तत्काल बन्द हो बायोमैट्रिक अटेंडेंस मशीन, घटिया बायोमेट्रिक मशीन है पूर्ववर्ती भाजपा सरकार के घोर भ्रष्टाचार का जीता जागता उदाहरण : जाकेश साहू

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रायपुर। शिक्षाकर्मी वर्ग-3 नेता एवं फेडरेशन के प्रदेश संयोजक जाकेश साहू ने राज्य की भूपेश बघेल सरकार से प्रदेश के स्कूलों में लागू बायोमैट्रिक अटेंडेंस मशीन को तत्काल बन्द करने की मांग की है। 

विगत दिनों कोरबा कलेक्टर किरण कौशल ने जिले में बायोमैट्रिक अटेंडेंस के आधार पर शिक्षकों के वेतन आहरण करने के निर्देश दिए है। जिस पर प्रतिक्रिया देते हुए शिक्षाकर्मी वर्ग 03 नेता एवं फेडरेशन के प्रदेश संयोजक जाकेश साहू ने कहा कि बायोमैट्रिक अटेंडेंस मशीन को प्रदेश की पूर्ववर्ती रमन सिंह सरकार ने स्कूलों में लागू किया था जो कि तत्कालीन प्रदेश सरकार के भ्रष्टाचार का एक जीता-जागता उदाहरण है। बायोमैट्रिक मशीन की वास्तविक बाजार मूल्य प्रति मशीन मात्र चार हजार रुपये है जिसे पूर्ववर्ती रमन सिंह सरकार ने प्रति मशीन 16 हजार रुपये के दर पर कम्पनी से खरीदी की है, इस प्रकार कम्पनी के साथ सांठ-गांठ कर सरकार ने पूरे प्रदेश भर में अरबों रुपये का बड़ा घोटाला किया है।

जाकेश साहू ने प्रदेश की वर्तमान भूपेश सरकार से मांग की है कि स्कूलों में लगे बायोमैट्रिक मशीन की खरीदी घोटाले की एक कमेटी गठित कर जांच की जाय व दोषियों पर सख्त कार्यवाही करते हुए भ्रष्टाचार व भारी भरकम घोटाले की वसूली की जाय।

खराब, घटिया व सबसे निम्न क्वालिटी का है बायोमैट्रिक मशीन

स्कूलों में रखे हुए बायोमैट्रिक मशीन सबसे खराब व घटिया क्वालिटी का है जिसके कारण हजारों मशीन खराब व बेकार पड़े हुए है, मशीन आप ही आप हैंग हो जाते है, ठीक से सिंक नहीं होते। सैकड़ो मशीनों के बैटरी आप ही आप फ़ट चुके है। 

तत्काल बन्द किया जाय यह मशीन

बायोमैट्रिक मशीन तत्काल बन्द किया जाए क्योंकि ये बार-बार खराब हो जाते है, हैंग होते है, ठीक से काम ही नहीं करते। चूंकि स्कूलों में पाठकान में शिक्षकों के हस्ताक्षर होते है, प्रत्येक स्कूलों में संस्था प्रमुख है जिनके निगरानी में सारे कार्य होते है। प्रत्येक 10 से 15 स्कूलों पर एक शैक्षिक समन्वयक है जो प्रतिदिन संकुल के अधीनस्थ स्कूलों का मॉनिटरिंग करते है। सीईओ, बीईओ, बीआरसी सहित अनेक उच्चाधिकारी स्कूलों का समय-समय पर निरीक्षण करते रहते है। प्रत्येक स्कूलों में “विद्यालय प्रबंध समिति” है जिनके सानिध्य में स्कूलों की देखरेख, बैठक आदि होती है। ऐसे में बायोमैट्रिक अटेंडेंस के नाम पर शिक्षकों को बेवजह प्रताड़ित करना किसी भी स्थिति में उचित व सही नहीं है।

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