सरोज के हस्तक्षेप से दुर्ग जिला भाजपा में बढ़ रही गुटबाजी.. मंडल अध्यक्ष के चुनाव में दुर्ग और भिलाई में जिला अध्यक्षों की मनमानी!

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दुर्ग@मनोज कुमार साहू। दुर्ग-भिलाई में भाजपा मंडल अध्यक्ष की नियुक्ति के बाद गुटबाजी तेज हो गई है। जहां दुर्ग के सांसद विजय बघेल, जिले के एकमात्र विधायक विद्यारतन भसीन और पूर्व कद्दावर मंत्री प्रेम प्रकाश पांडे इस नियुक्ति के खिलाफ है तो सरोज पांडेय और उनका पूरा खेमा मलाई में डूबा हुआ है। दरअसल हाल ही में हुए मंडल अध्यक्षों की नियुक्ति के बाद पार्टी के भीतर जमकर बवाल मचा है। इस नियुक्ति का विरोध भले ही भाजपा के बड़े नेता और जनप्रतिनिधि कर रहे हो लेकिन इसका खामियाजा जमीनी स्तर के बीजेपी कार्यकर्ताओं को भुगतना पड़ रहा है। वजह है कि सरोज पांडेय के हस्तक्षेप के बाद दुर्ग जिले के भाजपा में गुटबाजी बढ़ गई है। और एक बार फिर भाजपा के नेता आमने सामने आ गए है।

सरोज पांडेय़ के इशारे पर हुई नियुक्ति

जिला भाजपा के कई बड़े नेताओं का मानते है कि दुर्ग और भिलाई में जिला अध्यक्षों ने अपनी मनमानी करते हुए और भाजपा की राष्ट्रीय महासचिव एवं राज्यसभा सांसद सरोज पांडे के इशारे पर अपने चहेतों को रबड़ी की तरह बांट दी है। दुर्ग जिला अध्यक्ष उषा टावरी और भिलाई जिला अध्यक्ष सांवलाराम डाहरे के नेतृत्व में यह संगठन चुनाव संपन्न हुआ है। लेकिन जिस वक्त चुनाव प्रभारियों की लिस्ट जारी हुई थी। तभी अंदाजा लगा लिया गया था कि इस बार भी सरोज पांडेय के ज्यादा से ज्यादा समर्थकों की मंडल अध्यक्षों के लिए नियुक्ति होगी। हुआ भी ऐसा ही। दुर्ग के एक मंडल और पाटन के मंडल को छोड़कर बाकी सभी स्थानों पर सरोज पांडेय के चहेतों को पद पर बैठा दिया गया। जिससे जिले भर के जमीनी कार्यकर्ता नाराज है।

कार्यकर्ताओं में नाराजगी, आगामी चुनाव में बढ़ सकती हैं मुश्किलें

सांसद विजय बघेल, विधायक विद्यारतन भसीन और पूर्व मंत्री प्रेम प्रकाश पांडे को इस बात की जानकारी तक नहीं लगी कि मंडल अध्यक्ष पर किसका नाम फाइनल हो रहा है। इस बीच कार्यकर्ताओं की नाराजगी तो खुलकर सामने आ गई। और वे अपने-अपने नेताओं के पास पहुंच कर इसकी शिकायत करने लगे। इसी मुद्दे को सामने रखते हुए भाजपा के सांसद, विधायक और पूर्व मंत्री मिलकर एक साथ इस नियुक्ति की शिकायत सिर्फ नेताओं से कर दी है। इस नियुक्ति के बाद पार्टी में गुटबाजी तो बढ़ गई है और इस गुटबाजी का भुगतान भी आगामी निकाय चुनाव में देखने को मिल सकता है।

पार्टी के नेताओं का मानना है कि जिन लोगों की मंडल अध्यक्ष के पद पर नियुक्ति की है। उससे तो निकाय चुनाव में जीत हासिल करना काफी मुश्किल है। एक दो को छोड़कर कोई भी नेता धरातल से जुड़ा नहीं है। एक बीजेपी नेता को कहते है इस षड़यंत्र के पीछे भाजपा राष्ट्रीय महासचिव एवं राज्यसभा सांसद सरोज पांडेय का हाथ है। पहले उन्होंने दुर्ग और भिलाई के जिला अध्यक्षों को बचा कर रखा। और अब वे अपने लोगों को मंडल अध्यक्ष के पद पर बैठा दिया। जिससे पार्टी का बंटाधार तो होना निश्चित है। लेकिन निकाय चुनाव जीतना मुश्किल है। आरोप तो ये भी लगा है कि जिस तरीके से सरोज पांडेय झूठी वाहवाही लेने में लगी रहती है। और घर पर समोसा खाते हुए आर्डर देती है। उसकी तरह के उनके दुर्ग और भिलाई भाजपा के जिला अध्यक्षों का हाल है। और तो और जिन मंडल अध्यक्षों की नियुक्ति की है। वे ना तो पार्टी के प्रचार में घर से निकले और ना ही कभी चुनाव प्रचार के लिए पार्टी का झंडा लेकर घर-घर पहुंचे है। ऐसे लोगों को हाथों मंडल अध्यक्ष की कमान सौंप दी है।

मौजूदा जन प्रतिनिधियों का छलका दर्द

दुर्ग जिले में मौजूदा जन प्रतिनिधियों का एक बार फिर दर्द सामने आया है। लेकिन इस बार उनका दर्द अपने स्वार्थ ने लिए नहीं ब्लकि दुर्ग जिले में पार्टी के अस्तित्व को बचाए रखने और जमीनी स्तर के कार्यकर्ताओं को उनका सम्मान दिलाने के लिए था। दरअसल दुर्ग और भिलाई जिले के भाजपा संगठन में मंडल अध्यक्षों की नियुक्ति के बाद मौजूदा जन प्रतिनिधि खासे नाराज है। चाहे सांसद विजय बघेल हो या फिर जिले के एक मात्र भाजपा विधायक विद्यारतन भसीन हो। या फिर पूर्व मंत्री प्रेम प्रकाश पांडेय हो। इसकी शिकायत शीर्ष नेताओं से की है। सबका एक ही सवाल है कि जो कार्यकर्ताओं सालों साल दिनरात मेहनत करके पार्टी को आगे बढ़ाने का काम कर रहे है। क्या इनको मंडल अध्यक्ष बनने का अधिकार नहीं है?