विधानसभा के मानसून सत्र में विधायक बृजमोहन अग्रवाल ने राज्य सरकार पर साधा जमकर निशाना, कहा- पिछले सात महीनो में सरकार लकवाग्रस्त हो चुकी है, विकास कार्य भी पूरी तरह ठप है, ऐसा दुर्भाग्य फिर दोबारा न आए..

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15 जुलाई 2019, रायपुर। विधानसभा के मानसून सत्र में विपक्ष ने विधायक भीमा मंडावी की हत्या को लेकर स्थगन प्रस्ताव रखा। जिसके बाद आसंदी ने स्थगन प्रस्ताव चर्चा के लिए ग्राह्य किया। जिसके बाद बृजमोहन अग्रवाल ने चर्चा करते हुए सरकार पर जमकर निशाना साधा। उन्होंने कहा कि पिछले सात महीनों में सरकार लकवाग्रस्त हो चुकी है। सभी जगह विकास के काम ठप हो गया है। सरकार यह बताने में नाकाम है कि बस्तर के विधायकों को क्या सुरक्षा उपलब्ध कराई जा रही है? सरकार बताए कि कौन से कदम उठाए गए? उन्होंने कहा कि क्या यह सरकार इतनी संवेदनहीन हो चुकी है कि परिवार के रहने के लिए रायपुर में जो आवास दिया गया उसे भी खाली कराने की कोशिश की गई।

झीरम घाटी की घटना के बाद हमारी सरकार ने पीड़ितों के लिए कोई कसर नहीं छोड़ी। हर तरह से पीड़ितों को सुरक्षा उपलब्ध कराई गई थी। घटना के दूसरे ही दिन यह कहा गया कि विधायक की मौत उनकी गलती से हुई है। डीआरजी का बल किस नियम के तहत हटा लिया गया। पूरे प्रदेश में अराजकता की स्थिति है। हर अफसर को दो- तीन माह में हटाया जा रहा है। सरकार को कोई न कोई पाॅलिसी बनाना चाहिए। उन्होंने सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि नए अफसरों को मलाईदार विभागों में पदस्थ किया जा रहा है। कम से कम जनप्रतिनिधियों के लिए तो सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम हों।सरकार बनाने के बाद मुख्यमंत्री कहते हैं कि बातचीत से समस्या का समाधान किया जाएगा। हमारे कार्यकर्ता बताते हैं कि नक्सली कहते हैं कि अब हमारी सरकार है। इस बात पर कांग्रेस सदस्य बृहस्पति सिंह ने आपत्ति जताई।

आगे बृजमोहन अग्रवाल ने कहा कि यह कानून व्यवस्था की समस्या है कि सामाजिक समस्या है यह तय करने की आवश्यकता है। नक्सली देशद्रोही हैं जो विकास को रोकने लोकतंत्र का गला घोंटने का काम कर रहे है। ये कौन सी विचारधारा है जो विकास नहीं होने देती, सड़क नहीं बनने देती, स्कूल नहीं बनने देती, ट्युबवेल में बारूद डालने का काम करती है। हमारे प्रदेश में विकास की संभावनाएं हैं लेकिन सरकार को विकास के लिए नक्सलवाद को खत्म करना होगा। उन्होंने कहा कि ऐसा दुर्भाग्य दोबारा न आए कि हमें किसी सदस्य के नक्सलवाद के गाल में समा जाने पर चर्चा करने की आवश्यकता हो।

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