रायपुर। कोरोना संकट के बीच भूपेश सरकार ने छत्तीसगढ़ के दो विश्वविद्यालयों के नाम बदल दिये है। जिसके बाद यहां की सियासत गर्मा गई है। विपक्ष ने सरकार के इस फैसले पर कड़ी प्रतिक्रिया जताई है। दरअसल भूपेश सरकार ने विधानसभा में संशोधन विधेयक पेश करते हुए कुशाभाऊ ठाकरे पत्रकारिता विश्वविद्यालय और कामधेनु विश्वविद्यालय का नाम बदल दिया। इन विश्वविद्यालयों का नाम क्रमशः चंदूलाल चंद्राकर और वासुदेव चंद्राकर के नाम पर किए गए हैं। राज्य की मुख्य विपक्षी पार्टी बीजेपी ने सरकार के इस फैसले को वर्ग संघर्ष की स्थिति पैदा करने वाला करार दिया है।
- छत्तीसगढ़ विधानसभा में संशोधन विधेयक के जरिए नाम बदले जाने के बाद पूर्व मंत्री और बीजेपी के वरिष्ठ विधायक अजय चंद्राकर ने सरकार पर निशाना साधते हुए कहा है कि चंदूलाल या वासुदेव जी दोनों छत्तीसगढ़ के माटीपुत्र हैं, यह हम भी स्वीकार करते हैं, लेकिन क्या एक स्थापित संस्था जो महापुरूष के नाम पर रखी गई है, उसे हटाना जरूरी था या भूपेश सरकार के पास कोई विजन नहीं है कि माटीपुत्रों के नाम पर एक नया संस्थान बना दिया जाए।
- सरकार के निर्णय से यह स्पष्ट हो गया कि यह विजनलेस सरकार है। चोरी छिपे सरकार ने अपना एजेंडा पूरा किया है। सरकार में इतना साहत नहीं है कि विधानसभा में चर्चा कराकर इन विधेय़कों को पारित कराया जा सके।
- अजय चंद्राकर ने कहा है कि भविष्य में जब कभी भी बीजेपी की सरकार आएगी, तो गांधी-नेहरू खानदान के नाम से एक भी संस्थान छत्तीसगढ़ में नहीं होगा।