शिक्षकों को ग़ैरशिक्षकीय कार्यो से पृथक रखना सराहनीय.. साथ ही देश में एक शिक्षा नीति व सेवा शर्तो की सख्त जरूरत: शिव सारथी

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7 अक्टूबर 2019 बिलासपुर। केंद्र सरकार द्वारा अभी हाल ही में नई शिक्षा नीति के तहत शिक्षकों को पढ़ाई के अलावा गैर शैक्षणिक कार्यो से पृथक करने का कार्य योजना बनाई है। जिसे लेकर शिक्षाकर्मी नेताओं ने स्वागत किया है सहायक शिक्षक नेता शिवशंकर सारथी ने कहा कि इसके लिए केंद्र सरकार बधाई के पात्र है। जिन्होंने शिक्षा के गुणवत्ता को बढ़ाने के लिए सख्त कदम उठाया है, ऐसा नहीं है कि शिक्षक इस कार्य से मुक्त होने के लिए कोई प्रयास नहीं किये वरन इसके विरोध में लगातार समय-समय पर आवाज बुलंद करते रहे है जिसे राज्य व केंद्र सरकार द्वारा इसे अनदेखी किया जाता रहा है। पर अब जाकर नीति आयोग और केंद्र के मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने माना कि शिक्षकों की सही जगह एक मात्र अध्यापन कार्य ही है।

इस सम्बंध में प्राथमिक शाला में कार्यरत सहायक शिक्षक नेता शिव सारथी का कहना है कि शिक्षको को ग़ैरशिक्षकीय कार्य से पृथक करने से मात्र से शिक्षा में गुणवत्ता नहीं आएगा। बल्कि उसके लिए राष्ट्रीय स्तर पर एक समान पाठ्यक्रम व नीति बनाना पड़ेगा साथ ही शिक्षकों के लिए एक समान सेवा शर्ते तथा एक समान ही केंद्रीय वेतनमान देकर उन्हें प्रोत्साहित करना पड़ेगा। तभी अच्छी गुणवत्ता युक्त शिक्षा की परिकल्पना साकार हो सकेगा। जैसे दिल्ली के केजरीवाल सरकार ने शासकीय स्कूलों में आर्थिक संसाधन से उन्हें लेस करके शिक्षकों को समान काम समान वेतन का प्रतिफल देकर शासकीय स्कूलों को निजी स्कूलों के स्तर से भी ऊँचाई पर ले गया है उसी भांति देश के सभी राज्यो में नीति बनाने की जरूरत है।

शिव सारथी ने केंद्र शासन का ध्यान आकृष्ट कराया है कि भ्र्ष्टाचार मुक्त भारत, जागरूक औऱ स्वच्छ सुन्दर भारत देश के लिए एक समान पाठ्यक्रम समान सेवा शर्ते की बहुत जरूरत हैं।
ताकि शिक्षा के रास्ते देश विकसित राष्ट्र के गौरव को पा सके।