भाजपा नहीं चाह रही थी सामुदायिक वनाधिकार, इसलिए भाजपा प्रदेश अध्यक्ष शेखचिल्लियों वाली बोली बोल रहे है: विकास तिवारी

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14 अगस्त 2019, रायपुर। छत्तीसगढ़ प्रदेश कांग्रेस कमेटी के सचिव एवं प्रवक्ता विकास तिवारी ने भाजपा प्रदेश अध्यक्ष विक्रम उसेंडी के वनाधिकार पट्टा पर दिए गए बयान को शेखचिल्ली की बोली का संज्ञा दिया है। प्रवक्ता विकास ने कहा कि जिस दमनकारी भाजपा सरकार के 15 सालों के कुशासन के समय प्रदेश के आदिवासियों को जितना नुकसान अंग्रेजों ने नहीं पहुंचाया था उससे कहीं ज्यादा भारतीय जनता पार्टी की रमन सरकार ने पहुंचाया था। जिसमें की आज के प्रदेश अध्यक्ष विक्रम उसेंडी भी शामिल थे जबकि वह स्वयं भाजपा के सांसद रह चुके थे। आज किस मुंह से सामुदायिक पट्टा वितरण का श्रेय केंद्र सरकार को दे रहे हैं यह प्रदेश के आदिवासियों के समझ से परे है। जबकि आंकड़ों में है कि भारतीय जनता पार्टी ने प्रदेश के आदिवासियों की जमीन को लूटा और उनके अधिकारों पर कुठाराघात भी किया।

प्रवक्ता विकास तिवारी ने कहा कि प्रदेश की कमान सम्भालते ही मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने बस्तर के लोहंडीगुड़ा की हजारो एकड़ जमीन जो कि टाटा प्लांट के लिये अधिग्रहित की गयी थी उसे आदिवासियों को वापस लौटाया और उनको जमीन के बदले दी गयी मुवावजा राशि को भी वापस नही लिया जिसकी प्रशंसा पूरे देश और विदेशी में भी की गयी। जबकि विगत 15 वर्षो में राज्य में 90,000 एकड़ से भी अधिक भूमि कृषको से छिनकर उद्योगपतियों को अन्तरित किया गया उनमें से अधिकांश भूमि आदिवासियों (अनुसूचित जनजाति के सदस्यों) की थी। ये भूमि स्टील, सीमेंट, पावर उद्योगों की स्थापना एवं कोयले तथा लौह अयस्क (आयरन ओर) की खनन (Mining) परियोजना के क्रियान्वयन में गयी है। जबकि इन जमीनों में एक भी उद्योग स्थापित नही हो पाये रहे।
प्रवक्ता विकास तिवारी ने कहा कि रमन सरकार ने कृषि भूमि सीमा (सीलिंग) अधिनियम को गैर क़ानूनी ढंग से दर किनार कर आपसी सहमति एवं कलेक्टरों से अनुमति के आधार पर उद्योगपतियों द्वारा किसानों से भूमि विक्रय कर दिया। भू-विस्थापितों को राज्य की पुनर्वास निति तथा भू अर्जन अधिनियम के प्रावधानों का उल्लंघन करते हुए नकद राशि के अतिरिक्त अन्य कोई लाभ नही दिया गया। 2013 में सीमान्त एवं लघु किसानो के हितों को दृष्टिगत रखते हुए कृषि भूमि के गैर कृषको को अंतरण पर रोक लगाने संबंधी कानून भी बनाया गया है, किन्तु उसके बाद भी असंवैधानिक तरीके से कृषि भूमि का अंतरण उद्योग पतियों,बिल्डरों को बेचा गया।

प्रवक्ता विकास तिवारी ने कहा कि रमन सरकार के समय वन अधिकार अधिनियम 2007 के क्रियान्वयन में राज्य में व्यक्तिगत पट्टों के कुल प्राप्त 8,52,643 आवेदनों में से मात्र 3,87,141 अधिकार पत्र वितरित किया गया उस समय मोदी सरकार के सांसद थे आज के भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष विक्रम उसेंडी थे जब शेष आवेदन ख़ारिज किया गया तो श्री उसेंडी क्यो मौन थे यह प्रदेश के आदिवासियों को बताना चाहिये?

प्रवक्ता विकास तिवारी ने कहा कि कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष मोहन मरकाम के विधानसभा क्षेत्र में दो हजार से डेढ़ हजार एकड़ तक की कई जमीनों पर वनाधिकार समिति गठित की गयी है जिसमे वनोपज का वितरण एवं निस्तारी और आय का वितरण समितियों द्वारा किया जायेगा। भाजपा अध्यक्ष विक्रम उसेंडी अपना नंबर प्रधानमंत्री मोदी के सामने बढ़ाने के लिये शेखचिल्लियों वाली भाषा बोल रहे है जबकि आंकड़ों के मुताबिक भाजपा ने प्रदेश के आदिवासियों को सर्वाधिक नुकसान पहुँचाया है और वनाधिकार पट्टा वितरण में भी अन्याय किया है।

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