फसल बीमा योजना को लेकर मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने केंद्रीय कृषि मंत्री को लिखा पत्र, दिए कई अहम सुझाव, जानिए इससे किसानों को क्या होगा फायदा..

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17 अप्रैल, 2019 रायपुर। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने केंद्रीय कृषि मंत्री राधा मोहन सिंह को पत्र लिखा है सीएम भूपेश ने फसल बीमा कि छत्तीसगढ़ में स्थिति की जानकारी देते हुए कुछ सुझाव दिए हैं। साथ ही उन्होंने कहा कि इन सुझावों को संशोधन करके और प्रभावी बनाया जा सकता है। और अपने पत्र में यह भी कहा है कि जो फसल बीमा चलाई जा रही है वह कृषकों के बीच अभी लोकप्रिय नहीं है। इसलिए इसे प्रभावी बनाने के लिए वर्तमान प्रावधानों में कुछ संशोधन करने की अति आवश्यकता है।

केंद्रीय कृषि मंत्री राधामोहन सिंह को लिखे पत्र में मुख्यमंत्री ने कहा है कि फसल बीमा के दावों के बावजूद छत्तीसगढ़ में ये योजना अब तक प्रभावी तौर पर क्रियान्वित नहीं हो पा रही है। मुख्यमंत्री ने प्रदेश के किसानों का आंकड़ा देते हुए लिखा है कि प्रदेश में 45.37 किसानों में से सिर्फ 13.41 किसानों को ही बीमा की राशि मिल पायी है।

फसल बीमा योजना को प्रभावी बनाने के लिए निम्न सुझाव दिए हैं जो इस प्रकार हैं..

  • इस योजना से अधिक से अधिक किसानों को दावा भुगतान के दायरे में लाने के लिए क्षतिपूर्ति स्तर बढ़ाने की मांग की है।
  • क्षतिपूर्ति स्तर 70, 80 और 90% से बढ़ाकर 85, 90 और 95% बढ़ाए जाने की बात कही है।
  • पिछले वर्षों में बीमा की राशि एक रुपये से भी कम मिलने पर किसानों में आक्रोश है। लिहाजा बीमा की राशि को सम्मानजनक किया जाये।
  • वहीं केंद्र और राज्य का अंश 50-50 के बजाय 60-40 किया जाये। इसके अलावे वर्षामापी यंत्र स्थापित करने, बीमा कंपनी के लाभ की अधिकतम सीमा निर्धारित करने सहित कुछ और सुझाव दिये हैं।
  • मौसमी आंकड़ों की सटीकता और क्षति के सही आकलन के लिए सभी ग्राम पंचायत स्तर पर भारत सरकार द्वारा स्वचालित मौसम केंद्र और वर्षा मापी स्थापित किया जाए।
  • योजनाओं में प्रीमियम तथा दावा का अनुपात 1:3.5 से अधिक होने पर दवा देता बीमा कंपनी को वित्तीय सुरक्षा प्रदान करने का प्रावधान है लेकिन बीमा कंपनी को होने वाले शुद्ध लाभ की कोई ऊपरी सीमा निर्धारित नहीं है। बीमा कंपनी के लाभ की अधिकतम सीमा भी निर्धारित किया जाना चाहिए।
  • कृषि ऋण और बीमा के दोहराव को रोकने तथा बैंकों द्वारा कृषकों के वितरण की प्रविष्टि में होने वाली त्रुटियों को कम करने के लिए एकीकृत कृषि ऋण संवितरण एवं बीमा प्लेटफॉर्म विकास किया जाए इसके लिए सभी भू अभिलेख के डिजिटाइजेशन और जियो टैगिंग करने के लिए अलग से वित्तीय प्रावधान किया जाना आवश्यक है।

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