हुएनसांग के देश से भारत पहुंची ग्रे हेडेड लैप्विंग.. सुस्ताने रूकी मुख्यमंत्री के गांव बेलौदी.. दुर्लभ प्रजाति की प्रवासी पक्षी है ग्रे हेडेड लैप्विंग..

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दुर्ग 05 अक्टूबर, 2019। दुर्लभ प्रवासी पक्षी ग्रे हेडेड लैप्विंग को इन दिनों मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के गांव बेलौदी में देखा जा सकता है। दो-तीन दिन से टिटहरी प्रजाति की इस चिड़िया को बेलौदी में स्पाट किया गया है। यह दुर्लभ संयोग है कि बेलौदी में यह चिड़िया रूकी है क्योंकि प्रवासी पक्षी लंबी यात्रा के दौरान सुस्ताने किसी-किसी जगह पर ही रूकती है। बर्ड वाचिंग का शौक रखने वाले राजू वर्मा ने बताया कि बेलौदी में बांधा में प्रवासी पक्षियों की कभी-कभी आमद होती है और ऐसा होने पर वे बर्ड वाचिंग में दिलचस्पी रखने वाले पाटन के तहसीलदार श्री अनुभव शर्मा को इनके फोटोग्राफ दिखाते हैं। इस बार जब उन्होंने फोटोग्राफ दिखाये तो श्री शर्मा ने उन्हें बताया कि ये ग्रे हेडेड लैप्विंग हैं। उन्होंने बताया कि ये प्रजाति चीन और जापान में पाई जाती है और सर्दियों से बचने के लिए प्रवास करती है। फिलहाल ग्रे हेडेड लैप्विंग बेलौदी के बांधा में कीड़े खाने में मगन है। जल्द ही अपनी लंबी यात्रा का फ्यूल जब वो इन कीड़ों से जुटा लेगी तो फिर से निकल पड़ेगी। बताया जाता है कि ग्रे हेडेड लैप्विंग अक्टूबर माह के आखरी पखवाड़े में दक्षिण भारत पहुंच जाती हैं और यहां किसी झील में अपनी सर्दियां बिताती हैं। फिर लंबा सफर पूरा कर दक्षिण चीन सागर पहुंच जाती हैं।

पैसिफिक गोल्डन प्लोवर भी दिखी थी

बेलौदी के इसी बांधा में बीते दिनों पैसिफिक गोल्डन प्लोवर, यूरेशियन कुर्लु, विम्ब्रेल, ग्रीन सेंड पाइपर, मार्स सेंड पाइपर प्रजाति की चिड़िया भी नजर आई। मूलतः प्रवासी प्रजाति की यह चिड़िया भी लंबी यात्रा के दौरान सुस्ताने तथा ऊर्जा के संचय के लिए किसी दलदल जैसी जगह में रूकती हैं ताकि उन्हें पानी में मिल सके और कीड़े भी मिल सके।

शिकारियों, फोटोग्राफरों की दुश्मन मानी जाती है लैप्विंग

भारत के प्रख्यात पक्षी विज्ञानी सालिम अली ने तथा मैन इटर आफ कुमाऊँ जैसी चर्चित पुस्तकों के लेखक जिम कार्बेट ने विस्तार से अपनी पुस्तक में लैप्विंग का जिक्र किया है। यह अपने अंडे खुले मैदान में देती है और चैकस निगाहों से अंडों का ध्यान रखती है। कोई पास आ जाता है तो शोर मचाने लगती है। यह छोटी सी चिड़िया शेर को भी शिकार के लिए तकलीफ में डाल देती है क्योंकि घास के मैदानों में जब शेर छिपकर चतुराई से शिकार के लिए आगे बढ़ता है तो यह सजग टिटहरी टी,टी का शोर मचाना शुरू कर देती है और शिकार भाग जाता है। लैप्विंग के टी, टी की आवाज अंग्रेजी के व्हाय डू यू डू ईट की तरह सुनाई पड़ता है। शायद वो व्यवधान नहीं चाहने वाली चिड़िया हो जिससे फोटोग्राफरों को भी अच्छे एंगल की वन्य जीवन की फोटो
नहीं मिल पाती।