बर्बादियों के दौर का कैसा जहान है.. दहशत है हर गली में सूना मकान है..

0
136

वरिष्ठ पत्रकार शंकर पांडेय

नागरिकता संशोधन अधिनियम (सीएए) और प्रस्तावित एनसीआर का देश व्यापी विरोध हो रहा है। पंजाब, राजस्थान के बाद छग सरकार के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने प्रधानमंत्री को पत्र लिखकर इसका विरोध किया है। वहीं छग मंत्रिमंडल में भी इसके विरोध का प्रस्ताव लाकर फरवरी माह में आयोजित विधानसभा सत्र में सीएए के खिलाफ प्रस्ताव पारित करने का भी निर्णय ले लिया है। हालांकि अभी सीएए के बाद एनसीआर लाने की पूरी संभावना है। कांग्रेस सहित अन्य दल लगातार सीएए/एनसीआर का विरोध कर रहे हैं तो भाजपा के नेता तथा समर्थक कुछ दल इसका समर्थन भी कर रहे हैं।

एनसीआर के पक्ष में बोलने वालों को पहले केंद्र सरकार के खुद के आंकड़ों पर गौर तो करना ही चाहिए।
मुद्रा योजना लागू करते समय तत्कालीन वित्तमंत्री स्व. अरूण जेटली ने सदन को बताया था कि देश में करीब 30 करोड़ लोग भूमिहीन हैं। यानि उनके पास कोई जमीन नहीं है। अब इनके पास यदि जमीन ही नहीं है तो जमीन का डाक्यूमेंट्स कहां से दिखाएंगे? 170 लाख लोग घर विहीन हैं यानि उनके पास रहने को घर ही नहीं है। कोई सड़क पर सोता है तो झुग्गी बनाकर, कोई फ्लाई ओवर के नीचे, कुछ लोग रैनबसेरा में… केंद्र सरकार की सर्वे करने वाली संस्था एनएसएसओ की रिपोर्ट यह कहती है ऐसे में लोग क्या सड़क का कागज दिखाएंगे? देश में 15 करोड़ विमुक्त एवं घुमंतुओं की आबादी है, बंजारे, गाडिय़ा, लोहार, बावरिया, नट, कालबेलिया, भोपा, कलंदर, भोरियाल आदि के रहने, ठहरने का खुद का कोई आशियाना ही नहीं होता है, आज इस शहर कल उस शहर…. ये ठिकाने के कागजात कहां से दिखाएंगे? सन 2011 की जनगणना के अनुसार देश में 8करोड़ 43 लाख आदिवासी हैं, जिनके विषय में तो सरकार के पास भी अपर्याप्त आंकड़े होते हैं। बस्तर के अबूझमाड़ को तो अकबर बादशाह के समय से बूझा नहीं गया है, कितने आदिवासी हैं, किसके पास कितनी जमीन है, मकान है इसकी जानकारी प्रदेश सरकार के पास भी नहीं है वहां सर्वे ही नहीं हुआ है तो वहां के लोगों के पास तो कागजात होने से रहे…। 1970 में देश की साक्षरता दर 34 प्रतिशत थी यानि 66 प्रतिशत लोग अनपढ़ थे यानि देश के 66 प्रतिशत बुजुर्गों के पास पढ़ाई लिखाई के कोई कागजात नहीं है। वर्तमान समय में भी 26 प्रतिशत यानि 31 करोड़ लोग अनपढ़ है, जब स्कूल ही नहीं गये तो मार्कशीट किस बात की रखी होगी?

अपने आसपास के गांव-शहर के सबसे कमजोर पिछड़े लोगों के घरों पर निगाह मारिये और सोचिये उनके पास उनके बाप-दादा के कौन-कौन से डाक्यूमेंट्स रखे होंगे वे नागरिकता साबित करने में आखिर किस तरह सफल होंगे। अब बात असम की भी कर लेते हैं। असम में तो हिंदू शुरुवात में कह रहे थे कि एक करोड़ घुसपैठिये हैं जबकि वे 19 लाख ही निकले जो अपनी नागरिकता साबित नहीं कर पाये इनमें 15 लाख हिंदू और 4 लाख मुस्लिम, ईसाई और आदिवासी थे। चंद लोगों के लिए पूरे देश को आधार, नोट बदलने, जीएसटी नंबर की लाईन के बाद नागरिकता साबित करने लाईन में खड़ा करने की अभी आखिर क्या जल्दी थी?

1000 करोड़ का घोटाला?

छत्तीसगढ़ में राज्य श्रोत नि:शक्त जन संस्थान नामक कागजी संस्थान बनाकर 1000 करोड़ के घोटाले के मामले में बिलासपुर उच्च न्यायालय ने एक जनहित याचिका की सुनवाई के बाद 12 अफसरों के खिलाफ प्रथम सूचना रिपोर्ट दर्ज करने सीबीआई को निर्देशित किया है साथ ही 15 दिनों के भीतर सभी अभिलेख जप्त करने का भी निर्देश दिया है इसमें 7 आईएएस अफसर भी शामिल हैं। हाईकोर्ट के आदेश के तहत जिन अफसरों की इस मामले में संलिप्तता पाई गई है उनमें पूर्व मुख्य सचिव विवेकढांड, पूर्व मुख्य सचिव सुनील कुमार कुजूर, पूर्व एसीएस एम के राऊत, प्रमुख सचिव डॉ. आलोक शुक्ला, पूर्व आईएएस अफसर बाबू लाल अग्रवाल सहित सतीश पांडे, हेमंत खलखो, एमएल पांडे और पंकज वर्मा आदि शामिल हैं। ज्ञात रहे कि सेवानिवृत्ति के पश्चात वर्तमान में विवेक ढांड, सुनील कुजूर, एम के राऊत वर्तमान सरकार में भी महत्वपूर्ण जिम्मेदारी सम्हाल रहे हैं तो डॉ आलोक शुक्ला तो नान घोटाले के मामले में अटैच होने के बाद हाल ही में स्कूली शिक्षा विभाग के प्रमुख सचिव के रूप में कार्यरत हैं वहीं बाबूलाल अग्रवाल को सीबीआई को एक मामला निपटाने के लिए घूस देने की पेशकश के बाद सरकार ने नौकरी से बाहर का रास्ता दिखा दिया था। वैसे इस मामले में पूर्व मुख्य सचिव अजय सिंह ने 200 करोड़ की गड़बड़ी अपनी 500 पन्नों की जांच रपट में स्वीकार की थी। उन्होंने यह भी स्वीकारा था कि 21 लोगों को अधिकारी-कर्मचारी की तैनाती बताया गया था पर वहां एक कर्मचारी ही काम करता पाया गया था। ज्ञात रहे कि राज्य श्रोत नि:शक्त जन संस्थान, दिव्यांगों के कल्याण के लिए बनाया गया एक एनजीओ था पर दस्तावेज बताते हैं कि यह कागजी था जिसे केंद्र सरकार से सीधे अनुदान मिलता था। बहरहाल एक बड़े न्यायिक अधिकारी की यात्रा के नाम पर भी एनजीओ द्वारा 31 लाख का खर्चा दिखाकर रकम निकालने की भी चर्चा है हालांकि इसकी अधिकृत पुष्टि नहीं हो सकी है? यदि इन अफसरों के खिलाफ सीबीआई एफआईआर दर्ज करती है तो इन्हें वर्तमान पद से हटाना सरकार की मजबूरी हो जाएगी। वैसे प्रभावित होने वाले अधिकारी इस फैसले के खिलाफ न्यायालय में राहत पाने भी लग गये हैं।

आमने-सामने हमेशा के लिए….

छत्तीसगढ़ में 15 सालों तक मुख्यमंत्री रहकर भाजपा के मुख्यमंत्रियों में सबसे लंबे समय तक पारी खेलने वाले डॉ. रमन सिंह की अटल बिहारी वाजपेयी की भतीजी करूणा शुक्ला से अदावत किसी से छिपी नहीं है। हालांकि करूणा शुक्ला की संगठन मंत्री सौदान सिंह से खटक गई थी पर डॉ. रमन सिंह की चुप्पी से वे उनसे भी नाराज ही रही। अटलजी की भतीजी करूणा विधायक, सांसद होकर भाजपा महिला मोर्चा की राष्ट्रीय अध्यक्ष तक का सफर तय किया कभी कद्दावर नेता डॉ. चरणदास महंत के मुकाबले उन्हें राजनीति से शहीद कराने लोकसभा का चुनाव लड़ाया गया तो उनकी रमन सरकार में उपेक्षा का दौर जारी रहा असल में उन्हें भावी मुख्यमंत्री के रूप में देखा भी जाता रहा था। खैर राजनीतिक हालात के बदलते अटलजी, आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी, सुषमा स्वराज आदि भाजपा में कमजोर होते गये और मोदी-शाह मजबूत होकर उभरे और करूणा शुक्ला ने सालों तक भाजपा में रहकर बाद में कांग्रेस का दामन थाम लिया। उनका एक ही उद्देश्य था कि रमन सरकार को सत्ताच्युत करना…। बाद में उन्हें राहुल गांधी के निर्देश पर राजनांदगांव विधानसभा से डॉ. रमन सिंह के खिलाफ चुनाव लडऩा पड़ा हालांकि डॉ. रमन सिंह चुनाव जीत गये पर करूणा ने उन्हें दमदार टक्कर दिया था। बहरहाल एक-दूसरे को फूटी आंखों तक देखना पसंद नहीं करने वाले डॉ. रमन सिंह और करूणा शुक्ला पड़ोसी हो गये हैं। डॉ. रमन सिंह के निजी निवास (बेबीलान होटल के पास) के ठीक सामने ही करूणा शुक्ला का मकान है। राजनीतिक प्रतिद्वंद्वी, एक दूसरे के खिलाफ चुनाव लडऩे वाले दोनों नेता आमने-सामने रहते हैं तो अक्सर आमना-सामना भी होता रहता है?

और अब बस….

0 छत्तीसगढ़ में आईएएस अफसर डीडी सिंह पर काम का भारी बोझ है। पीएचई, सामान्य प्रशासन विभाग, अनुसूचित जाति-जनजाति विभाग के सचिव तो थेे ही हाल में उन्हें जनसंपर्क विभाग का भी सचिव बना दिया गया है।
0 सरगुजा के आईजी के सी अग्रवाल 31 को सेवानिवृत्त हो गये हैं उनके स्थान पर किसी डीआईजी को कार्यवाहक आईजी बनाने की जमकर चर्चा है।
0 भूपेश बघेल को मुख्यमंत्री बने 1 साल से अधिक समय गुजर चुका है। पर लोगों को यह पता नहीं चल सका है कि वे किसकी सलाह मानते हैं?
0 छत्तीसगढ़ के राजधानी रायपुर में महापौर बने एजाज ढेबर ने पहले मुस्लिम महापौर बनने का रिकार्ड बना लिया है इसके पहले एकबाल अहमद रिजवी, अब्दुल हमीद (कोटा) उपमहापौर बन चुके हैं।