगर पालिका को नगर निगम का दर्जा मिला पर 1980 में पहली बार महापौर का चुनाव हुआ। उस समय छत्तीसगढ़ में केवल रायपुर को ही नगर निगम का दर्जा प्राप्त था। 44 पार्षद चुने गये और उन्होंने ही प्रथम महापौर के रूप में स्वरूपचंद जैन को चुना। तब निर्दलीय पार्षद के रूप में विजयी स्व. गंगाराम शर्मा उप महापौर बने थे।

उस समय पार्षदों ने जमकर भीतरघात किया था। पहली बार महापौर पद के लिए पार्षदों द्वारा मतदान किया गया और बमुश्किल स्वरूप चंद जैन महापौर बन सके थे। उस समय महापौर का फैसला विद्याचरण शुक्ल ही लेते थे।

स्वरूपचंद जैन एक साल महापौर रहे फिर एक साल के लिए एस.आर.मूर्ति महापौर बने तब एम.ए. खान उप महापौर बने। इसके बाद फिर स्वरूपचंद जैन महापौर और इकबाल अहमद रिजवी (बल्लू भैया) उपमहापौर बने, इसके बाद तरूण चटर्जी करीब डेढ़ साल महापौर बने तो अब्दुल हमीद (कोटा) उपमहापौर बने थे। इसके बाद करीब 6 माह के लिये संतोष अग्रवाल महापौर बने पर हमीद (कोटा) उप महापौर बने रहे। असल में विद्या भैया ने आखरी के कार्यकाल 6-6 माह के लिए तरूण और संतोष को महापौर बनाना तय किया था पर हालात ऐसे बने कि तरूण चटर्जी अधिक समय तक महापौर बने रहे। वैसे निगम के इसी कार्यकाल में गुरुमुख सिंह होरा और पत्रकार नंदकुमार पाठक की भी सक्रिय भूमिका रही। गुरुमुख सिंह होरा ने सहयोजन में पहली बार निगम की राजनीति में प्रवेश किया था। सन 85 से 95 तक नगर निगम में चुनाव नहीं हुए तथा प्रशासक ने निगम का कार्यभार सम्हाला। करीब 10 साल तक निगम के चुनाव नहीं हुए तथा प्रशासकों ने रायपुर की मूलभूत सुविधाएं बढ़ाने में योगदान दिया।
इसके बाद 1995 में फिर नगर निगम में चुनाव हुए तब कांग्रेस पार्षद दल को बहुमत मिला। बलबीर जुनेजा महापौर तथा गजराज पगारिया उप महापौर चुने गये 5 साल निगम प्रशासन का नेतृत्व कर शहर के विकास का जिम्मा इन्होंने उठाया।
छत्तीसगढ़ नया राज्य बना तब निगम चुनाव नियमों में संशोधन के तहत महापौर का चुनाव सीधे मतदान प्रणाली से कराना शुरू हुआ। 5 जनवरी 2000 को तब तक भाजपा में प्रवेश ले चुके तरूण चटर्जी ने महापौर पद पर जीत दर्ज की वहीं उप महापौर पर समाप्त होने पर सभापति भाजपा के ही सुनील सोनी बने। तरूण चटर्जी के कांग्रेस प्रवेश, लोकनिर्माण मंत्री बनने, मंत्री तथा महापौर पद एक साथ काबिज होने के चलते 25 दिसंबर 2003 को वे इस्तीफा देकर हट गये और सुनील सोनी ने 5 जनवरी 2004 से 3 जनवरी 05 तक महापौर पद की जिम्मेदारी सम्हाली थी। प्रफुल्ल विश्वकर्मा सभापति बने। बाद के नगर निगम चुनाव में सुनील सोनी को जनता ने महापौर चुना और रतन डागा सभापति बने। बाद के चुनाव में आरक्षण के कारण रायपुर महापौर का पद महिला के लिए आरक्षित हो गया और कांग्रेस की डॉ. किरणमयी नायक महापौर चुनी गई। बाद के पिछले चुनाव में भाजपा ने सच्चिदानंद उपासने को महापौर प्रत्याशी बनाया था तो कांग्रेस ने प्रमोद दुबे को उनके मुकाबले उतारा था। प्रमोद दुबे विजयी हुए थे इस बार पार्षद ही अपने बीच से महापौर चुनेंगे इसलिए कुछ बड़े नेता पार्षद चुनाव लड़ रहे हैं। 24 को मतगणना के बाद स्पष्ट हो पायेगा कि किस दल के पार्षद अधिक जीतते हैं, निर्दलियों की क्या भूमिका होगी और किसके सर महापौर का ताज होगा।

शहर की सत्ता पर किसका होगा कब्जा….

छत्तीसगढ़ में शहर की सरकार किसकी बनती है इसको लेकर आज मतदान हो रहा है तथा 24 दिसंबर को मतगणना है। चुनाव परिणाम निश्चित ही प्रदेश की राजनीति को नई दिशा देगा।
छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर संस्कारधानी बिलासपुर, दुर्ग, राजनांदगांव आदिवासी क्षेत्र जगदलपुर, अंबिकापुर, औद्योगिक नगरी कोरबा रायगढ़ में महापौर चुनने के नाम पर वार्ड मेम्बरों के लिए मतदान हो रहे हैं। पहली बार कांग्रेस सरकार ने मतपत्रों से वार्ड मेम्बरों के चुनाव कराने का निर्णय लिया हैं। विजयी पार्षद अपने बीच से ही महापौर चुनेंगे वहीं शहर की सरकार चलाएंगे। छत्तीसगढ़ में भाजपा की 15 साल तक डॉ. रमन सिंह के नेतृत्व में सरकार रही थी और रायपुर राजधानी में 10 साल कांग्रेस की डॉ. किरणमयी नायक उसके बाद प्रमोद दुबे महापौर रहे। वहीं इस बार कांग्रेस सूत्रों की मानें तो भाजपा के पिछले शासनकाल में 63 प्रतिशत नगरीय निकायों में कांग्रेस का कब्जा रहा था तो अब तो प्रदेश में कांग्रेस की सरकार है। फिर शहरी मतदाता समझदार होते हैं उन्हें पता है कि प्रदेश में जिस पार्टी की सरकार है उसके प्रतिनिधि चुने पर शहर का अधिक विकास हो सकता है। बहरहाल भाजपा सूत्रों की मानें तो इस बार नगरसरकार के चुनाव में भाजपा की स्थिति अच्छी रहेगी भूपेश सरकार के एक साल के कार्यकाल की यह परीक्षा की घड़ी है, राज्य सरकार ने एक साल में शहरी विकास के नाम पर कुछ भी निर्माण कार्य नहीं किया है। न ही अपना चुनावी वादा ही पूरा किया है। वैसे एक बात है कि विजयी पार्षदों के बीच से महापौर चुने के नियम के चलते कई दिग्गज कांग्रेसी भाजपाई चुनाव मैदान में पार्षद बनने चुनाव समर में हैं और उनकी भावी नेतागिरी का फैसला वार्ड की जनता करेगी? छत्तीसगढ़ में 68 विधानसभा (दंतेवाड़ा उपचुनाव के बाद 69) सीटों पर जीत का परचम फहराने वाली कांग्रेस पार्टी को लोकसभा चुनाव में 11 में से केवल 2 सीटों पर ही संतोष करना पड़ा, 9 लोकसभा सीटों पर भाजपा को जीत मिली थी। अब नगर सरकार में भूपेश बघेल का जादू चलता है या मोदी मेजिक चल पाता है इसका खुलासा तो 24 दिसंबर को ही हो सकेगा पर हाल ही में हरियाणा, महाराष्ट्र विधानसभा के चुनाव परिणामसे मोदी मेजिक कुछ कमजोर पड़ा है ऐसा लगता है।

मानव तस्करी और कोण्डागांव एसपी….

छत्तीसगढ़ में सरगुजा-बस्तर आदि से बच्चे, महिलाओं के लापता होने की खबर विधानसभा तक में उठ चुकी है, बाद में पता चला कि काम, अच्छे भविष्य के सपने दिखाकर बच्चों, बच्चियों को प्रदेश से बाहर ले जाकर बंधुआ मजदूर बनाने, बच्चियों की खरीद-फरोख्त करने कुछ लोग सुनियोजित प्रयास कर रहे हैं। खबर मिलती रहती है और अफसर पता साजी करते रहते हैं पर हाल ही में कोण्डागांव के पुलिस कप्तान सुजीत कुमार ने मानव तस्करी के शिकार 70 बच्चों को मुक्त करवाकर संवेदनशीलता का परिचय दिया है उनके मुताबिक करीब 300 बच्चे अभी और बरामद किये जा सकते हैं। रायपुर में बतौर सीएसपी पदस्थ रहे सुजीत कुमार वैसे भी काम करने वाले अधिकारी माने जाते हैं। कोण्डागांव पुलिस इरागांव की एक लापता नाबालिग लड़की की तलाश में तमिलनाडू के सेलम पहुंची तब वहां छत्तीसगढ़ के और भी बच्चों के फंसे होने की सूचना मिली। पुलिस कप्तान सुजीत कुमार के निर्देश पर 2 माह तक रेस्क्यू आपरेशन चला, पुलिस ने 6 मानव तस्कर दलालों को गिरफ्तार कर 70 बच्चों को मानव तस्कर गिरोह से मुक्त कराया और 20 दलालों के खिलाफ प्रकरण भी दर्ज किया गया है। कितना अच्छा हो कि अन्य जिलों (बस्तर-सरगुजा विशेष तौर पर) के पुलिस अफसर भी संवेदनशीलता का परिचय देकर छगके बच्चों-बच्चियों को मानव तस्करों के पंजों से मुक्त कराने की पहल करें वैसे पुलिस को इस विषय में संयुक्त अभियान भी चलाना चाहिए।

और अब बस….

0 पूर्व आरडीए अध्यक्ष नगर निगम पार्षद का चुनाव लड़ रहे भाजपा प्रवक्ता संजय श्रीवास्तव के खिलाफ पूर्व महापौर किरणमयी नायक ने जमीन आबंटन में 86 करोड़ के घोटाले का आरोप लगाकर ईओडब्लु में शिकायत की है।
0 सारकेगुड़ा में फर्जी मुठभेड़ में 17 बेकसूर आदिवासियों की मौत के मामले की जांच रिपोर्ट गृह विभाग के पास पहुंच गई है। इस संबंध में दोषियों के खिलाफ जल्दी एक बड़ी कार्यवाही किये जाने के संकेत मिल रहे हैं।
0 संजीवनी योजना में ईलाज बंद करने वाले मेकाहारा के अधीक्षक डॉ. विवेक चौधरी को पद से हटा दिया गया है।
0 राजधानी रायपुर में कांग्रेस और भाजपा के निगम में सरकार बनाने के दावों के बीच निर्दलियों की भी महत्वपूर्ण भूमिका से इंकार नहीं किया जा सकता।