उपभोक्ता फोरम के आदेश का पालन ना करने पर बीमा कंपनी का मैनेजर गिरफ्तार, 4.54 लाख रुपये जमा करने पर हुआ रिहा

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25 अक्टूबर 2019 भिलाई। परिवादी मनीष तिवारी के परिवाद पर जिला उपभोक्ता फोरम दुर्ग ने बीमा कंपनी के खिलाफ 30 नवंबर 2017 को आदेश पारित किया था, जिसका पालन नहीं करने पर एचडीएफसी स्टैण्डर्ड लाइफ इंश्योरेंस कंपनी की नेहरू नगर भिलाई शाखा के मैनेजर के खिलाफ फोरम ने जारी गिरफ्तारी वारंट जारी किया था, जिस पर मैनेजर चंद्रप्रकाश पवार को गिरफ्तार कर सुपेला पुलिस द्वारा जिला उपभोक्ता फोरम के समक्ष में पेश किया गया।

आदेश पश्चात 2 साल तक हर्जाना राशि का भुगतान नहीं करने के साथ साथ निष्पादन प्रकरण में लगातार अनुपस्थित रहने के कारण जिला उपभोक्ता फोरम के अध्यक्ष लवकेश प्रताप सिंह बघेल, सदस्य राजेन्द्र पाध्ये व लता चंद्राकर ने बीमा कंपनी को कोई भी रियायत देने से इनकार कर दिया, तब बीमा कंपनी ने आनन-फानन में 454575 रुपये परिवादी मनीष तिवारी को चेक द्वारा भुगतान किया, जिसके बाद बीमा कंपनी के मैनेजर चंद्रप्रकाश पवार को रिहा किया गया।

यह था मामला
परिवादी मनीष कुमार तिवारी ने बीमा कंपनी एचडीएफसी स्टैंडर्ड लाइफ इंश्योरेंस कंपनी से हेल्थ इंश्योरेंस बीमा करवाया था। बीमा अवधि के दौरान ही परिवादी वाहन दुर्घटना में घायल हुआ, जिसका इलाज अलग-अलग अस्पतालों में करवाया और दुर्घटना में आई चोटों के संबंध में परिवादी ने बीमा दावा पेश किया, जिसे बीमा कंपनी ने यह कारण दर्शाते हुए निरस्त कर दिया कि बीमा पॉलिसी लेने के पहले से परिवादी को डायबिटीज थी परंतु परिवादी ने इस महत्वपूर्ण तथ्य को पॉलिसी लेते समय छिपाया था।

प्रकरण पर विचारण उपरांत जिला उपभोक्ता फोरम दुर्ग की तत्कालीन अध्यक्ष श्रीमती मैत्रेयी माथुर, सदस्य राजेन्द्र पाध्ये व लता चंद्राकर ने यह पाया था कि परिवादी का इलाज दुर्घटनावश चोट आने के कारण हुआ था जिसका डायबिटीज से कोई सीधा संबंध नहीं था इसके बावजूद अनावेदक बीमा कंपनी द्वारा परिवादी का बीमा दावा पॉलिसी लेने से पहले उसके डायबिटीज से पीड़ित होने के आधार पर खारिज किया जो कि सेवा में निम्नता एवं व्यवसायिक कदाचरण का परिचायक है। तत्समय में जिला उपभोक्ता फोरम ने अनावेदक बीमा कंपनी पर कुल 405000 रुपये हर्जाना लगाया था, जिसमें परिवादी के इलाज में हुए खर्च की राशि 300000 रुपये मय 9 प्रतिशत ब्याज, मानसिक क्षतिपूर्ति स्वरूप 100000 रुपये एवं वाद व्यय के रुप मे 5000 रुपये हर्जाना लगाया था।