सीजी मेट्रो डॉट कॉम/रायपुर/मनोज कुमार साहू
छत्तीसगढ़ में पूर्ण बहुमत से कांग्रेस की सरकार 15 साल बाद सत्ता में वापस लौटी है। 68 सीटों पर कांग्रेस ने ऐसा पंचा मारा कि इतिहास के पन्नों में भाजपा के लिए अमिट निशान छोड़ गया। चुनाव के नतीजे आने के बाद न सिर्फ प्रदेश में ब्लकि देश में खुशी की लहर दौड़ गई। लेकिन अब भी कांग्रेस के लिए परीक्षा की घड़ी बाकी है। क्योकि कांग्रेस बिना चेहरे मैदान पर उतरी थी। और अब मुख्यमंत्री के लिए जद्दोजहद कर रही है। मुख्यमंत्री पद के लिए कई नामों पर चर्चा हैं। लेकिन कुछ खास नाम ऐसे हैं जिसपर मुख्यमंत्री के लिए समीकरण बैठते है। उनसे से सबसे पहले नंबर ताम्रध्वज साहू है। तो दूसरे और तीसरे पर टीएस सिंहदेव और भूपेश बघेल है। इन्ही के साथ डॉ. चरणदास मंहत का नाम भी प्रमुख दावेदारों में है।
इधर AICC से भेजे गए कांग्रेस के पर्यवेक्षक मल्लिकार्जुन खड़गे रायपुर पहुंच चुके है। और अब थोड़ी देर में कांग्रेस विधायक दल की बैठक करने वाली है। इस बैठक में विधायक से राय ली जाएगी। जिसमें मुख्यमंत्री के लिए अपनी पंसद बताएंगे। लेकिन आखिर में इसका फैसला आलाकमान ही तय करेगा।
राहुल के सबसे करीबी
राहुल गांधी के करीबियों में अगर छत्तीसगढ़ के नेताओं की बात की करें तो ताम्रध्वज साहू इस समय सबसे नजदीक माने जाते है। इसकी वजह ये है कि 2014 के लोकसभा चुनाव में मोदी लहर में भाजपा की सीट को छिन कर ले आए। वर्तमान में छत्तीसगढ़ के एकलौते कांग्रेस सांसद है। जिन्हे कांग्रेस की लाज बचाते हुए लोकसभा के विपक्ष में छत्तीसगढ़ का नेतृत्व करते है। यही नहीं इतने उम्र दराज होने के बाद भी वे अपने से उम्र से छोटों का पूरा सम्मान करते है। उनके सरल स्वभाव और सहज व्यवहार से लोग जुड़ते जाते है। इन्ही सब खुबियों से छत्तीसगढ़ में राहुल की पहली पंसद मानी जाती है।
ओबीसी का बड़ा चेहरा
ताम्रध्वज साहू भले ही साहू समाज से आते हो। लेकिन पार्टी उन्हे ओबीसी का सबसे बड़ा मानती है। इस बात का अंदाजा इससे लगाया जा सकता है कि कांग्रेस ने ताम्रध्वज साहू को ओबीसी सेल का राष्ट्रीय अध्यक्ष नियुक्त कर रखा है। जिसका प्रभाव इस विधानसभा में भरपूर देखने को मिला। यहीं वजह है कि ओबीसी वोट बैंक बढ़ने से इस बार कांग्रेस का वोट प्रतिशत 43 पार हो गया। और भाजपा का 32 फीसदी पर आ सिमटा। जो कि अपने आप में एक एतिहासिक है।
राहुल की पहली प्राथमिकता लोकसभा
राहुल गांधी भले ही विधानसभा चुनाव के लिए जोड़तोड़ कर रहे थे। लेकिन अब उनकी पहली प्राथमिकता लोकसभा चुनाव है। वे किसी भी हालत में फिर से सत्ता में आना चाहते है। ऐसे में कांग्रेस छत्तीसगढ़ में किसी भी तरह का रिस्क नहीं लेना चाहती है। ऐसे में ताम्रध्वज साहू कांग्रेस का ऐसा चेहरा हैं। जो छत्तीसगढ़ की 11 लोकसभा सीटों पर जबरदस्त प्रभाव छोड़ सकती है। ऐसे में पार्टी आगामी लोकसभा चुनाव 2019 को देखते हुए मुख्यमंत्री का कमान सौंप सकती है।
छत्तीसगढ़ियां होने का फायदा
27 फीसदी साहू बाहुल और करीब फीसदी ओबीसी वाले प्रदेश में ताम्रध्वज साहू एक लोकल चेहरा है। जिस वजह से ये माना जा रहा है कि प्रदेश की जनता छत्तीसगढ़िया मुख्यमंत्री देखना चाहती है। ऐसे में वे फिट बैठते है। साथ ही छत्तीसगढ़ में साहू सरनेम एक कॉमन है। जिससे उनके दावेदारी और मजबूत दिखती है।
बेदाग छवि
राजनीति में विधायक से लेकर लोकसभा तक मुकाम हासिल करने वाले ताम्रध्वज साहू आज भी बेदाग छवि के है। उनका कभी किसी विवाद में रहने का ना तो मामला सामने आया है। और ना ही सुनने को मिला है। और उनके समर्थक उऩके नाम का मिस यूज करते दिखते है। इन्ही सब कारण उन्हें मुख्यमंत्री का प्रमुख दावेदार बनाती हैं।
एक वजह ये भी है कि ताम्रध्वज साहू मल्लिकार्जुन खड़गे के करीबी माने जाते हैं। खड़गे ताम्रध्वज साहू के चुनाव प्रचार के लिए उनके विधानसभा क्षेत्र में भी गए थे। बता दें लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष मलिकार्जुन खडगे आज नए विधायकों से रायशुमारी करके मुख्यमंत्री चयन की प्रक्रिया को आगे बढ़ाने रायपुर पहुंचे है।