10 जनवरी 2019 भंडारा/ भिलाई। हमारे देश की आम जनता के मन में अक्सर पुलिस व्यवस्था और पुलिस अधिकारियों को लेकर संदेह रहता है। खासकर ग्रामीण और पिछड़े तबके के लोग किसी भी मामले में पुलिस के पास जाने से कतराते हैं। हालांकि, देश में कानून व्यवस्था को मजबूत रखने के लिए पुलिस अधिकारियों को सख्त रवैया अपनाना पड़ता है। पर इस वजह से कहीं न कहीं आम लोगों की नज़रों में पुलिस के प्रति एक डर उत्पन्न हो जाता है।
इस समस्या को हल करने के लिए और नागरिकों का भरोसा कानून व्यवस्था पर बनाने के लिए महाराष्ट्र के भंडारा जिले की आईपीएस अफ़सर विनीता साहू ने एक अनोखी और प्रभावशाली पहल शुरू की है।
विनीता ने बताई सोशल ऑडिट रिपोर्ट में ये बातें…
– आईपीएस विनीता ने एक सोशल ऑडिट रिपोर्ट में कहा, “तेजी से आगे बढ़ रही इस दुनिया में आज जब हर चीज़ घर के दरवाजे तक पहुँच रही है और कोई भी सर्विस तुरंत उपलब्ध करा दी जाती है, तो हमें भी (पुलिस) देश की सबसे महत्वपूर्ण कानून व्यवस्था और सुरक्षा संगठन होने के नाते नागरिकों के सेवा के लिए समान रूप से तेज और हर समय उपलब्ध होना चाहिए।”
– हालांकि,उनके सामने सबसे बड़ी चुनौती यह थी कि लोगों को पुलिस स्टेशनों से संपर्क करने के लिए प्रोत्साहित किया जाए और वह भी बिना इस डर के कि उनकी शिकायतें अनसुनी नहीं होंगी या फिर उन्हें ऐसे अपराध की सजा नहीं मिलेगी जो उन्होंने नहीं किया है।
– आईपीएस विनीता ने न सिर्फ़ आम नागरिकों के लिए जागरूकता अभियान चलाया बल्कि अपनी पहल के जरिये उन्होंने पुलिस स्टेशनों को आम लोगों के घरों तक पहुँचाया। फ़िलहाल, विनीता साहू भंडारा की पुलिस अधीक्षक के तौर पर नियुक्त हैं।
– आईपीएस विनिता को जानने वाली सामाजिक कार्यकर्ता अंकिता बोहरे ने एक इंटरव्यू में बताया है कि “यह अभियान दो सिद्धांतों से प्रेरित था, जिन्हें आज सेवा क्षेत्र में पूरा किया जा रहा है।
– पहला, सहज सुविधा- जिसे डोर-टू-डोर सेवा कहा जा सकता है। और दूसरा सिद्धांत है कि सेवा देने वाले पुलिसकर्मी और नागरिकों के बीच ‘परस्पर विश्वास’ हो।”
– यह पहल बहुत ही सरल है- ये ‘मोबाइल’ पुलिस स्टेशन महाराष्ट्र के ग्रामीण क्षेत्रों में अस्थायी चौकी होंगे।
– जहाँ गाँव वाले अपनी समस्याएँ बता सकते हैं या शिकायत भी दर्ज करवा सकते हैं।
– हर एक स्टेशन पर एक महिला कॉन्सटेबल के अलावा एक पुलिस अधिकारी और दो पुलिसकर्मी नियुक्त होंगे।
– गांव वालों को पूरी सुविधा रहे इसलिए स्कूलों या ग्राम पंचायतों जैसी इमारतों को पुलिस स्टेशनों में बदला गया है।
– जहाँ ऐसा करना मुमकिन नहीं था वहाँ अस्थायी टेंट में पुलिस स्टेशन बनाये गये हैं।
– जिस पहल की शुरुआत एक मोबाइल स्टेशन के तौर पर हुई थी वह आज नुक्कड़ नाटक, प्रोजेक्टर, एप्लीकेशन आदि से लैस डिजिटल स्टेशन तक पहुँच चुकी है।
– इन सबकी मदद से लोगों में जागरूकता बढ़ी और उन्होंने पुलिस से जुड़ना शुरू किया है।
– अब पुलिसकर्मियों के साथ-साथ ग्रामीणों का व्यवहार भी सकारात्मक हुआ है।
– धीरे-धीरे, अंधविश्वास के चलते होने वाले अपराध और साइबर अपराधों के मामले कम होने लगे हैं और यह इस बात का प्रमाण है कि आईपीएस विनीता की पहल सही दिशा में आगे बढ़ रही है।
– इस अभियान की शुरुआत साल 2017 में 28 जनवरी को हुई थी।
– हर शनिवार को भंडारा और उसके आसपास के लगभग 17 स्थानों पर मोबाइल पुलिस स्टेशन संचालित किए जाते हैं।
– विनीता द्वारा पेश की गयी एक रिपोर्ट के अनुसार, इन शिविरों के चलते 1.5 लाख से अधिक लोगों को फायदा पहुँचा है।
– उन्होंने बताया कि सभी शिविरों की पूरी प्रक्रिया हर एक शिविर से संबंधित रजिस्टर में लिखी जाती है और सभी मामलों की जांच आईपीएस विनीता के सब-डिवीज़न से होती है।