बस्तर में आदिवासियों की उम्मीद को बड़ा झटका,जानिए क्या है केंद्र सरकार का यह फैसला…

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रायपुर : 20 हजार करोड़ लगाने के बाद भी अब इस प्लांट में एनएमडीसी का न स्वामित्व रहेगा और न ही कोई भूमिका केंद्र ने इसे एनएमडीसी से डिमर्जर कर दिया। नगरनार प्लांट को अब निजी हाथों में बेचने पर पूरा पैसा अब केंद्र सरकार के एकाउंट में जाएगा। डिमर्जर करने का यही उद्देश्य होता है कि संबंधित कंपनी से उसका संबंध खतम हो जाए, जिससे उसका कोई दावा न बन सकें। लेकिन केंद्र सरकार ने नगरनार स्टील प्लांट को बेचने के लिए मंत्रिमंडलीय उप समिति का गठन कर दिया।

एनएमडीसी पर लगे आरोप
बस्तर में एनएमडीसी स्टील प्लांट खोले यह छत्तीसगढ़ की बहुत पुरानी मांग थी। राज्य बनने से पहले मध्यप्रदेश के दौरान एनएमडीसी पर यह आरोप लगते थे कि बस्तर का लौह अयस्क खोदकर वह बाहर भेज देता है। अगर बस्तर में ही एक स्टील प्लांट स्थापित किया जाए तो बस्तर का विकास होता।

प्रायवेट कंपनियों में नहीं होती प्रतिबद्धता
2012 बस्तर के जगदलपुर जिला मुख्यालय से 16 किलोमीटर दूर नगरनार में 23 हजार करोड़ की लागत से वृहत स्टील प्लांट की स्थापना की जा रही थी। इसकी तीन मिलियन टन प्रति वर्ष स्टील प्रोडक्शन की क्षमता थी। नगरनार स्टील प्लांट से हजारों की संख्या में प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रोजगार पैदा होते। सरकारी कंपनियों की अपनी प्रतिबद्धता होती है। रोजगार के प्रति वह प्रतिबद्धता प्रायवेट कंपनियों में नहीं होती।
ज्ञातव्य है,

बालको प्लांट को बाजपेयी सरकार ने दिया था बेच
विडंबना यह है कि बालको करीब बीस साल सरकारी कंपनी द्वारा आपरेट होने के बाद निजी हाथों में बिका। गवर्नमेंट सेक्टर की भारत अल्युमिनियम कंपनी का यह प्लांट था। एनएमडीसी तो प्लांट चालू होने से पहले ही बिकने जा रहा है।
राज्य बनने के तुरंत बाद भाजपा की तत्कालीन अटलबिहारी बाजपेयी सरकार ने कोरबा के बालको प्लांट निजी कंपनी को बेच दिया था। मगर उसे डिमर्जर नहीं, विनिवेश किया था। जानकारों का कहना है कि डिमर्जर की बजाए अगर विनिवेश किया जाता तो एनएमडीसी को पूरा पैसा मिल जाता।

निजीकण को मुख्यमंत्री ने बताया दुर्भाग्यपूर्ण
केंद्र की निजीकरण की नीतियों को लेकर एक बार फिर कांग्रेस और सरकार आमने-सामने हैं। अब छत्तीसगढ़ के बस्तर में नगरनार स्टील प्लांट के निजीकण को मुख्यमंत्री ने दुर्भाग्यपूर्ण बताया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर मुख्यमंत्री बघेल ने नगरनार स्टील प्लांट को निजी हाथों में बेचने की बजाए एनएमडीसी द्वारा ही संचालित करने का आग्रह किया था साथ ही इसे सार्वजनिक उद्यम रहने पर आदिवासियों को फायदा मिलने की बात कही है।