कर्ज नहीं चुका पाने वाले जिन किसानों को भाजपा सरकार ने भेजा था जेल, उनकी रिहाई के लिए कांग्रेस सरकार ने शुरू की कार्रवाई, किसानों के लिए प्रशासन मुहैया कराएगा निशुल्क विधिक सहायता…

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जगदलपुर 15 मई, 2019। कर्ज के मामले में जेल भेजे गए किसानों के मामले में जांच शुरू हो गई है। जिला प्रशासन द्वारा मामले की जांच अनुविभागीय दण्डाधिकारी से कराई जा रही है। जांच में प्रथम दृष्टया किसानों के साथ धोखाधड़ी का मामला आ रहा है इसके साथ ही जांच पूरी होते ही दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्यवाही की जाएगी। किसानों को जमानत के माध्यम से राहत पहुंचाने के लिए बस्तर जिला प्रशासन द्वारा निःशुल्क विधिक सहायता उपलब्ध कराई जा रही है। बस्तर कलेक्टर डाॅ. अय्याज तम्बोली ने बताया कि माड़पाल निवासी तुलाराम मौर्य और बस्तर निवासी सुखदास को खेती-किसानी हेतु लिए गए कर्ज के कारण जेल भेजे जाने के मामले की जांच अनुविभागीय अधिकारी जीआर मरकाम के माध्यम से कराई जा रही है।

उल्लेखनीय है कि भारतीय स्टेट बैंक के कृषि विकास शाखा द्वारा चेक बाउंस होने के कारण दायर परिवाद के आधार पर प्रथम श्रेणी मुख्य न्यायिक दण्डाधिकारी न्यायालय द्वारा तुलाराम मौर्य और सुखदास को नेगोशियेबल, इंस्ट्रूमेंट्स एक्ट 1881 की धारा 138 के तहत न्यायिक अभिरक्षा में जेल भेजा गया है।

इस मामले में जांच अधिकारी मरकाम के समक्ष दिए गए बयान के मुताबिक यह प्रथम दृष्टया किसानों के साथ धोखाधड़ी का मामला लग रहा है।

बताया गया कि तुलाराम मौर्य द्वारा 16 नवम्बर 2009 को भारतीय स्टेट बैंक की कृषि विकास शाखा से किसान क्रेडिट कार्ड का तीन लाख रुपए, ड्रिप के लिए 2 लाख 3 हजार रुपए और फेंसिंग के लिए 60 हजार रुपए का कर्ज लिया गया था।

इसी प्रकार का प्रकरण सुखदास का भी है। इस मामले में किसानों के शीघ्र जमानत की कार्यवाही के लिए जिला प्रशासन द्वारा विधिक सहायता उपलब्ध कराई जा रही है और इस धोखाधड़ी के मामले में बैंक, दलालों और अन्य संबंधित लोंगो के भूमिका की गहराईपूर्वक जांच की जा रही है।

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