मंत्रालय में सहायक संचालक के पद पर कथित फर्जी नियुक्ति की मुख्यमंत्री से हुई शिकायत… संसदीय सचिव विनोद चंद्राकर ने लगाए ये आरोप… जानें क्या हैं पूरा मामला…

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रायपुर। नौकरशाही तंत्र के चलते समय-समय पर सरकारों की छवि पर सवालिया निशान लगते रहते हैं। चाहे बात इनके कामकाज की हो या नियम विरुद्ध कुछ भी कर गुजरने की जुर्रत। अधिकांश विभागाें के मंत्री भी अपने-अपने मातहतों पर इस कदर मेहरबान हैं। वे जो कह देंगे वहीं सही होगा। चौंकाने वाली बात है कि वर्तमान सरकार के कांग्रेसी विधायक व संसदीय सचिव विनोद चंद्राकर ने पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग मंत्रालय में फर्जी नियुक्ति का एक संगीन मामला खोला है। इनके इस धामाके से कुछ दिन तो मंत्रालय में हड़कंप मचा रहा। लेकिन बाद में मामले को ठंडे बस्ते में डाल दिया गया।

दस्तावेजों के मुताबिक नियम विरुद्ध फर्जी नियुक्ति लेकर मंत्रलाय में पदस्थ दिनेश अग्रवाल सहायक संचालक की सत्ता के गलियारे में अच्छी खासी पैठ है। यही कारण भी रहा है भाजपा के सरकार के समय में भी इनकी नियुक्ति की शिकायत की गई थी लेकिन इसके बावजूद कार्रवाई तो दूर जांच कमेटी तक नहीं बैठायी गई। लिहाजा मामला फिर शांत हो गया था। इधर, कांग्रेस की सरकार आने के बाद इन्हें पंचायत व ग्रामीण विकास विभाग में सहायक संचालक की कमान सौंप दी गई। जहां बताते हैं कि अब इनकी मनमर्जी खूब चलती है।

कांग्रेसी विधायक व संसदीय सचिव विनोद चंद्राकर।
बताते हैं, संसदीय सचिव विनोद चंद्राकर द्वारा विगत दिनों सहायक संचालक दिनेश अग्रवाल की नियुक्ति के संबंध में सभी दस्तावेज और शासनादेश की पत्रावली के साथ मंत्रालय में शिकायत की गई है। चौंकाने वाली बात है अभी तक सहायक संचालक की फर्जी नियुक्ति को उच्चाधिकारियों ने संज्ञान में नहीं लिया है। सूत्र बताते हैं, कि दिनेश अग्रवाल जैसे कई मामले पंचायत विभाग में लंबित है। बहरहाल, देखना है कि संसदीय सचिव की शिकायत को कितनी गंभीरता से लिया जाता है।

धमतरी जिले के अंकेक्षण से सहायक संचालक बनने की कहानी

संसदीय सचिव व महासमुंद विधायक विनोद चंन्द्राकर ने बताया कि दिनेश कुमार अग्रवाल पिता द्वारिका प्रसाद अग्रवाल सहायक संचालक पंचायत संचालनालय नवा रायपुर अटल नगर में पदस्थ हैं। इनकी प्रथम मूल नियुक्ति जिला अंकेक्षण के पद पर तीन सितंबर 2008 को जिला कार्यालय पंचायत एवं समाज कल्याण जिला धमतरी में की गई थी।

विज्ञापन निरस्त कर फर्जी नियुक्ति का रास्ता खोलने का चला खेल

दिनेश कुमार अग्रवाल की प्रथम नियुक्ति तृतीय श्रेणी कार्यपालिक भर्ती नियम 1997 को आधार मानकर 10 प्रतिशत में दो पद में भर्ती की गई थी। विज्ञापन प्रसारित होने के बाद प्रथम विज्ञापन को निरस्त कर पुन: विज्ञापन जारी कर इनकी नियुक्ति के रास्ते खोले गये। विज्ञापन एवं मेरिट सूची एक ही नस्ती में होना चाहिए था, लेकिन तत्कालीन नियुक्तिकर्ता अधिकारी ने फर्जी नियुक्ति करने के लिए पृथक नस्ती बनाई। मेरिट सूची जारी ही नहीं की गई, जिससे इनके फर्जी नियुक्ति का रास्ता साफ हो गया।

इस भर्ती अधिनियम को बनाया गया आधार

दिनेश कुमार की नियुक्ति में पंचायत एवं समाज सेवा संचालनालय छत्तीसगढ़ कार्यपालिक सेवा भर्ती नियम 1997 के नियम 6 क्रमांक 8 को आधार बनाकर नियुक्ति दी गई। जबकि छत्तीसगढ़ राज्य पत्र में 8 अप्रैल 2008 को समाज कल्याण विभाग के 214 पृष्ठ 07 पैरा 23 में स्पष्ट उल्लेखित किया गया है कि ऐसे समस्त नियम जो इन नियम और इनके प्रारंभ होने के ठीक पूर्ववत हों, इन नियमों के अंतर्गत आने वाले विषयों में जिला सपरीक्षक को 100 प्रतिशत पदोन्नति के आधार पर भरे जाएंगे, जो वर्तमान समय में भी लागू है। परिणाम स्वरूप उक्त अंकेक्षण पद पर सीधी भर्ती का प्रश्न ही नहीं उठता लेकिन इन्हें नियुक्ति नियम विरुद्ध दी गई।

भर्ती कराने वाले अधिकारी की मिलीभगत से चला खेल

दिनेश कुमार अग्रवाल की प्रथम नियक्ति 03 सितंबर 2008 को दी गयी जिसमें भर्ती नियम 1997 का सहारा लिया गया। छत्तीसगढ़ राजपत्र समाज कल्याण विभाग 08 अप्रैल 2008 को प्रकाशित किया गया। परिणाम स्वरूप भर्ती नियम 1997 स्वमेव शून्य हो गया। नियुक्ति करने वाले अधिकारी को भर्ती प्रक्रिया निरस्त कर नये भर्ती नियम के तहत पुन: प्रक्रिया प्रारंभ करना चाहिए था, लेकिन ऐसा न कर दिनेश कुमार को जान बूझकर अवैधानिक रूप से नियुक्ति दी गयी। इसी तरह नियुक्ति पश्चात लगातार नियम विरुद्ध इन्हें पदोन्नति भी दी जाती रही। पूर्व में भी इनकी अवैधानिक नियुक्ति को लेकर शिकायतें की गयी थी।

पंचायत सचिव बोले, मेरी जानकारी में यह प्रकरण नहीं है
पंचायत एवं ग्रामीण विभाग संचालनालय के सचिव आर प्रसन्ना ने बताया कि अभी मेरी जानकारी में यह प्रकरण नहीं आया है।