ठेठरी, खुरमी और पपची जैसे छत्तीसगढ़ी व्यंजनों से महकी रसोई, बहनों और बेटियों के सम्मान का लोकपर्व आज… 24 घंटे निर्जला व्रत भी रहेंंगी तिजहारिनें..

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1 सितंबर, 2019 रायपुर। छत्तीसगढ़ में बहनों और बेटियों के सम्मान के लिए सबसे अहम लोक पर्व तीजा आज पूरे प्रदेश में मनाया जा रहा है। दरअसल इसकी शुरुआत शनिवार को ही हो गई थी शनिवार को करूंभात खाया गया। जिसके बाद रविवार को सुहागिन कुंवारी कन्या 24 घंटे के लिए निर्जला कठिन व्रत कर रही है। हिंदू धर्म महिलाएं अपने पति की दीर्घायु के लिए साल में कई व्रत रखती है इन्हीं में से एक है हरतालिका का तीज व्रत। इस दिन महिलाएं पूरे दिन निर्जला व्रत रखकर भगवान शिव और माता पार्वती जी की पूजा में लीन रहती है उत्तर भारत में तो शादीशुदा महिलाएं ही नहीं बल्कि कुंवारी कन्या एपी सुयोग्य वर की कामना के लिए यह व्रत रखती है। ऐसी मान्यता है कि शिव जी को पति के रूप में पाने के लिए माता पार्वती ने विवाह के पहले या व्रत रखा था इस बार हरतालिका तीज एक यानी आज भी और 2 सितंबर को भी मनाई जाएगी इस व्रत को रखने के लिए सारा दिन निर्जला रहने के साथ कुछ विशेष नियमों का पालन करना अनिवार्य होता है।

मायके से भेंट में मिले नए वस्त्र व आभूषण धारण करेंगी। सोमवार को सुबह शिव-पार्वती व गणेश भगवान की पूजा के बाद व्रत का समापन होगा और दिनभर महिलाएं एक-दूसरे के घर जाकर छत्तीसगढ़ी पकवान खाएंगी। इस पौराणिक त्योहार में सभी सुहागिनें सोलह श्रृंगार करेंगी।

तीज के ये हैं तेरह चलन

  1. तीज का व्रत निर्जला किया जाता है। यानी पूरे दिन और रात अगले सूर्योदय तक कुछ भी ग्रहण नहीं किया जाता।
  2. वृद्ध या बीमार महिलाओं को निर्जला व्रत रखने से छूट दी जाती है।
  3. तीज का व्रत कुंवारी कन्याएं और सौभाग्यवती महिलाओं द्वारा किया जाता है।
  4. इस व्रत का नियम है कि इसे एक बार शुरू करने के बाद बीच में नहीं छोड़ा जा सकता।
  5. इस दिन महिलाएं नए वस्त्र पहनकर भजन व नाच-गान कर रतजगा करती हैं।
  6. पूजन प्रदोषकाल में किया जाता है। यानी दिन और रात के मिलने के समय में।
  7. तीज के पूजन हेतु शिव-पार्वती और गणेश जी की प्रतिमा रेत या काली मिट्‌टी से बनाई जाती है।
  8. फुलेरा बनाकर उसे सजाया जाता है। उसके अंदर रंगाेली से चौक डालकर उस पर पाटा या चौकी रखी जाती है। चौकी पर एक थाल के ऊपर केले का पत्ता रखकर उस पर मूर्तियां स्थापित की जाती हैं।
  9. एक कलश बनाया जाता है। इस पर श्रीफल रखते हैं या एक दीपक जलाकर रखा जाता है।
  10. सर्वप्रथम गणेश जी की पूजा की जाती है फिर शिव जी की और फिर पार्वती की पूजा की जाती है।
  11. इसके बाद हरितालिका व्रत की कथा पढ़ी और सुनी जाती है।
  12. ककड़ी और हलवे का भोग लगाया जाता है और इसी भोग से महिलाएं अपना उपवास तोड़ती हैं।
  13. अंत में सभी वस्तुएं एकत्र कर नदी या तालाब में विसर्जित कर दी जाती हैं।