हनुमान जयंती विशेष : राम न मिलेंगे हनुमान के बिना

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दुनिया चले न श्रीराम के बिना।
रामजी चलें न हनुमान के बिना।
पार न लगोगे श्रीराम के बिना।
राम न मिलेंगे हनुमान के बिना।।

कमजोर तो हमेशा मजबूरी के चलते विनम्र होता है लेकिन यदि शक्तिशाली व्यक्ति विनम्र है तो निश्चित ही वह बुद्धि और बल से परिपूर्ण है। डरपोक किस्म के राजा सुग्रीव के समक्ष भी हनुमानजी विनम्र बने रहते थे और सर्वशक्तिमान प्रभु श्रीराम के समक्ष भी।

राम और सुग्रीव दोनों का ही काम हनुमानजी के बिना एक पल भी चलता नहीं था फिर भी हनुमानजी विनम्रतापूर्वक हाथ जोड़कर खड़े रहते थे। रावण ने हनुमानजी की विनम्रता का सम्मान नहीं किया, बल्कि उनका अपमान किया। ठीक है आप सम्मान न करो तो कोई बात नहीं लेकिन अपमान करने का अधिकार आपको किसने दिया?

इसका परिणाम रावण को भुगतना पड़ा। हनुमानजी ने लंका स्थित उसके महल को राख में मिला दिया। लोग कहते हैं कि उन्होंने पूरी लंका जला दी जबकि ऐसा नहीं है। हनुमानजी ने रावण के अपराध की सजा सिर्फ रावण को ही दी। रावण के पूरे महल को खाक कर दिया और कहा की दोबारा जब मैं आऊँगा तो तेरी जीवन लीला समाप्त होते हुए देखने ही आऊँगा।

बुद्धि और शक्ति जब क्रुद्ध होती है तो फिर उस पर किसी का भी बस नहीं चलता। जो जाने-अनजाने राम या हनुमानजी का उपहास या अपमान करते हैं वे नहीं जानते कि वे किस गर्त में गिरते जा रहे हैं।

हमारे पास दो-दो महावीर हैं एक हैं हनुमान और दूसरे हैं वर्धमान। एक परम भक्त हैं तो दूसरे अहिंसा के पुजारी। अहिंसक हुए बगैर भक्त भी नहीं हुआ जा सकता। अजर-अमर जय हनुमान कहने मात्र से ही संकट मिट जाते हैं।

अंजनी पुत्र : हनुमान के पिता सुमेरु पर्वत के राजा केसरी थे तथा उनकी माता का नाम अंजना था। इसीलिए उन्हें अंजनी पुत्र कहा जाता है।

पवन पुत्र : उन्हें वायु देवता का पुत्र भी माना जाता है, इसीलिए इनका नाम पवन पुत्र हुआ। उस काल में वायु को मारुत भी कहा जाता था। मारुत अर्थात वायु, इसलिए उन्हें मारुति नंदन भी कहा जाता है। वैसे उनमें पवन के वेग के समान उड़ने की शक्ति होने के कारण भी यह नाम दिया गया।

हनुमान : इन्द्र के वज्र से हनुमानजी की हनु (ठुड्डी) टूट गई थी, इसलिए तब से उनका नाम हनुमान हो गया।

बजरंगबली : वज्र को धारण करने वाले और वज्र के समान कठोर अर्थात बलवान शरीर होने के कारण उन्हें वज्रांगबली कहा जाने लगा। अर्थात वज्र के समान अंग वाले बलशाली। लेकिन यह शब्द ब्रज और अवधि के संपर्क में आकर बजरंग बली हो गया। बोलचाल की भाषा में बना बजरंगबली भी सुंदर शब्द है।

हनुमान जयंती की पूजा विधि

  • हनुमान जयंती के दिन सुबह-सवेरे उठकर सीता-राम और हनुमान जी को याद करें.
  • स्‍नान करने के बाद ध्‍यान करें और व्रत का संकल्‍प लें.
  • इसके बाद स्‍वच्‍छ वस्‍त्र धारण कर पूर्व दिशा में हनुमान जी की प्रतिमा को स्‍थापित करें. मान्‍यता है कि हनुमान जी मूर्ति खड़ी अवस्‍था में होनी चाहिए.
  • पूजा करते समय इस मंत्र का जाप करें: ‘ॐ श्री हनुमंते नम:’.
  • इस दिन हनुमान जी को सिंदूर चढ़ाएं.
  • हनुमान जी को पान का बीड़ा चढ़ाएं.
  • मंगल कामना करते हुए इमरती का भोग लगाना भी शुभ माना जाता है.
  • हनुमान जयंती के दिन रामचरितमानस के सुंदर कांड और हनुमान चालीसा का पाठ करना चाहिए.
  • आरती के बाद गुड़-चने का प्रसाद बांटें.

हनुमान जयंती के दिन बरतें ये सावधानियां

  • हनुमान जी की पूजा में शुद्धता का बड़ा महत्‍व है. ऐसे में नहाने के बाद साफ-धुले कपड़े ही पहनें.
  • मांस या मदिरा का सेवन न करें.
  • अगर व्रत रख रहे हैं तो नमक का सेवन न करें.
  • हनुमान जी बाल ब्रह्मचारी थे और स्‍त्रियों के स्‍पर्श से दूर रहते थे. ऐसे में महिलाएं हनुमन जी के चरणों में दीपक प्रज्‍ज्‍वलित कर सकती हैं.
  • पूजा करते वक्‍त महिलाएं न तो हनुमान जी मूर्ति का स्‍पर्श करें और न ही वस्‍त्र अर्पित करें.

हनुमान जी की आरती

आरती कीजै हनुमान लला की। दुष्ट दलन रघुनाथ कला की॥
जाके बल से गिरिवर कांपे। रोग दोष जाके निकट न झांके॥अंजनिपुत्र महा बलदायी, संतन के प्रभु सदा सहाई॥
दे बीरा रघुनाथ पठाये, लंका जारि सिया सुधि लाये॥

लंका-सो कोट समुद्र-सी खाई, जात पवनसुत बार न लाई॥
लंका जारि असुर संहारे, सियारामजी के काज संवारे॥
लक्ष्मण मूर्छित परे सकारे, आनि संजीवन प्रान उबारे॥
पैठि पताल तोरि जम-कारे, अहिरावन की भुजा उखारे॥
बाएं भुजा असुरदल मारे, दहिने भुजा सन्तजन तारे॥
सुर नर मुनि आरती उतारे, जय जय जय हनुमान उचारे॥