पेइचिंग/ नई दिल्ली : गलवान घाटी में 15 जून को हिंसक संघर्ष में भारत के 20 जवान शहीद हो गए थे और चीन के भी 40 से ज्यादा सैनिक हताहत हुए थे। भारत ने जहां अपने मारे गए सैनिकों की संख्या का ऐलान किया लेकिन चीन ने आजतक अपने मारे गए सैनिकों के बारे में कोई जानकारी नहीं दी है। अब पहली बार चीनी सैनिकों के कब्र की तस्वीरें इंटरनेट पर वायरल हो रही हैं। ‘चीनी ट्विटर’ कही जाने वाली वहां की माइक्रो ब्लॉगिंग साइट Weibo पर वायरल हो रही यह चीनी सैनिकों के कब्र की तस्वीर उसके झूठ की पोल खोल रही है। उस समय चीन ने दावा किया था कि इससे तनाव और ज्यादा भड़क सकता है। तस्वीर में एक स्मारक दिख रहा है जिस पर लिखा है कि ‘इन सैनिकों ने देश की रक्षा के लिए अपनी जान दे दी।’
दक्षिणी किनारे पर हालात बेहद गंभीर
भारत और चीन के बीच पूर्वी लद्दाख में पैंगोंग सो झील के दक्षिणी किनारे पर हालात बेहद गंभीर होते जा रहे हैं। चीन के पश्चिमी थिएटर कमांड ने आरोप लगाया है कि 7 सितंबर को उसके सैनिक बातचीत के लिए गए थे और वहां उन पर भारतीय सैनिकों ने गोलीबारी की। चीन का आरोप अगर सच है तो करीब 45 साल बाद यह पहला मौका है जब दोनों ही देशों के बीच गोली चली है।
बचाव में चलानी पड़ी गोली
भारतीय सूत्रों का कहना है कि चीन के सैनिक मुखपारी चोटी पर कब्जा करने के लिए गलवान जैसी हिंसा दोहराना चाहते थे और भारतीय सैनिकों को बचाव में हवा में गोली चलानी पड़ी। चीन के सरकारी प्रोपैगैंडा अखबार ग्लोबल टाइम्स ने चीनी सेना के वेस्टर्न थियेटर कमांड के प्रवक्ता के हवाले से पैंगोग सो के पास झड़प का दावा किया है। ग्लोबल टाइम्स ने लिखा, ‘भारतीय सेना ने पैंगोंग सो झील के दक्षिणी छोर के पास शेनपाओ की पहाड़ी पर एलएसी को पार किया।
द्विपक्षीय समझौतों का उल्लंघन किया
पीएल के वेस्टर्न थियेटर कमांडर के प्रवक्ता झांग शुई ने भारत पर आरोप लगााते हुए कहा, ‘भारतीय पक्ष ने द्विपक्षीय समझौतों का उल्लंघन किया है। इससे क्षेत्र में तनाव और गलतफहमी बढ़ेंगे। यह एक गंभीर सैन्य उकसावा है।’ झांग ने आगे कहा, ‘हम भारतीय पक्ष से मांग करते हैं कि खतरनाक कदमों को रोके और फायरिंग करने वाले शख्स को सजा दे। साथ ही भारत यह सुनिश्चित करे कि ऐसी घटनाएं दोबारा ना हों।
हिंसा को दोहराना चाहते थे चीनी सैनिक
भारतीय सूत्रों का कहना है कि पीएलए के सैनिक गलवान जैसी हिंसा को दोहराने के फिराक में थे। हथियारों से लैस चीनी सैनिक शेनापाओ/गॉड पाओ पहाड़ी की तरफ बढ़े। यह चोटी थाकुंग और स्पांगुर गैप के बीच में स्थित है। भारतीय सेना ने चीन की नापाक हरकतों का जवाब देने के लिए 29/30 अगस्त को इसी इलाके में जोरदार कार्रवाई करते हुए सभी प्रमुख चोटियों पर कब्जा कर लिया था। चीनी सैनिकों को लग रहा था कि वे गलवान की तरह से भारतीय सैनिकों पर हमला करेंगे और चूंकि दोनों देशों के बीच गोली नहीं चलाने का समझौता हुआ है, इसलिए भारतीय सैनिक गोली नहीं चलाएंगे।
लोहे की रॉड और कटीले डंडे लेकर आगे बढ़े
सूत्रों ने बताया कि चीनी सैनिक 7 सितंबर को लोहे की रॉड और कटीले डंडे लेकर मुखपारी चोटी पर कब्जे के लिए आगे की ओर बढ़े लेकिन भारतीयों ने उन्हें रोक दिया। कई बार चेतावनी के बाद जब चीनी सैनिक दादागिरी पर उतारू हो गए तो भारतीय सैनिकों को मजबूरन हवा में गोली चलाकर उन्हें भगाना पड़ा। भारतीय सैनिकों ने ऐसे गोली चलाई ताकि चीन के किसी सैनिक को नुकसान नहीं पहुंचे। बता दें कि गलवान हिंसा के बाद भारत सरकार ने आत्मरक्षा के लिए भारतीय सैनिकों को गोली चलाने का अधिकार दिया था।
क्यों बौखलाया है चीन?
भारतीय सेना के जवानों ने चूसूल सेक्टर में 29/30 अगस्त को पैंगोंग झील के दक्षिणी किनारे से लेकर रिचिन ला तक सभी ऊंचाई वाली जगहों पर कब्जा कर लिया है। यह वही जगह है जहां पर वर्ष 1962 में भारत और चीन के बीच जंग हुई थी। भारतीय जवानों ने जिन इलाकों पर कब्जा किया है, उसे ग्रे जोन कहा जाता है और इस पर दोनों ही देश अपना दावा करते हैं। अब तक इस पर किसी का कब्जा नहीं था। भारतीय जवानों ने अब इन चोटियों पर कब्जा कर लिया है। इससे चीन बुरी तरह से बौखला गया है।