रायपुर। प्रदेश में वनांचल क्षेत्र बस्तर के झीरम घाटी में हुए सबसे बड़े राजनीतिक नर संहार के लिए सरकार ने एसआईटी जांच का फैसला लिया है। सरकार ने इसके लिए बुधवार को टीम का गठन किया। बताते चलें कि, राज्य के मुख्यमंत्री के रूप में शपथ लेने के तुरंत बाद बघेल ने किसान कर्जमाफी, एमएसपी में बदलाव और झीरम कांड पर एसआईटी गठन जैसे तीन फैसले लिए थे। आपको बता दें कि 25 मई 2013 को सूबे के कांग्रेस के कई कद्दावर नेताओं सहित कुल 29 लोगों को नक्सलियों ने झीरम घाटी में अपनी गोलियां का निशाना बनया था।
झीरम घाटी नरसंहार में तत्कालीन प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष नंद कुमार पटेल सहित 29 लोग मारे गए थे। अब करीब साढ़े पांच साल बाद सूबे में कांग्रेस भूपेश सरकार ने इस नरसंहार की फिर से जांच कराने की घोषणा की है। झीरम झाटी कांड की फिर से जांच कराने की घोषणा के बाद पीड़ितों को न्याय मिलने की उम्मीद जगी है। मुख्यमंत्री चुने जाने के बाद बघेल ने इस घटना को एक ‘आपराधिक राजनीतिक साजिश’ बताया था और कहा था कि इस घटना की जांच के लिए उनका मंत्रिमंडल एसआईटी का गठन करेगा।
इस घटना के लिए एसआईटी गठित किए जाने पर भाजपा का कहना था कि इस पूरे मामले में बारीकी से जांच हो चुकी है और जांच में सभी प्रकार के साक्ष्य भी लिए गए हैं।अब फिर से इस मामले में कांग्रेस सरकार क्या नई जांच करवाएगी। हालांकि, राज्य के पूर्व सीएम अजीत जोगी का कहना था कि झीरम घाटी कांड की जांच तब तक होनी चाहिए, जब तक घटना से पीड़ित परिजनों को संतुष्टि न हो जाए।
छत्तीसगढ़ सरकार ने टीम का गठन किया है। इस टीम में प्रदेश के सभी बड़े अधिकारियों को शामिल किया गया है। जारी आदेश के अनुसार एसआईटी टीम में इन लोगों का नाम शामिल है।